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नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आय से अधिक संपत्ति के आरोपों में आज हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से पूछताछ की । सिंह पर केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है । सीबीआई सूत्रों ने बताया कि 81 वर्षीय मुख्यमंत्री यहां एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए पेश हुए। एजेंसी ने कहा है कि उसने जांच शुरू की थी जिसमें कथित तौर पर यह पता चला कि वर्ष 2009 से 2012 तक (संप्रग शासन में) केंद्रीय मंत्री के रूप में सिंह ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर कथित तौर पर आय के ज्ञात स्रोतों से लगभग 6.03 करोड़ रूपये अधिक की संपत्ति अर्जित की थी । दिल्ली में विशेष अदालत में भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत दर्ज प्राथमिकी में सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, एलआईसी एजेंट आनंद चौहान तथा चुन्नी लाल चौहान के नाम शामिल हैं । सिंह ने आरोपों से इनकार किया है । सीबीआई प्रवक्ता ने एक बयान में आरोप का ब्योरा देते हुए कहा था कि सिंह ने अपना बेहिसाबी धन कृषि आय के रूप में दर्शाकर एक निजी व्यक्ति के जरिए अपने नाम से, अपनी पत्नी के नाम से तथा परिवार के अन्य सदस्यों के नाम से जीवन बीमा निगम की पॉलिसीज में निवेश किया ।

नई दिल्ली: सीबीआई ने अगुस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीद में घूसखोरी सहित अन्य महत्वपूर्ण मामलों की जांच में तेजी लाने के लिए गुजरात के IPS अधिकारी राकेश अस्थाना के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया है। इसके अलावा यह टीम 9000 करोड़ रुपये के बैंक लोन लेकर देश छोड़कर जाने वाले विजय माल्या के मामले की भी जांच करेगी। अगुस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घूसकांड में सीबीआई ने आईडीएस इंडिया के प्रमुख प्रताप अग्रवाल और ऐरोमैट्रिक्स के सीईओ प्रवीण बख्शी से पूछताछ की है। अग्रवाल से जांच अधिकारियों ने यह जानने का प्रयास किया कि उसने किस तरह से घूस की रकम को और किन कंपनियों की मदद से इधर उधर किया। इसके अलावा अब तक की पूछताछ में पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी के बैंक खातों में विदेश से लेन-देन की बात सामने आई है। यह लेन-देन वर्ष 2009 में हुआ। गौतम खेतान पूछताछ में यह कह चुके हैं कि उन्होंने अग्रवाल की कंपनी आईडीएस इंडिया के लिए आईडीएस ट्यूनेशिया को खड़ा करने में सहयोग दिया है। इससे जुड़े दस्तावेज वह सीबीआई को सौंप चुके हैं। एसपी त्यागी पहले ही यह स्वीकार कर चुके हैं कि उनका संदीप त्यागी उर्फ जूली त्यागी से वित्तीय संबंध है। वहीं विजय माल्या के मामले में जांच एजेंसियां ये जानने की कोशिश में हैं कि माल्या का अकाउंट एनपीए घोषित होने के बावजूद उसे इतनी बड़ी राशि कैसे दे दी गई।

मैक्सिको सिटी: परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए दुनिया के प्रमुख देशों का सहयोग हासिल करने का आक्रामक प्रयास कर रहे भारत को आज (गुरूवार) मैकिस्को का समर्थन मिला। इससे पहले एनएसजी के प्रमुख सदस्य देश स्विट्जरलैंड ने भी भारत की दावेदारी का समर्थन किया था। मैक्सिको के राष्ट्रपति एनरिक पेना नीतो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विस्तृत बातचीत के बाद एनएसजी में भारत की सदस्यता की दावेदारी के समर्थन का एलान किया। दोनों नेताओं की बातचीत मुख्य रूप से व्यापार एवं निवेश, सूचना प्रौद्योगिकी, उर्जा एवं अंतरिक्ष सहीत कई कई क्षेत्रों पर केंद्रित रही। नीतो ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैक्सिको एनएसजी के लिए भारत के प्रयास को स्वीकारता है। परमाणु हथियारों के अप्रसार और निरस्त्रीकरण के अंतरराष्ट्रीय एजेंडा के प्रति प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता को स्वीकारते हुए हम भारत के आग्रह का सकारात्मक और रचनात्मक रूप से समर्थन करने जा रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री ने इस समर्थन के लिए एनएसजी के इस अहम सदस्य देश मैक्सिको के राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया और मैक्सिको को भारत की उर्जा सुरक्षा के लिए एक अहम साझेदार बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में तब्दील करने के लिए ‘ठोस नतीजों के प्रारूप’ को विकसित और इसको लेकर काम करने पर सहमति जताई है। मोदी ने कहा, ‘‘हम दोनों महसूस करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बढ़ती सहमति यह बताती है कि हम रणनीतिक महत्व की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्थाओं को मजबूती प्रदान करने की हमारी क्षमताओं को साथ मिलाएं।

नई दिल्ली: स्थापित प्रक्रिया से अलग हटते हुए केंद्र सरकार ने एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की एक सिफारिश को वापस भेज दिया है। भारत के प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाला कॉलेजियम दोनों बार सरकार की आपत्तियों को नामंजूर करते हुए पटना हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त करने की अपनी सिफारिश पर कायम है। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने आज (बुधवार) कहा कि कॉलेजियम ने नवंबर, 2013 में राज्य न्यायिक सेवा के एक सदस्य को पटना हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की थी। लेकिन सरकार ने तब फाइल कॉलेजियम को लौटाकर उससे फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था। सरकार का कदम आईबी की रिपोर्ट पर आधारित था। इस बीच जब फाइल सरकार के पास लंबित थी, 13 अप्रैल, 2015 को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम अधिसूचित किया गया। लेकिन जब कॉलेजियम प्रणाली को निष्प्रभावी करने वाले नये कानून को उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 16 अक्तूबर को रद्द कर दिया था तो इसके साथ शीर्ष अदालत तथा 24 उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति की पुरानी व्यवस्था वापस आ गयी। कॉलेजियम प्रणाली की वापसी के बाद कानून मंत्रालय ने कॉलेजियम द्वारा की गयी पुरानी सिफारिशों पर विचार करने का फैसला किया।

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