वाशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को वाशिंगटन यात्रा के आखिरी दिन अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र के संबोधन में आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोस में ही आतंकवाद को पाला-पोसा जा रहा है और भारत अमेरिका मिलकर इस प्रहार करें। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया के साथ पूरे विश्व में आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा है। इनके नाम लश्कर ए तैयबा, तालिबान आईएस हो सकते हैं, लेकिन घृणा, हत्या और हिंसा उनकी समान सोच है। आतंकवाद को न केवल भारत के पड़ोस में संरक्षण और समर्थन मिल रहा है बल्कि यह पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रहा है। लिहाजा आतंकवाद का पाठ पढ़ाने वालों को सबक सिखाना पड़ेगा। उन्होंने आगाह किया कि आतंकवाद से सिर्फ सैन्य खुफिया-कूटनीति के पारंपरिक तरीकों से नहीं निपटा जा सकता। इसलिए आतंकियों को पनाह और समर्थन देने वालों को अलग-थलग करना जरूरी है। अच्छे और बुरे आतंकवाद में भेद की बजाय धर्म को आतंकवाद से दूर करने की जरूरत है, इसके लिए मानवता पर विश्वास करने वालों को एक आवाज में बात करनी होगी। मोदी ने भारत और अमेरिका के महापुरुषों और उनके विचारों के एक-दूसरे पर प्रभावों का भी उल्लेख किया। मोदी ने कहा कि थोरोस के सविनय अवज्ञा आंदोलन ने भारत के राजनीतिक विचारों को प्रभावित किया।
इसी तरह स्वामी विवेकानंद के शिकागो में मानवता के संदेश का अमेरिका पर गहरा असर डाला। महात्मा गांधी के अहिंसा के विचार ने मार्टिन लूथर किंग को प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन में मार्टिन लूथर किंग और गांधी की निकट में बनी प्रतिमाएं हमारे अहिंसा, समानता, स्वतंत्रता के हमारे साझा मूल्यों को प्रतिबिंबित करती हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाई ने डा. भीम राव अंबेडकर के मूल्यों को मजबूत किया। अमेरिका संविधान की समझ का इस्तेमाल अंबेडकर ने भारत के संविधान के निर्माण में किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 15 साल पहले अमेरिकी संसद के संबोधन में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि भारत और अमेरिका स्वाभाविक सहयोगी हैं। हमने अतीत की यादों से आगे बढ़कर इसे हकीकत में तब्दील किया है। मोदी ने कहा कि 2008 में जब संसद ने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते को मंजूरी दी थी, तब हमारे रिश्ते को नई बुनियाद मिली थी। अमेरिकी संसद ने नवंबर 2008 में सीमापार से भारत पर हुए हमले के दौरान जो एकजुटता दिखाई थी, हम उसके लिए भी आभारी हैं।