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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो) सात राज्यों से राज्यसभा की 27 सीटों पर हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के 11 , समाजवादी पार्टी के 7, कांग्रेस के 6, बहुजन समाज पार्टी के 2 तथा एक निर्दलीय उम्मीदवार विजयी घोषित किया गया हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा अपने समर्थित उम्मीदवारों को जीतने में कामयाब नहीं हो सकी। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा चुनाव में सपा के अमर सिंह, बेनी प्रसाद वर्मा, संजय सेठ, सुरेंद्र नागर, सुखराम सिंह यादव, विशम्भर प्रसाद निषाद व रेवती रमण सिंह जीत गए हैं। वहीं बसपा के दोनों प्रत्याशी सतीश चंद्र मिश्र 39 वोट व अशोक सिद्धार्थ 42 वोट पाकर जीत गए। जबकि भाजपा के शिव प्रताप शुक्ला भी प्रथम वरीयता के मतों के आधार पर जीत गए हैं। कांग्रेस के कपिल सिब्बल भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति महापात्रा को हराकर चुनाव जीतने में कामयाब रहे। मगर कांग्रेस उम्मीदवार कपिल सिब्बल को भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार प्रीति महापात्र के मुकाबले थोड़ा संघर्ष करना पड़ा। आज के मतदान में खास बात यह रही कि सभी दलों में क्रास वोटिंग हुई, मगर बसपा ने सभी दलों से दूरी बनाये रखते हुए अपने अतिरिक्त वोटों को किसी भी उम्मीदवार के समर्थन में नहीं दिया। हालांकि कांग्रेस उम्मीदवार सिब्बल चुनाव जीतने में तो कामयाब रहे, मगर विधानसभा में 29 सदस्यों वाली पार्टी को सबसे अधिक क्रास वोटिंग की मार झेलनी पडी और सिब्बल को प्रथम वरीयता के केवल 25 वोट मिले बावजूद इसके कि आठ सदस्यीय राष्ट्रीय लोकदल ने कांग्रेस को चार विधायकों के समर्थन का ऐलान पहले ही कर दिया था।

लखनऊ: राज्यसभा चुनाव के लिए आज (शनिवार) को यहाँ 401 सदस्यों ने मतदान किया। प्रदेश में 11 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं, जबकि 12 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। यहां कांग्रेस के कपिल सिब्बल और भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार प्रीति महापात्र के बीच रोचक मुकाबला माना जा रहा है। गुजरात निवासी प्रीति महापात्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कृपा पात्र माना जाता है। समाजवादी पार्टी के सात, बसपा के दो और भाजपा के एक उम्मीदवार की जीत तय मानी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, बीएसपी सुप्रीमो मायावती उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को समर्थन कर सकती हैं, ठीक वैसे ही जैसा उन्होंने उत्तराखंड में किया था। लिहाज़ा इस चुनाव में भी भाजपा को झटका लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है। लखनऊ में वोटिंग के बीच, एसपी एमएलए हाजी जमेरुल्लाह खान और भाजपा एमएलए रघुनंदन सिंह के बीच मौखिक तनातनी हो गई। गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव के लिए सात राज्यों की 27 सीटों के लिए आज (शनिवार) मतदान हुआ। कई दिग्गजों की साख दांव पर है और कई जगहों पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। उत्तराखंड में राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा को झटका देते हुए देर रात भाजपा के भीमताल से विधायक दान सिंह भंडारी ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है । उत्तराखंड में राज्यसभा सीट के लिए हो रही वोटिंग समाप्त हो गई है ।

नई दिल्ली: भारत, जापान और अमेरिका ने पूर्वी चीन सागर के करीब अपना समुद्री युद्धाभ्यास मालाबार एक्सरसाइज आज (शुक्रवार) शुरू किया जिसमें 100 से ज्यादा युद्धक विमान, 22 नौसैनिक पोत और एक परमाणु संचालित पनडुब्बी भाग ले रहे हैं। यह युद्धाभ्यास इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि पूर्वी चीन सागर क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये के कारण यह मुद्दा ज्यादा विवादास्पद बना हुआ है। इसका लक्ष्य क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच गहरे सैन्य संबंध और बेहतर अंत:सक्रियता हासिल करना है। यह युद्धाभ्यास पूर्वी चीन सागर में एक आबादीरहित द्वीप के पास आयोजित किया जा रहा है। इस द्वीप को जापान सेनकाकु कहकर बुलाता है। हालांकि चीन इनपर दावा करता है और उन्हें दिआयु द्वीपसमूह बताता है। भारतीय नौसेना ने कहा कि उनके युद्धपोत सतपुड़ा, सहयाद्री, शक्ति और किर्च इस नौसैनिक युद्ध अभ्यास के 20वें संस्करण में भागीदारी कर रहे हैं। इस अभ्यास से भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा में सहयोग मिलेगा और वैश्विक समुद्री समुदाय लाभान्वित होगा। यह युद्धाभ्यास इस लिहाज से अहम है कि यह दक्षिण चीन सागर के करीब ऐसे समय में किया जा रहा है जब चीन इस क्षेत्र पर अपना मजबूत दावा कर रहा है। भारत और अमेरिका 1992 से ही सालाना स्तर पर युद्धाभ्यास करते रहे हैं। जहां इस अभ्यास का हार्बर चरण आज सासेबो में शुरू हुआ, प्रशांत महासागर में समुद्री चरण 14 से 17 जून तक किया जाएगा।

विएना: परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में सदस्यता के लिए भारत की अर्जी पर दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में इस महीने के अंत में होने वाले एनएसजी के पूर्ण अधिवेशन में विचार किए जाने की संभावना है। विएना में हुई एनएसजी की दो दिवसीय बैठक में इस मुद्दे पर किसी निष्कर्ष पर न पहुंच पाने के बाद यह फैसला किया गया। अमेरिका भारत की सदस्यता का पुरजोर समर्थन कर रहा है और ज्यादातर सदस्य देश भी समर्थन कर रहे हैं, लेकिन इसका विरोध कर रहे चीन की दलील है कि एनएसजी को नए आवेदकों के लिए विशिष्ट शर्तों में ढील नहीं देनी चाहिए। एनएसजी संवेदनशील परमाणु प्रौद्योगिकी तक पहुंच को नियंत्रित करता है। परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर भारत की ओर से दस्तखत न किए जाने को आधार बनाकर उसकी दावेदारी का विरोध करने वाले कई देशों ने भी अब अपना रूख नरम किया है और अब समझौता करने के लिए तैयार हैं। बहरहाल, चीन अपने रूख पर अड़ा हुआ है। विएना में हुई बैठक में चीन ने सीधे तौर पर तो भारत की सदस्यता का विरोध नहीं किया, लेकिन इसे एनपीटी पर दस्तखत न करने से जोड़ा। एनएसजी आम राय के आधार पर काम करती है और भारत के खिलाफ किसी एक देश का वोट भी उसकी दावेदारी में रोड़े अटका सकता है। 48 देशों के समूह एनएसजी में चीन के अलावा न्यूजीलैंड, आयरलैंड, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रिया भी भारत की दावेदारी के विरोध में हैं।

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