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नई दिल्ली: भारत द्वारा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता हासिल करने की दिशा में बढ़ने का जिक्र करते हुए चीन के आधिकारिक मीडिया ने कहा कि यदि नई दिल्ली को इस विशिष्ट समूह में प्रवेश दिया जाता है तो भारत और पाकिस्तान के बीच का ‘परमाणु संतुलन’ बिगड़ जाएगा। सरकारी ‘ग्लोबल टाइम्स’ में छपे एक लेख में कहा गया कि एनएसजी में भारत का प्रवेश ‘‘दक्षिण एशिया में रणनीतिक संतुलन को हिला देगा और साथ ही इससे पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता पर (संकट के) बादल भी मंडराने लगेंगे। हालांकि इस लेख में यह भी कहा गया कि चीन 48 सदस्यों वाले परमाणु क्लब में भारत को शामिल किए जाने का स्वागत कर सकता है बशर्ते यह ‘नियमों के साथ हो’। सरकारी थिंक टैंक ‘चाइना इंस्टीट्यूट्स ऑफ कंटेंपररी इंटरनेशनल रिलेशन्स’ के रिसर्च फेलो फू शियाओकियांग द्वारा लिखे गए इस लेख के जरिए एनएसजी में भारत के प्रवेश के प्रति चीन के कड़े एवं मुखर विरोध को रेखांकित किया गया। इसके साथ ही चीन की इस चिंता को भी उठाया गया कि भारत को सदस्यता मिल जाने पर चीन का सर्वकालिक सहयोगी पाकिस्तान पीछे छूट जाएगा क्योंकि ‘एनएसजी में प्रवेश मिलने से भारत एक ‘वैध परमाणु शक्ति’ बन जाएगा।’
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नई दिल्ली: भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के बीच गुरुवार को अरूणाचल प्रदेश में उस समय झडप हुई जब 276 चीनी सैनिक सीमा पर चार विभिन्न स्थानों से भारतीय क्षेत्र में घुस आए। घटना के संबंध में एक आधिकारिक ब्यौरे के अनुसार, यह घटना अरूणाचल प्रदेश के यांग्त्से इलाके में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शंकर टिकरी में हुई और पीएलए का दावा था कि यह क्षेत्र चीन का है। इस क्षेत्र की सुरक्षा भारतीय सेना करती है। भारतीय सेना ने तुरंत कार्रवाई की और चीनी सैनिकों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए अपने जवानों को भेजा। समझा जाता है कि अनुमानित 215 चीनी सैनिकों ने शंकर टिकरी में आगे बढ़ने का प्रयास किया। इसके साथ ही 20.20 सैनिकों ने अरूणाचल के थांग ला और मेरा गाप से तथा 21 अन्य सैनिकों ने यांकी-1 से बढ़ने का प्रयास किया। आधिकारिक सूत्रों ने आज बताया कि नियमित बैनर ड्रिल के दौरान चीनी सैनिकों ने आक्रामक रूख अपनाते हुए भारतीय सैनिकों पर शारीरिक रूप से हमला करने का प्रयास किया लेकिन उन पर काबू पा लिया गया। सूत्रों ने बताया कि सेना ने आधिकारिक रूप से रिपोर्ट दी है कि सेना और पीएलए के बीच शंकर टिकरी में सिर्फ ‘मामूली झड़प’ हुई।
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नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में कथित भूमिका संबंधी विवाद को लेकर बुधवार रात आगामी चुनावी राज्य पंजाब में पार्टी प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा, जिन्होंने उनका इस्तीफा तुरंत मंजूर किया और उन्हें पार्टी महासचिव पद से मुक्त कर दिया। पंजाब और हरियाणा के तीन दिन पहले प्रभारी महासचिव बनाए गए कमलनाथ ने सोनिया को लिखे अपने पत्र में कहा, '..मैं आग्रह करता हूं कि मुझे (पंजाब में) मेरे पद से मुक्त किया जाए, ताकि यह सुनिश्चित हो कि पंजाब से असल मुद्दों से ध्यान नहीं भटके।' पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने कहा कि वह 'पिछले कुछ दिन में नई दिल्ली में 1984 के दर्दनाक दंगों को लेकर पैदा गैरजरूरी विवाद से जुड़े घटनाक्रम से आहत हैं।' उन्होंने यह कदम ऐसे समय उठाया जब अकाली दल, भाजपा और आप ने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगों में कमलनाथ की कथित भूमिका को लेकर उन पर तथा कांग्रेस पर हमला साधा। उनकी नियुक्ति को सिखों के 'जख्मों पर नमक छिड़कने' जैसा बताते हुए तीनों दल इस नियुक्ति को बड़ा तूल देने की तैयारी में थे। कमलनाथ ने कहा कि 'दंगा मामले में वर्ष 2005 तक उनके खिलाफ कोई सार्वजनिक बयान या शिकायत या प्राथमिकी तक नहीं थी और पिछली राजग सरकार द्वारा गठित नानावटी आयोग ने उन्हें बाद में दोषमुक्त करार दिया था।'
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नई दिल्ली: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा बुलाई गई उत्तर प्रदेश के सांसदों की एक बैठक से वरुण गांधी के दूर रहने पर पार्टी में जुबानी जंग छिड़ गई है। वरुण यहां भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शरीक होने आए थे लेकिन लोकसभा सांसदों की बैठक से गैर हाजिर रह कर उन्होंने अपनी ओर ध्यान आकृष्ट किया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित अन्य नेता शरीक हुए। इस बारे में पूछे जाने पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या ने बताया, राज्य में हमारे 70 से अधिक सांसद हैं और उनमें से 13 शरीक नहीं हो सकें। यह उनकी ओर से किसी नाराजगी के चलते नहीं हुआ बल्कि उनके निजी कारण थे। मौर्या फूलपुर से सांसद हैं। उन्होंने कहा कि बैठक शांतिपूर्ण ढंग से और बगैर किसी तनाव के हुई और इसमें मोदी तथा कई केंद्रीय मंत्री शरीक हुए। दूसरी बार सांसद बने वरुण की बैठक में गैर मौजूदगी ने इन अटकलों को पैदा किया है कि वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक प्रमुख भूमिका दिए जाने में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के अनिच्छुक रहने के चलते नाराज हैं। साल 2013 में तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त कर उन्हें इस पद पर आसीन होने वाला सबसे युवा व्यक्ति बनाया था। हालांकि, जब शाह ने अध्यक्ष का पदभार संभाला और सिंह केंद्रीय कैबिनेट में चले गए तब वरूण को इस पद से वंचित कर दिया गया। इस बीच, बिहार से भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने मंगलवार को उस वक्त वरुण का बचाव किया जब पार्टी के कई सहकर्मियों ने उनकी आलोचना की।
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