नई दिल्ली: सात राज्यों से राज्यसभा की सीटों के लिए शनिवार को होने वाले चुनाव में कुछ सीटों पर मुकाबला रोचक हो सकता है और खासतौर पर उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा की कुछ सीटों पर नजर रहेगी जहां वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल और वरिष्ठ वकील आर के आनंद, मीडिया कारोबारी डॉ. सुभाष चंद्रा समेत कई जानेमाने उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। मौजूदा चरण की कुल 57 राज्यसभा सीटों में से 30 पर तो फैसला बिना मतदान के हो चुका है, लेकिन बाकी 27 पर फैसला शनिवार के चुनाव में होगा जहां कुछ राज्यों में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होगी। कर्नाटक में जेडीएस और निर्दलीय विधायकों को रिश्वत देने के आरोपों से चुनावों पर असर पड़ा है लेकिन चुनाव आयोग ने उन्हें रद्द करने की मांगों को खारिज कर दिया। सारी नजरें उत्तर प्रदेश पर हैं, जहां 11 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस नेता सिब्बल और भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति महापात्र के बीच रोचक मुकाबला होने वाला है। सिब्बल को बसपा के समर्थन की जरूरत होगी जिसके पास 12 वोट हैं और जो उसके खुद के उम्मीदवारों सतीश चंद्र मिश्रा और अशोक सिद्धार्थ के सफल होने के लिए जरूरी वोटों से ज्यादा हैं। बसपा अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश में अपने पार्टी के समर्थन को लेकर रहस्य बरकरार रखा है।
लेकिन सिब्बल इस बात से थोड़ी आशा रख सकते हैं कि मायावती ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के उम्मीदवार और उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील विवेक तनखा के लिए जरूरी एक वोट देने का वादा करके कांग्रेस को समर्थन का ऐलान किया है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के 29 विधायक हैं और सिब्बल को राज्यसभा में पहुंचाने के लिए पांच और सदस्यों के वोट की जरूरत होगी। सत्तारूढ़ सपा ने अमर सिंह और बेनीप्रसाद वर्मा समेत सात उम्मीदवारों को खड़ा किया है। दोनों हाल ही में पार्टी में फिर से शामिल हुए हैं। सपा ने रेवती रमण सिंह को भी टिकट दिया है। हालांकि पार्टी के सातवें उम्मीदवार को प्रथम प्राथमिकता वाले नौ वोटों की कमी है। सपा को अजित सिंह की रालोद की तरफ से समर्थन का वादा मिला है, जिसके आठ विधायक हैं। भाजपा ने शिव प्रताप शुक्ला को खड़ा किया है जिन्हें उसके 41 विधायकों का वोट मिलना तय है और इस तरह प्रीति महापात्र के लिए सात वोट बचते हैं। कर्नाटक में चार सीटों के लिए चुनाव होने हैं और सत्तारूढ़ कांग्रेस तथा जेडीएस के बीच मुकाबला होने के आसार हैं। भाजपा की केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण को पार्टी के 44 सदस्यों की संख्या से केवल एक वोट अधिक चाहिए और उनके साथ कांग्रेस के जयराम रमेश तथा ऑस्कर फर्नांडीज का राज्यसभा में पहुंचना तय है। कांग्रेस के 122 सदस्य हैं और रमेश तथा फर्नांडीज की जीत सुनिश्चित करने के बाद उसके पास 33 अतिरिक्त वोट रहेंगे। उसने तीसरे उम्मीदवार के तौर पर पूर्व आईपीएस अधिकारी के सी रामामूर्ति को खड़ा किया है जिनके लिए 12 और वोट चाहिए होंगे। जेडीएस के 40 सदस्यों में से पांच ने एक तरह से बगावत का बिगुल फूंक दिया है और उनके क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस को मदद पहुंचाने की खबरें हैं। जेडीएस को कॉपरेरेट क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले अपने उम्मीदवार बी एम फारक के लिए पांच और वोटों की जरूरत होगी। मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस और भाजपा की टक्कर है जहां तीन सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। सत्तारूढ़ भाजपा के 164 वोट हैं और पार्टी के उम्मीदवारों एम जे अकबर एवं अनिल दवे का उच्च सदन में पहुंचना तय है। तीसरे उम्मीदवार विनोद गोतिया के लिए मुकाबला टक्कर वाला है जिन्हें कांग्रेस के विवेक तनखा से चुनौती मिलनी है। मध्य प्रदेश से किसी उम्मीदवार को राज्यसभा पहुंचने के लिए 58 सदस्यों के वोट चाहिए। बसपा के चार विधायकों के समर्थन के बाद कांग्रेस के विवेक तनखा का रास्ता आसान लगता है। राजस्थान में भी 24 विधायकों के साथ कांग्रेस ने निर्दलीय उम्मीदवार कमल मोरारका को समर्थन देकर मुकाबला रोचक बना दिया है। राज्य से एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 41 विधायकों के वोट चाहिएं। राजस्थान विधानसभा में 160 सदस्यों के साथ भाजपा को केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू, पार्टी उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर, पूर्व आरबीआई अधिकारी रामकुमार शर्मा और डूंगरपूर शाही खानदान के हर्षवर्धन सिंह की जीत सुनिश्चित लगती है। झारखंड में भी मुकाबला दिलचस्प रहेगा, जहां एकजुट विपक्ष सत्तारूढ़ भाजपा के गणित को बिगाड़ सकता है। लेकिन उसके पहले उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का जीतना तय है। उत्तराखंड में एक सीट के लिए चुनाव होना है, जहां कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप टमटा आसानी से जीत सकते हैं जिन्हें अपनी पार्टी के 26 के अलावा सहयोगी पीडीएफ से भी समर्थन का आश्वासन मिला है।