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नई दिल्ली: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आज (शुक्रवार) कहा कि विकास महत्वपूर्ण है, लेकिन यह सीमाओं के भीतर होना चाहिए और स्थानीय परंपराओं को ध्यान में रखकर नीतियां बनाई जानी चाहिए। वर्ष 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक समारोह में उन्होंने कहा, ‘जहां कहीं भी विकास किया जाना है, स्थानीय परंपराओं के महत्व को ध्यान में रखा जाना चाहिए। ‘मर्यादा’ का महत्व समझा जाना चाहिए। व्यक्ति का विकास महत्वपूर्ण है और यह होना चाहिए, लेकिन मर्यादा को ध्यान में रखते हुए।’ भागवत ने कहा, ‘उत्तराखंड त्रासदी के बाद सीमाओं को ध्यान में रखते हुए और पारंपरिक ज्ञान एवं पूर्व की विशेषज्ञता को स्वीकार करते हुए नीतियां बनाई जानी चाहिए। हर जगह मर्यादा होनी चाहिए।’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘नीतियों में भी संयम होना चाहिए। यह हमारे व्यवहार और नजरिये में भी होना चाहिए। किसी लोकतंत्र में सत्ता में बैठे लोगों को आगे बढ़ने से पहले लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए। यही वजह है कि समाज में भी मर्यादा के महत्व को समझने की जरूरत है।’ आरएसएस प्रमुख ने कहा कि मर्यादा, विज्ञान और पारंपरिक ज्ञान के बीच तालमेल होना चाहिए और विकास को एक नए दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है।

वॉशिंगटन: अमेरिकी संसद ‘कांग्रेस’ की स्वतंत्र शोध शाखा कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान के ‘फुल स्पेक्ट्रम डेटरेंस’ परमाणु सिद्धांत और परमाणु सामग्री के उत्पादन की बढ़ती क्षमता ने भारत के साथ उसके परमाणु टकराव के जोखिम को बढ़ा दिया है। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता हासिल करने के लिए पाकिस्तान की ओर से जुटाए जा रहे समर्थन के बीच सीआरएस ने यह रिपोर्ट दी है। ‘कांग्रेस’ के दोनों सदनों को नीतिगत एवं कानूनी विश्लेषण मुहैया कराने वाली सीआरएस ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है, ‘इस्लामाबाद की ओर से अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार करने, नए प्रकार के परमाणु हथियारों का विकास करने, और ‘फुल स्पेक्ट्रम डेटरेंस’ नाम के एक सिद्धांत को अपनाने पर कुछ पर्यवेक्षकों ने पाकिस्तान और अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार कर रहे भारत के बीच परमाणु संघर्ष का जोखिम बढ़ने को लेकर चिंता जताई है।’ परमाणु अप्रसार विश्लेषक पॉल के केर्र और अप्रसार मामलों की विशेषज्ञ मेरी बेथ निकिटिन की ओर से लिखी गई रिपोर्ट ‘पाकिस्तान के परमाणु हथियार’ में कहा गया कि पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार में संभवत: 110-130 परमाणु हथियार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार के बारे में माना जाता है कि उसे तैयार ही इस तरह किया गया है कि भारत को उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने से रोका जा सके। सीआरएस अमेरिकी सांसदों के हितों के मुद्दों पर नियमित तौर पर रिपोर्ट तैयार करती है।

नई दिल्ली: भारत एवं थाईलैंड ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था, आतंकवाद से निबटने, साइबर सुरक्षा एवं मानव तस्करी से निबटने में सहयोग बढ़ाने का निर्णय किया। साथ ही दोनों देश ने रक्षा एवं समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में नजदीकी संबंध कायम करने की हामी भरी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारत यात्रा पर आये उनके थाई समकक्ष जनरल प्रयुत चान ओ छा के बीच हुई व्यापक वार्ता के बाद इस आशय की घोषणा की गई। नेताओं ने कहा कि संतुलित समग्र आर्थिक एवं भागीदारी समझौते को शीघ्र सम्पन्न करना एक साझा प्राथमिकता है। मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने भारत-म्यामां-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग तथा भारत-म्यामां और थाईलैंड के बीच मोटर वाहन समझौते पर जल्द हस्ताक्षर को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने पर बल दिया है। दोनों पक्षों के बीच शिष्टमंडल स्तर की वार्ता हुई, जिसमें सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग भी मौजूद थे। इसके बाद 2016.2019 के लिए सांस्कृतिक आदान प्रदान संबंधी अधिकारियों के कार्यक्रम तथा नगालैंड विश्वविद्यालय एवं थाईलैं के चियांग माई विश्वविद्यालय के बीच सहमति पत्र सहित दो समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये। मोदी ने थाईलैंड से पर्यटकों को भारत के पर्यटन स्थलों और विशेष रूप से बौद्ध स्थलों के प्रति आकषिर्त करने के लिए, जल्द ही थाई नागरिकों को दोहरे प्रवेश वाले ई.पर्यटक वीजा की सुविधा देने का ऐलान किया।

वाशिंगटन: अमेरिका ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह से इस विशिष्ट समूह में भारत की सदस्यता के लिए समर्थन करने का अनुरोध किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, अमेरिका ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के सहयोगी देशों से यह अपील की है कि जब भी एनएसजी की समग्र चर्चा हो तब इसके सहयोगी देश भारत के आवेदन का समर्थन करें जो संभवत: अगले हफ्ते होगी। एक प्रश्न के जवाब में किर्बी ने कहा, फिलहाल मैं यह नहीं बता सकता कि यह कैसे होगा और ना ही मैं कोई अटकल लगा सकता हूं कि किस तरह से इसे किया जाएगा, लेकिन हमने यह साफ किया है कि हम भारत के आवेदन का समर्थन करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले सप्ताह अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 48 सदस्यीय समूह के लिए भारत के आवेदन का स्वागत किया था। अमेरिका एनएसजी में भारत की सदस्यता का समर्थन कर रहा है। इससे पहले यहां एक बैठक से पूर्व अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे देशों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि उन्हें समूह में भारतीय प्रशासन को शामिल किए जाने पर आम सहमति में रूकावट नहीं डालते हुए इस पर सहमति जतानी चाहिए।

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