नई दिल्ली: विपक्षी दलों ने आज (मंगलवार) आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पाकिस्तान को लेकर कोई समग्र नीति नहीं है और कहा कि कूटनीति को गंभीरता, संजीदगी की जरूरत है, न कि ‘‘ड्रामेबाजी’’ की । कांग्रेस और माकपा की तरफ से टिप्पणी मोदी के यह कहे जाने के एक दिन बाद आई है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत के भारत के प्रयासों का सर्वोच्च मकसद शांति है, लेकिन बलों को ‘‘जवाब देने की पूरी आजादी है’’ जिस तरह वे चाहें । कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा, ‘‘कोई भी पाकिस्तान से बातचीत के खिलाफ नहीं है लेकिन हमने उनसे :मोदी: जो सवाल किया है, वह विपक्ष को विश्वास में नहीं लेने के बारे में हैं ।’’ उन्होंने कहा कि कूटनीति को ड्रामेबाजी की नहीं, बल्कि गंभीरता और संजीदगी की आवश्यकता है । माकपा नेता बृंदा करात ने केंद्र पर यह कहकर निशाना साधा कि उसके पास पाकिस्तान को लेकर कोई समग्र नीति नहीं है । उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ आतंकी समूहों को नि:संदेह रूप से प्रोत्साहित करते रहे पड़ोसी से निपटने के लिए गंभीर कूटनीतिक पहल के मुकाबले यह असल में ‘‘शो आधारित’’ नीति है । बृंदा ने कहा, ‘‘एक दिन आप कहते हैं कि आप पाकिस्तान को मटियामेट कर देंगे । दूसरे दिन आपके गृहमंत्री :राजनाथ सिंह: ने कहा कि आप पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली गोलियों को नहीं गिनेंगे ।’’ लेकिन नवाज शरीफ से मिलने प्रधानमंत्री पाकिस्तान चले गए थे । कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने सरकार पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के मुद्दे पर ‘‘दोहरी नीति’’ अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि एक तरफ उसने उनके काम की तारीफ की, लेकिन दूसरी तरफ वह सुब्रह्मण्यम स्वामी के आरोपों से सहमत रही और उन्हें अलविदा कह दिया ।
उन्होंने कहा, ‘‘आज हमारी अर्थव्यवस्था एक ऐसे समय से गुजर रही है जिसे स्थिरता की आवश्यकता है। ऐसे में :उनके: बने रहने की आवश्यकता थी ।’’