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नई दिल्ली: खुद को महान खिलाड़ियों में बदलने वालों के लिए सीखने की प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होती और 18 ग्रैंडस्लैम खिताब के साथ भारत के सबसे सफल टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस को यह स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है कि वह स्पेन के महान खिलाड़ी रफेल नडाल को ट्रेनिंग और खेलते हुए देखकर सीख सकते हैं। इस 43 साल के खिलाड़ी ने कहा कि भारत के खिलाफ डेविस कप मुकाबले के लिए स्पेन जिस टीम के साथ आ रहा है उसे देश के प्रत्येक उभरते हुए खिलाड़ी को देखना चाहिए। स्पेन ने इस मुकाबले के लिए अपनी टीम में 14 बार के ग्रैंडस्लैम विजेता नडाल, दुनिया के 13वें नंबर के खिलाड़ी डेविड फेरर के अलावा फ्रेंच ओपन चैम्पियन जोड़ी मार्क और फेलीसियानो लोपेज को शामिल किया है। पेस ने कहा, ‘यह भारत में शानदार टेनिस का प्रदर्शन होगा। अगर मैं नौ, 10 या 15 साल का उभरता हुआ खिलाड़ी होता तो मैं रोजाना स्टेडियम पहुंचता। 14 बार के ग्रैंडस्लैम चैम्पियन को खेलते हुए देखना अविश्वसनीय है। मेरे लिए अपने करियर के इस समय भी जहां मैं 30 साल खेल चुका हूं, आप नडाल को खेलते हुए देखकर काफी कुछ सीख सकते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘आप फुटवर्क के बारे में सीख सकते हैं, ताकत के बारे में, शाट लगाने आदि के बारे में।’ पेस ने कहा, ‘स्पेन की टीम मेरे लिए सबसे पेशेवर टीमों में से एक है। वे एक साथ संघर्ष करते हैं। इस टीम के लिए मेरे अंदर जितना सम्मान है उसके बारे में मैं नहीं बता सकता।

रियो डि जिनेरियो: परालम्पिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट दीपा मलिक ने कहा कि रियो परालम्पिक में मिला एफ-53 गोला फेंक स्पर्धा में रजत पदक उनके सपने देखने की हिम्मत करने का परिणाम है। दीपा ने अपने छह प्रयासों में 4.61 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास से रजत पदक अपनी झोली में डाला। दीपा ने कहा, ‘मैंने सपना देखने की हिम्मत की और मेरे अंदर कड़ी मेहनत करने तथा जुनून की हद तक काम करने का दृढ़ निश्चिय है और इसी दृढ़ता से मैंने अपना सपना पूरा किया। महिलायें ज्यादातर इसे गंवा देती हैं लेकिन मैंने सुनिश्चित किया कि मेरे परिवार की अनदेखी नहीं हो, मेरे बच्चे भी अच्छा कर रहे हैं।’ दीपा के कमर के नीचे का हिस्सा लकवे से पीड़ित हैं, उनके पति सेना में कार्यरत हैं और वह दो बच्चों की मां हैं। रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर की सर्जरी के बाद से वह पिछले 17 वर्षों से व्हीलचेयर पर ही हैं। वह 31 सर्जरी करा चुकी हैं। दीपा ने कहा, ‘मैं इस पदक को जीतकर बहुत खुश हूं और मैं अपने देश के लिये ऐसा कर सकी, उससे मैं और ज्यादा खुश हूं। मैं अपने कोचों और ट्रेनरों, भारतीय खेल प्राधिकरण और खेल मंत्रालय को शुक्रिया अदा करना चाहती हूं जिन्होंने मेरी ट्रेनिंग के लिये धन मुहैया कराया।’ उन्होंने कहा, ‘मैं अपने पति का भी शुक्रिया अदा करना चाहती हूं जो मेरे ट्रेनर हैं और अपनी बेटियों का भी जो मेरी ताकत और प्रेरणा हैं। मैं भारत वापस लौटने के लिये उत्सुक हूं।’

रियो डे जेनेरो: रियो पैरा ओलिंपिक का दूसरा दिन भारत के लिए मिला-जुला रहा. ऊंची कूद में मरियप्पन थांगावेलू ने गोल्ड पर कब्जा जमाते हुए इतिहास रच दिया है तो वहीं, भाला फेंक भारत के संदीप कांस्य से चूक गए। ऊंची कूद में मरियप्पन थांगावेलू ने शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड पर कब्जा जमाया। वरुण भाटी ने इसी प्रतिस्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर करोड़ों हिंदुस्तानियों को झूमने का मौका दे दिया है। जबकि रजत पदक अमेरिका के सैम ग्रेवी को मिला। उधर, भारत के ही संदीप भाला फेंक कांस्य जीतने से चूक गए और वह चौथे स्थान पर रहे। थांगावेलू ने 1.89 मी. की जंप लगाते हुए सोना जीता जबकि भाटी ने 1.86 मी. की जंप लगाते हुए कांस्य अपने नाम किया। वह मुरलीकांत पेटकर (स्वीमिंग 1972 हेजवर्ग) और देवेंद्र झाझरिया (भाला फेंक, एथेंस 2004 ) के बाद गोल्ड जीतने वाले तीसरे भारतीय हैं।थांगावेलू और भाटी की इस सफलता के बाद अभी तक के सभी पैरा ओलिंपिक खेलों में भारत के कुल पदकों की संख्या 10 हो गई है जिसमें 3 स्वर्ण, तीन रजत और चार कांस्य शामिल है।

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने दुनिया के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई के कड़े विरोध के बाद आज दो स्तरीय टेस्ट प्रणाली के अपने विवादास्पद प्रस्ताव को वापस ले लिया। बीसीसीआई को इसमें श्रीलंका, जिम्बाब्वे और बांग्लादेश का समर्थन मिला था। आईसीसी के एक सूत्र ने कहा, ‘दो स्तरीय टेस्ट प्रणाली के प्रस्ताव पर मुख्य कार्यकारियों की समिति (सीईसी) की दुबई में दो दिवसीय बैठक के दौरान चर्चा हो सकती थी लेकिन चार सदस्यों की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए उसे हटा दिया गया है। आईसीसी अब इस पूरे पहलू पर नये सिरे से गौर करेगी।’ बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर शुरू से ही इस कदम की कड़ी आलोचना कर रहे थे। उन्होंने इसे वित्तीय रूप से कमजोर देशों के लिये हानिकारक और प्रतिगामी कदम बताया था। ठाकुर ने कहा, ‘मैं आईसीसी के सदस्यों का आभारी हूं जिन्होंने हमारी बात को समझा और इस प्रस्ताव को हटाने का फैसला किया। विश्व क्रिकेट का प्रमुख हितधारक होने के नाते बीसीसीआई सबको साथ लेकर चलने के अपने दृष्टिकोण पर कायम रहेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि हर किसी के हित और क्रिकेट के विकास से समझौता नहीं हो।’ भारतीय बोर्ड अध्यक्ष ने कहा कि वर्तमान प्रारूप के कारण खेल का विकास और लोकप्रियता प्रभावित नहीं हो रही है। ठाकुर ने कहा, ‘हम खेल को आगे बढ़ाना चाहते हैं और इसे नये क्षेत्रों तक ले जाना चाहते हैं लेकिन हम ऐसे किसी भी कदम की अनुमति नहीं देंगे जिससे खेल की लोकप्रियता और विकास प्रभावित हो।’ यह पता चला है कि बीसीसीआई सीईओ राहुल जोहरी ने आईसीसी का उनकी बात समझने के लिये आभार व्यक्त किया। इसकी जानकारी रखने वाले सूत्र ने कहा, ‘बीसीसीआई सीईओ राहुल जोहरी ने दो स्तरीय प्रणाली का विरोध कर रहे बोर्डों की भावनाओं की समझने के लिए आईसीसी का आभार व्यक्त किया और टेस्ट क्रिकेट को विश्वस्तर पर लोकप्रियता दिलाकर खेल के हित में अपना पूर्ण सहयोग सुनिश्चित किया।’ आईसीसी को किसी भी तरह के ढांचागत बदलाव के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ती है और उसके लिए यह प्रस्ताव पारित करवाना मुश्किल हो जाता क्योंकि इसके लिए उसे 10 में सात मतों की जरूरत पड़ती। यहां तक कि पारंपरिक रूप से इंग्लैंड और आस्ट्रेलियाई बोर्ड का साथ देने वाले वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड (डब्ल्यूआईसीबी) ने भी इस प्रस्ताव को लेकर बीसीसीआई का साथ दिया। भारत ने हाल में वेस्टइंडीज में चार टेस्ट मैच खेले थे जो कि कैरेबियाई टीम के 2014 के बीच में छोड़े गए भारत दौरे का हिस्सा था। सूत्र ने बताया, ‘रिपोर्टों में कहा जा रहा था कि वेस्टइंडीज दो स्तरीय प्रणाली के पक्ष में है लेकिन यह इसके ठीक उलट था। वेस्टइंडीज कभी दो स्तरीय टेस्ट प्रणाली के पक्ष में नहीं था। हां वे टेस्ट मैचों की चार दिवसीय प्रारूप और दिन रात्रि मैचों के पक्ष में है लेकिन उन्होंने कभी टीमों को दो डिवीजन में बांटने के प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया।’

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