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नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने पर होने वाले राजस्व के नुकसान पर केंद्र राज्यों को हर तिमाही में अस्थायी क्षतिपूर्ति करेगा। अंतिम राजस्व में होने वाले नुकसान की राशि के भुगतान का निर्णय सीएजी के ऑडिट के बाद होगा। केंद्र ने जीएसटी क्षतिपूर्ति कानून के मसौदे को शनिवार को सार्वजनिक करते हुए कहा कि राजस्व में नुकसान की पूर्ति पहले पांच साल लग्जरी समान और तंबाकू जैसे सिन गुड्स पर उपकर लगा कर की जाएगी जिसे ‘जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर’ के नाम से जाना जाएगा। पांच साल के दौरान उपकर से प्राप्त अतिरिक्त राशि ‘जीएसटी क्षतिपूर्ति कोष’ में जमा होगी, जिसे केंद्र और राज्यों में बराबर बांटा जाएगा। इस कानून के मसौदे पर वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाले जीएसटी परिषद की 2-3 दिसंबर को होने वाली अगली बैठक में चर्चा होगी।
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नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री व देश में आर्थिक सुधारों के अगुवा मनमोहन सिंह ने आज (शनिवार) कहा कि आर्थिक वृद्धि दर को 7-7.5 प्रतिशत पर बनाए रखने के लिए विशेषकर बुनियादी ढांचे में निवेश बढाने तथा विदेश व्यापार में नयी जान फूंकने की जरूरत है। मनमोहन सिंह ने आज यहां उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के सालाना सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि आर्थिक नीतियां इस तरह से बनाई जानी चाहिए जिसमें सार्वजनिक वित्तपोषण और वृद्धि प्रक्रिया के बीच बेहतर संतुलन बिठाया गया हो। उन्होंने कहा, ‘इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए समावेशी विकास को लोक वित्तपोषण, वित्तीय स्थिरता, रोजगार सृजन, आर्थिक वृद्धि व पर्यावरण संरक्षण से जोड़े जाने की जरूरत है।’ उल्लेखनीय है कि सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार के बाद 2014 में सत्ता में आई मोदी सरकार देश को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाने की बात कर रही है। मनमोहन ने कहा, ‘हालांकि भारत इस समय 7-7.5 प्रतिशत सालाना की दर से वृद्धि कर रहा है लेकिन वृद्धि प्रक्रिया में स्थिरता के लिए निवेश दर में उल्लेखनीय बढोतरी की जरूरत है विशेषकर नये ढांचागत क्षेत्रों में। इसके साथ ही हमारे अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्षेत्र विशेषकर निर्यात में नयी जान फूंकनी होगी।’ उन्होंने कहा कि भारत 1991 के आर्थिक सुधारों के दौर से सतत विकास के युग में जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अब प्राथमिकता केवल तेजी नहीं बल्कि वृद्धि, समानता, समावेश, रोजगार सृजन व पर्यावरणीय सतता के बहुआयामी पहलुओं को दी जानी चाहिए।’
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नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद 30 दिसंबर तक जमा की गयी बेहिसाब राशि के बारे में अगर कर अधिकारियों के समक्ष घोषणा की जाती है तो उस पर 50 प्रतिशत कर लगेगा और साथ ही चार साल के लिये निकासी पर रोक (लाक-इन अवधि) होगी। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक अगर घोषणा नहीं की जाती है और कर अधिकारी इसका पता लगाते हैं तो इस पर 60 प्रतिशत कर लगेगा और निकासी पर लंबे समय के लिये रोक होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कल रात मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव पर विचार किया गया। एक सूत्र ने कहा, ‘सरकार इसे प्रभाव में लाने के लिये संसद के मौजूदा सत्र में आयकर कानून में संशोधन करेगी।’ सूत्रों ने कहा कि सरकार नोटबंदी की घोषणा इस बात को लेकर गंभीर है कि 10 नवंबर से 30 दिसंबर तक 50 दिन की अवधि में सभी बेहिसाब धन बैंक खातों में जमा हो।
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नई दिल्ली: नोटबंदी पर विपक्ष के भारी हंगामे के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई। वहीं, सरकार ने नए नियम जारी किए हैं जिसके मुताबिक 1000 रुपये के नोट का इस्तेमाल कहीं नहीं किया जा सकता । बैंकों और डाकघरों में आज (गुरूवार) आधी रात के बाद से 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट नहीं बदले जाएंगे। यह बात सरकार ने कही है। हालांकि लोग अभी भी बैंक खातों में अपने पुराने बिलों को जमा करने और और वर्तमान सीमा के तहत नकद निकासी के लिए जा सकते हैं। सरकार लोगों को बैंक खाता खोलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती है । हालांकि पुराने नोट वर्ष के अंत तक जमा कराए जा सकते हैं। फिलहाल प्रति सप्ताह निकासी की सीमा 24,000 रुपये को बरकरार रखा गया है । एटीएम से 2500 रुपये प्रतिदिन निकाले जा सकते हैं । देश के 2 लाख एटीएम को नए नोट निकालने के अनुकूल बना दिया गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये बैंक के प्रमुखों से आज शाम बातचीत की। विदेशी नागरिकों को प्रति सप्ताह 5000 रुपये तक के नोट की अदला-बदली कराने की अनुमति है। पुराने नोटों से पानी और बिजली के बिल 15 दिसंबर तक जमा कराए जा सकते हैं । सरकार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, "यह तथ्य सामने आया है कि बैंकों में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों की अदला-बदली में कमी आ रही है। लिहाजा, काउंटर पर होने वाली अदला-बदली को आज रात से बंद किया जा रहा है।" पुराने नोट के इस्तेमाल की अवधि भी सरकार ने बढ़ा दी है।
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