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मनामा: भारत और बहरीन ने व्यापार और आतंकवाद निरोध जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपने संबंधों को प्रगाढ़ करने का संकल्प जताया। इसके अलावा सजा पाने वाले लोगों के हस्तांतरण से संबंधित एक समझौते पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किया। साथ ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने बहरीनी समकक्ष से यहां बातचीत की। स्वराज भारत-अरब लीग सहयोग मंच की कल होने वाली पहली मंत्रिस्तरीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए यहां की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। स्वराज ने बहरीन के विदेश मंत्री खालिद बिन अहमद अल खलीफा के साथ व्यापक चर्चा की। बातचीत के बाद दोनों नेताओं ने सजा पाने वाले लोगों के हस्तांतरण से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किया। समझौते के अनुसार एक बार किसी व्यक्ति को दूसरे देश में सजा सुना दिए जाने के बाद वह अपने मूल देश में सजा काट सकता है।

वॉशिंगटन: राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में डेमोकेट्रिक पार्टी में सबसे आगे चल रहीं हिलेरी क्लिंटन के अभियान को आयोवा कॉकस में प्राइमरी सीजन से एक हफ्ते पहले तब एक बड़ी मजबूती मिली जब मध्य पश्चिमी राज्य के एक बड़े अखबार ने उन्हें अपना समर्थन दिया। आयोवा के प्रभावशाली अखबार डेस मोइनेस ने एक फरवरी को होने वाले आयोवा कॉकस से पहले फ्लोरिडा के सीनेटर एवं राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल रिपब्लिकन मार्को रूबियो का भी समर्थन किया जो अग्रिम मोर्चे पर चल रहे डोनाल्ड ट्रंप और रनर अप टेड क्रुज के बाद तीसरे नंबर पर हैं। ट्रंप और क्रुज ने दैनिक से समर्थन नहीं मांगा था।

सैन फ्रांसिस्को: अमेरिका की एक अदालत ने 2008 में सैक्रामेंटो में एक सिख खेल परिसर में एक समारोह के दौरान अपने एक हमवतन की हत्या और एक दूसरे को घायल करने के लिए 30 साल के एक भारतीय व्यक्ति को 82 साल के कैद की सजा सुनायी। 'द सैक्रोमेंटो बी' की खबर के अनुसार सैक्रामेंटो की उपरी अदालत के न्यायाधीश रिचर्ड सूयोशी ने गत शुक्रवार को अमनदीप सिंह धामी को 31 अगस्त, 2008 को 26 साल के परमजीत सिंह की हत्या और परमजीत के सहयोगी साहिबजीत सिंह को घायल करने के लिए सजा सुनायी। दिनदहाड़े हत्या के बाद धामी घटनास्थल से फरार हो गया था। लोगों ने दूसरे हमलावर गुरप्रीत सिंह गोसल (28) को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था। गोसल को 25 साल के कैद की सजा सुनायी गयी है। धामी पांच साल के लिए भारत भाग गया था लेकिन 2013 में उसे कैलिफोर्निया प्रत्यर्पित कर दिया गया था।

काठमांडो: नेपाल के आंदोलनकारी मधेसियों ने वर्तमान राजनीतिक संकट को हल करने और भारत के साथ लगते अहम सीमा व्यापारिक मार्गों की नाकेबंदी खत्म करने के उद्देश्य से संसद में पारित हुए संविधान संशोधन विधेयक को ‘अपूर्ण’ करार देकर खारिज कर दिया है और कहा कि इससे संघीय पुनर्सीमांकन को लेकर उनकी चिंताओं का समाधान नहीं हुआ है। कल दो तिहाई बहुमत से पारित संशोधन मधेसियों की दो अहम मांगों - मूलरूप से भारतीय मूल के अल्पसंख्यक समुदाय को अनुपातिक प्रतिनिधित्व और जनसंख्या के आधार पर संसद में सीटों के आवंटन पर केंद्रित है। आंदोलनकारी दलों के सांसदों ने यह कहते हुए मत-विभाजन का बहिष्कार किया कि यह संशोधन अपूर्ण है क्योंकि यह संघीय पुनर्सीमांकन समेत उनकी चिंताओं का समाधान नहीं करता।

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