वॉशिंगटन: अमेरिका में आए भीषण बर्फीले तूफान ने राजधानी वॉशिंगटन डीसी समेत देश के पूर्वी तट के अधिकतर हिस्से को प्रभावित किया है। ऐसी आशंका है कि इस तूफान में रिकॉर्ड 30 इंच तक की बर्फबारी हो सकती है। इस तूफान के चलते 1.2 लाख से भी ज्यादा घरों से बिजली गायब है और लाखों लोगों का जीवन एक तरह से पंगु हो गया है। वॉशिंगटन डीसी के अलावा इस तूफान के कारण जो राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, वे हैं- उत्तर कैरोलाइना , टेनेसी, मैरीलैंड, वर्जीनिया, फिलाडेल्फिया, न्यू जर्सी और न्यू यॉर्क। हालिया गणना के अनुसार कल बर्फ के इस भयंकर तूफान ने तेज हवाओं के साथ क्षेत्र में कई इंच मोटी बर्फ बरसानी शुरू कर दी। इसके कारण 1.2 लाख से ज्यादा घरों से बिजली चली गई।
इस बर्फीले तूफान के कारण सप्ताहांत पर रिकॉर्ड 30 इंच की बर्फबारी की आशंका के चलते वाशिंगटन डीसी और क्षेत्र के लगभग छह अन्य राज्यों में आपातकाल की घोषणा कर दी गई है। वॉशिंगटन की मेयर एम ई बाउजर ने कहा, हमने ऐसी भविष्यवाणी की है, जो हमने पिछले 90 साल में नहीं की। यह जिंदगी और मौत का मामला है और कोलंबिया के सभी निवासियों को इसे इसी तरह से लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि डिस्ट्रिक्ट नेशनल गार्डस को ड्यूटी पर तैनात किया गया है। नेशनल वेदर सर्विस ने कहा, भारी बर्फबारी और तेज हवाओं के कारण बहुत कम दृश्यता वाली स्थितियां पैदा हो जाएंगी और यात्रा करना बहुत खतरनाक हो जाएगा। नेशनल वेदर सर्विस के अनुसार, यह बर्फीला तूफान 36 घंटे तक जारी रह सकता है और कुछ स्थानों पर दो फुट से ज्यादा बर्फ गिर सकती है। इस सेवा ने एक ट्वीट में कहा कि इस तूफान के असली रूप का पता आज दोपहर से लेकर आधी रात तक चलेगा। इसमें कहा गया, भारी बर्फबारी, तेज हवाओं और बिजली गिरने का खतरा है। वर्जीनिया में स्थानीय मीडिया की खबरों के अनुसार, कल शाम को बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं हुईं। वर्जीनिया की पुलिस ने 800 से ज्यादा यातायात दुर्घटनाओं पर प्रतिक्रिया दी। बाहर का तापमान शून्य से कम होने के चलते लोग अंदर ही रहे। स्थानीय सरकारों ने क्षेत्र में बड़ी सड़कों और राजमार्गों से बर्फ हटाने के लिए बर्फ हटाने वाली गाड़ियों और नमक के ट्रकों का इंतजाम किया है। नॉर्थ अमेरिकन तेलुगू असोसिएशन ने समुदाय ने सदस्यों से अपील की है कि वे घरों के अंदर ही रहें और सुरक्षा के लिए हर ऐहतिहात बरतें। वर्जीनिया में एक बड़ी संख्या तेलुगू लोगों की है। बड़ी संख्या में मंदिरों, गुरूद्वारों और अन्य पूजाघरों ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शरण देने के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं।