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इस्लामाबाद: पाकिस्तान को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के रहते भारत के साथ संबंधों में किसी सफलता की उम्मीद नहीं है। यह बात प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कही है। उन्होंने भारत पर ‘वर्चस्ववादी रवैया’ अपनाने का भी आरोप लगाया। अजीज ने कहा, ‘पाकिस्तान क्षेत्र में भारत के वर्चस्ववादी रवैये का विरोध कर रहा है और समान आधार पर द्विपक्षीय संबंधों को प्रोत्साहन देने का आह्वान कर रहा है।’ अजीज द्वारा दिए गए टेलीविजन साक्षात्कार को उद्धृत करते हुए एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान (एपीपी) ने कहा, ‘मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रहते भारत के साथ संबंधों में सफलता की कोई उम्मीद नहीं है।’ अजीज ने कहा कि संसद के संयुक्त सत्र में कल सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें कश्मीर में भारत की बर्बरता की निंदा, संघर्ष विराम उल्लंघन, सिंधु जल समझौते को वापस लेने की भारत की धमकी की निंदा और बलूचिस्तान में भारत के हस्तक्षेप समेत सारे मुद्दे शामिल हैं। अजीज ने कहा कि इन सभी प्रयासों का मुख्य बिंदु दुनिया को यह दिखाना था कि कश्मीर में भारत की बर्बरता की निंदा करने और कश्मीरी जनता को नैतिक, कूटनीतिक और राजनैतिक समर्थन देने में समूचा पाकिस्तान एकजुट है। अजीज ने कहा कि दुनियाभर में विभिन्न मंचों पर संवाद के दौरान बहुमत ने देखा कि दोनों देशों के बीच बातचीत बहाल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान-भारत सीमा को सील करने में कोई नुकसान नहीं है, अगर लोगों की आवाजाही और व्यापार द्वारों को कायम रखा जाता है।
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वॉशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने जलवायु परिवर्तन पर 2009 में हुए कोपेनहेगन शिखर सम्मेलन के समझौते के एक दिन पहले अपनी पत्नी एवं पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को सलाह दी थी कि गरीब देशों को चीन और भारत से कैसे दूर रखा जाए। बिल ने 17 दिसंबर, 2009 को हिलेरी को भेजे एक ईमेल में लिखा था, ‘पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर गरीब देशों को भारत, चीन इत्यादि से दूर रखने के लिए तुम उन्हें यह चीज पेश कर सकती हो: चाहे वो जो भी प्रतिबद्धता करते हैं वह किसी विकल्प की उपलब्धता पर निर्भर होनी चाहिए, जो उनकी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है।’ हिलेरी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा जलवायु परिवर्तन पर किसी समझौते पर पहुंचने की दिशा में मुहिम चलाने कोपेनहेगन में थे। चीन और भारत के नेतृत्व में कई देश इसका विरोध कर रहे थे। चीन और भारत तीसरी दुनिया का नेतृत्व करने की कोशिश कर रहे थे। बिल ने कहा, ‘मेरा सुझाव है कि तुम इसकी शुरूआत यह कहकर कर सकती हो कि अगर हम सही तरीके से इसे निबटें और सही वित्तीय विकल्प उपलब्ध कराएं तो यह चुनौती एक मौका बन सकती है क्योंकि पुरानी उर्जा अर्थव्यवस्था को अब उर्जा की उपलब्धि और खपत को नए तरीकों पर बढ़त हासिल नहीं है।’ ईमेल के मजमून से प्रतीत होता है कि जलवायु परिवर्तन पर उस वक्त चल रहे शिखर सम्मेलन में चुनौतियों के बेहतर हल की दिशा में हिलेरी ने अपने पति से सुझाव मांगा था।
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लाहौर: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी के एक सांसद ने 2008 मुंबई आतंकी हमले के मुख्य षड्यन्त्रकर्ता और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद को संरक्षण देते रहने को लेकर सरकार पर सवाल उठाया और इसे ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के अलग-थलग पड़ने का कारण बताया। नेशनल एसेम्बली की विदेश मामलों पर स्थाई समिति की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में पीएमएल-एन के सांसद राणा मुहम्मद अफजल ने कहा, ‘हाफिज सईद हमारे लिए कौन से अंडे दे रहा है कि हम उसका संरक्षण कर रहे हैं? जब हम हाफिज सईद को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं तो हमारी विदेश नीति की प्रभावी क्षमता स्वयं पता चल रही है।’ अफजल ने कहा, ‘भारत ने जमात-उद-दावा प्रमुख के बारे में हमारे खिलाफ ऐसा मामला तैयार किया है कि कश्मीर पर होने वाली बैठक के दौरान विदेशी प्रतिनिधि सईद का नाम पाकिस्तान और कश्मीर के बीच विवाद के विषय के रूप में करते हैं।’ उन्होंने अपनी हालिया फ्रांस यात्रा का जिक्र किया, जहां उनसे कश्मीर के बिगड़ते हालात के बारे में पूछा गया था। उन्होंने कहा कि विदेशी प्रतिनिधियों द्वारा सईद का नाम बार-बार लिया गया क्योंकि उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर ‘कुख्यात किरदार’ माना जाता है।अफजल की टिप्पणी से नाराज सईद ने शरीफ से सत्तरूढ़ पार्टी के ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। सईद ने प्रतिक्रिया में कहा, ‘मैं नवाज शरीफ को उनके ‘बेवकूफ दोस्तों’ से दूर रहने की चेतावनी देता हूं, जो कश्मीर के मामले को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
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वाशिंगटन: कश्मीर मुद्दे पर समर्थन जुटाने के लिए अमेरिका गए पाकिस्तान के दो विशेष उच्चायुक्तों ने बलूचिस्तान के मसले पर भारत को धमकाया है। अमेरिका के स्टीम्सन सेंटर में अपनी बात रखते हुए नवाज शरीफ विशेष दूत मुशाहिद हुसैन सैयद ने कहा कि अगर भारत बलूचिस्तान का मुद्दा उठाना बंद नहीं करता है, तो पाकिस्तान 'खालिस्तान, नागालैंड, त्रिपुरा, असम, सिक्किम और माओवाद विद्रोह का जिक्र कर' जवाब दे सकता है। दोनों उच्चायुक्तों से वॉशिंगटन डीसी में आतंक को समर्थन देने, परमाणु हमले की धमकी और पाकिस्तान के एक राष्ट्र राज्य के रूप में असफल होने को लेकर तीखे सवाल पूछे गए। दोनों उच्चायुक्तों ने अमेरिका से कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है, तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान में भारत और अमेरिका के प्रयासों को अस्थिर कर काबुल में शांति के प्रयासों पर पानी फेर देगा। स्टीम्सन सेंटर में उपस्थित भीड़ को संबोधित करते हुए कश्मीर मसले पर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विशेष दूत मुशाहिद हुसैन सैयद ने कहा, 'जब आप शांति की बात करते हैं, तो काबुल में शांति का रास्ता कश्मीर से जुड़ता है। आप शांति को बांट नहीं सकते, एक भाग को अलग नहीं कर सकते। आप काबुल में शांति चाह सकते हैं, लेकिन कश्मीर को जलते नहीं छोड़ सकते.. ऐसा नहीं हो सकता।' सैयद के साथी शेजरा मनसब ने परमाणु हथियारों की धौंस दिखाते हुए कहा कि 'इस समय हमारे लिए महत्वपूर्ण मसला कश्मीर है और इस क्षेत्र में कोई शांति स्थापित नहीं हो सकती अगर यह मुद्दा हल नहीं होता है।'
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