वाशिंगटन: कश्मीर मुद्दे पर समर्थन जुटाने के लिए अमेरिका गए पाकिस्तान के दो विशेष उच्चायुक्तों ने बलूचिस्तान के मसले पर भारत को धमकाया है। अमेरिका के स्टीम्सन सेंटर में अपनी बात रखते हुए नवाज शरीफ विशेष दूत मुशाहिद हुसैन सैयद ने कहा कि अगर भारत बलूचिस्तान का मुद्दा उठाना बंद नहीं करता है, तो पाकिस्तान 'खालिस्तान, नागालैंड, त्रिपुरा, असम, सिक्किम और माओवाद विद्रोह का जिक्र कर' जवाब दे सकता है। दोनों उच्चायुक्तों से वॉशिंगटन डीसी में आतंक को समर्थन देने, परमाणु हमले की धमकी और पाकिस्तान के एक राष्ट्र राज्य के रूप में असफल होने को लेकर तीखे सवाल पूछे गए। दोनों उच्चायुक्तों ने अमेरिका से कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है, तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान में भारत और अमेरिका के प्रयासों को अस्थिर कर काबुल में शांति के प्रयासों पर पानी फेर देगा। स्टीम्सन सेंटर में उपस्थित भीड़ को संबोधित करते हुए कश्मीर मसले पर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विशेष दूत मुशाहिद हुसैन सैयद ने कहा, 'जब आप शांति की बात करते हैं, तो काबुल में शांति का रास्ता कश्मीर से जुड़ता है। आप शांति को बांट नहीं सकते, एक भाग को अलग नहीं कर सकते। आप काबुल में शांति चाह सकते हैं, लेकिन कश्मीर को जलते नहीं छोड़ सकते.. ऐसा नहीं हो सकता।' सैयद के साथी शेजरा मनसब ने परमाणु हथियारों की धौंस दिखाते हुए कहा कि 'इस समय हमारे लिए महत्वपूर्ण मसला कश्मीर है और इस क्षेत्र में कोई शांति स्थापित नहीं हो सकती अगर यह मुद्दा हल नहीं होता है।'
भारत और पाकिस्तान के परमाणु शक्ति संपन्न होने की स्थिति में इस मुद्दे का हल होना जरूरी है। हालांकि कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी हस्तक्षेप के लिए पाकिस्तान के प्रयासों को कुछ खास सफलता नहीं मिली और इसके बाद नवाज शरीफ के 'दूतों' ने धमकी और ब्लैकमेलिंग का खेल खेलना शुरू कर दिया। स्टीम्सन सेंटर के सहसंस्थापक और लंबे समय तक दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ रहे माइकल क्रेपन ने इस मसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 'कश्मीर में स्थिति दुनिया के युद्धग्रस्त अन्य इलाकों से ज्यादा बेहतर है।' क्रेपन कश्मीर में सीरिया की तरह अमेरिका के हस्तक्षेप और पाकिस्तान के तर्कों को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे। पाकिस्तानी दूत सैयद ने कहा, 'हम अमेरिका से हस्तक्षेप की सिफारिश करते हैं, क्योंकि भारत के साथ बातचीत शुरू करने के लिए अनुमति देने और लाभ उठाने की स्थिति में है, ताकि कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन को खत्म किया जा सके। इसके साथ ही यह भी कि कश्मीर में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का लागू होना सुनिश्चित किया जा सके।' इससे पहले पाकिस्तान के प्रयासों को करारा झटका, तब लगा जब एक दूसरे थिंक टैंक ने बुधवार को गिलगित-बाल्टिस्तान, पीओके, बलूचिस्तान और सिंध में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मसला उठाया। इस पाकिस्तानी थिंक टैंक का कहना था कि अपने ही घर में पाकिस्तान का रिकॉर्ड बेहद खराब है और जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों की बात करने का नैतिक अधिकार उसके पास नहीं है, जहां स्थिति कहीं ज्यादा बेहतर है। 'खेल के नियम बदल रहा भारत' थिंक टैंक की इन दलीलों ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त को असहज कर दिया और गुरुवार को सैयद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बलूचिस्तान पर दिए बयान का जिक्र कर दिया। सैयद ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भारत ऐसा करना नहीं छोड़ता, तो पाकिस्तान 'खालिस्तान, नागालैंड, त्रिपुरा, असम, सिक्किम और माओवाद विद्रोह का जिक्र कर' जवाब दे सकता है। उन्होंने आगे कहा कि हम ऐसा नहीं करना चाहते क्योंकि यह पड़ोसी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना होगा, लेकिन भारत खेल के नियम बदल रहा है और फिर यह जैसे को तैसा वाली तर्ज पर होगा। बता दें कि पाकिस्तानी विशेषज्ञ और एंकर पूरी स्वतंत्रता से भारत में तथाकथित 17 या 27 या 32 विद्रोह का जिक्र करते रहे हैं और यह भी कि कैसे पाकिस्तान इसका फायदा उठा सकता है, अगर भारत ने कश्मीर मुद्दा हल नहीं किया। मुशाहिद हुसैन सैयद ने कहा कि बातचीत शुरू करने और विश्वास बहाली के लिए पाकिस्तान वह सबकुछ करने को तैयार है, जो भारत चाहता है। हालांकि उनके पास कोई जवाब नहीं है कि पाकिस्तान आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करता है बजाय 'और सबूत मांगने के।'