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मनीला: फिलीपीन्स की राजधानी मनीला में सुरक्षा बलों ने इस्लामिक स्टेट (आईएस) के दो संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है जिनमें एक कुवैत का नागरिक है तथा दूसरा सीरिया की गर्भवती महिला है। अधिकारियों ने कल बताया कि कुवैती नागरिक हुसैन अल धाकिरी तथा सीरिया की महिला रजफ जीना को गिरफ्तार किया गया है। ये दोनों जनवरी से मनीला में रह रहे थे। उन्होंने कहा कि दोनों को नारंगी रंग की जेल की लिबास में पत्रकारों समक्ष पेश किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि धाकिरी को कुवैत भेजा जाएगा जहां उस पर एक बम प्लांट करने का आरोप है। इसी प्रकार जीना को कतर भेजा जाएगा जहां से वह मनीला आयी है। प्रवासी अधिकारियों ने कहा कि हम लोग इसकी जांच कर रहे हैं कि ये दोनों आखिर क्यों फिलीपीन्स में रह रहे थे।
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पेरिस: सीरिया के उत्तर पश्चिमी इदलिब प्रांत में मंगलवार को संदिग्ध रासायनिक हमले में कम से कम 100 लोगों की मौत हो गई और 400 से अधिक को सांस लेने तथा अन्य दिक्क्तें हैं। सीरिया के एक चिकित्सा राहत समूह ने यह जानकारी दी है। डॉक्टरों और कार्यकर्ताओं के मुताबिक बाद में घायलों का इलाज कर रहे क्लीनिकों पर विमानों से हमला किया गया। हमले में मरने वालों में बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं। पेरिस में कार्यरत अंतराष्ट्रीय संगठन ‘यूनियन आफ मेडिकल केयर आगेर्नाइजेशन’ के मुताबिक इस हमले में मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है। संगठन ने बताया कि इस हमले में दक्षिण इदलिब के खान शेखोन के आसपास के गांव बुरी तरह प्रभावित हुए है। इदलिब शहर में इस तरह के हमलों की 40 से अधिक घटनाएं हुई हैं। इसे देखते हुए मृतकों की संख्या में बढ़ोतरी से इनकार नहीं किया जा सकता है। यूरोपीय संघ ने कहा है कि इस संदिग्ध रासायनिक हमले की जिम्मेदारी सीरियाई सरकार की है। फ़्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग की है। तुर्की ने रूस से बातचीत में ये मामला उठाया है। सीरिया की सरकार लगातार रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल से इनकार कर रही है। हालांकि सीरिया सरकार पर पहले भी रासायनिक हमले के आरोप लगे हैं। अगर ये साबित होता है कि ये रासायनिक हमला था तो सीरिया में गृहयुद्ध छिड़ने के 6 सालों में ये सबसे घातक रासायनिक हमला होगा। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सीरिया में हुई मौतों पर दुख जताया है।
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वाशिंगटन: अमेरिका ने पाकिस्तान आधारित जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों पर चीन के लगातार विरोध के बीच आज कहा कि जो देश आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने से रोकने के लिए वीटो का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे उसे कार्रवाई करने से नहीं रोक पाएंगे। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निकी हेली ने यहां संवाददाताओं से कहा, प्रशासन इन सभी रास्तों पर विचार कर रहा है और हमने जिन कुछ चीजों पर बात की है वे प्रतिबंधों से संबंधित हैं और यह हैं कि कौन सूची में है तथा कैसे हमें इनसे निपटना है। हेली ने अप्रैल के लिए सुरक्षा परिषद की अध्यक्ष की भूमिका संभालने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुये यह टिप्पणी की है। उनसे आतंकवादियों खास तौर से दक्षिण एशिया क्षेत्र के आतंकवादियों को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के तहत लाने के प्रयासों और कैसे अन्य स्थायी सदस्य वीटो की शक्ति का इस्तेमाल कर इन प्रयासों को रोक रहे हैं, के बारे में पूछा गया था। हेली ने कहा, क्या हमारे पास ऐसे लोग हैं तो कुछ मुददों पर वीटो करते हैं हां, लेकिन यह अमेरिका को कार्रवाई करने से नहीं रोकता है और निश्चित तौर पर हमें इससे नहीं रोकता कि क्या हम इसमें बदलाव कर सकते हैं। अमेरिका चाहता है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि वह परिणाम की ओर बढ़ रहा है और चुपचाप नहीं बैठा है और चीजों को ऐसे ही चलते रहने नहीं दे सकता।
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संयुक्त राष्ट्र: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ रही दूरियों को पाटने के लिए अमेरिका ने अपना हाथ बढ़ाया है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थाई सदस्य निकी हैली का कहना है कि दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर करने के लिए होने वाली शांति प्रक्रिया में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शामिल होना चाहते हैं। निकी हैली ने कहा कि ट्रंप सरकार इस बात को लेकर काफी गंभीर है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ रही दूरियों को कैसे खत्म किया जाए। हर कोई यह देखना चाहता है कि यह दोनों देश मतभेदों को मिटाकर कैसे आगे आते हैं। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन अपनी भूमिका को लेकर संभावना तलाश रहा है साथ ही बातचीत भी कर रहा है। एक अखबार को दिए इंटरव्यू में हैली ने कहा कि उन्हें खुशी होगी यदि दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के लिए यूएस मध्यस्थ की भूमिका में होगा। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि एक ओर जहां पाकिस्तान किसी अन्य देश की मध्यस्थता की बात स्वीकार करता रहा है वहीं भारत पहले से ही इसमें किसी मध्यस्थता से इंकार करता रहा है। वर्ष 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए हुए प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि यदि भारत और पाकिस्तान चाहे तो वह दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हैं। लेकिन ऐसा तभी होगा जब दोनों देश इसको लेकर सहमत होंगे। भारत-पाकिस्तान को लेकर ट्रंप प्रशासन के किसी कैबिनेट सहयोगी का इस तरह से दिया गया यह पहला आधिकारिक बयान है।
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