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पेशावर: पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर अशांत कबायली इलाके के एक भीड़भाड़ वाले बाजार में शिया इमामबाड़े के बाहर शुक्रवार को हुए एक आत्मघाती हमले में कम से कम 24 लोगों की मौत हो गई और 100 अन्य घायल हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी तालिबान ने ली है। विस्फोट के समय लोग जुमे की नमाज पढ़ रहे थे। हमलावर ने खुर्रम एजेंसी में पाराचिनार के सेन्ट्रल बाजार में इमामबाड़ा के मुख्य प्रवेश द्वार के समीप खुद को उड़ा लिया। स्थानीय मीडिया ने खबर दी है कि विस्फोट में कम से कम 24 लोग मारे गए और 100 अन्य घायल हो गए। घायलों में कई लोगों की हालत गंभीर बताई गई है. गंभीर रूप से घायल 27 लोगों को हवाई मार्ग से पेशावर के अस्पतालों में ले जाया गया। विस्फोट में कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हुये हैं। पाकिस्तानी तालिबान से अलग होकर बने समूह जमात-उल-अहरार ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर दी है जबकि आपात सेवाओं को मौके पर भेज दिया गया है। प्रशासन ने इलाके के सभी अस्पतालों में आपात स्थिति की घोषणा कर दी है। इंटर-सर्विस पब्लिक रिलेशन्स (आईएसपीआर) ने एक बयान में कहा कि सेना के एक हेलीकॉप्टर को भी घायलों को लाने के लिए पाराचिनार भेज दिया गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हमले पर शोक जताया और इसकी निंदा करते हुए कहा ‘यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम आतंक के खिलाफ लड़ाई जारी रखें।’

वॉशिंगटन: दक्षिण एशियाई मामलों पर एक शीर्ष अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद पर वैश्विक युद्ध के दौरान अमेरिका के साथ ‘दोहरा खेल’ खेला है और उन्होंने ट्रंप प्रशासन से आग्रह किया कि वह कई ‘हथकंडों’ का इस्तेमाल कर पाकिस्तान से उसकी ‘जिहादी आदत’ छोड़ने की मांग करें। जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के सुरक्षा अध्ययन कार्यक्रम की एसोसिएट प्रोफेसर सी क्रिस्टिन फेयर ने द नेशनल इंट्रेस्ट मैगजीन के गुरुवार को प्रकाशित हुए लेख में लिखा, ‘वॉशिंगटन को यह मांग करने की जरूरत है कि पाकिस्तान अपनी जिहाद की आदत छोड़ें जबकि साथ ही वह यह सुनिश्चित करने के लिए काम करें कि प्रतिशोध की निरंतर चल रही कार्रवाई समाप्त हों।' आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने के लिए पाकिस्तान की प्रमुख आलोचक के तौर पर सामने आयी फेयर ने लिखा, ‘अमेरिका के पास प्रतिबंधों से लेकर पाकिस्तान को आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश घोषित करने, सैन्य सहायता में महत्वपूर्ण कटौती करने तक इस समस्या से निपटने के कई हथकंडे हैं। अब अमेरिका को इन हथकंडों को आजमाने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ तथाकथित वैश्विक लड़ाई के शुरुआती वर्षों से लेकर अब तक पाकिस्तान ने दोहरा खेल खेला है। एक तरफ उसने पाकिस्तान और अफगानिस्तान में इस्लामी आतंकवाद से लड़ाई में सहयोग के नाम पर पाकिस्तान से करीब 33 बिलियन डॉलर लिये है।

सोल: दक्षिण कोरिया की अपदस्थ राष्ट्रपति पार्क ग्यून हे को अदालत के आदेश के बाद हिरासत में ले लिया गया है।पार्क को तड़के से थोड़ा पहले बल्बों की रोशनी वाले एक बैराज से सोल हिरासत केन्द्र ले जाया गया है। इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति आत्मसंयम रखते हुए सीधे आगे बढ़ गईं। राजधानी की एक अदालत में कल देर तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें गिरफ्तार करने के आदेश दिए, जिसके बाद लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति को अभियुक्त बनते देखा। अदालत ने अपने आदेश में कहा,‘पार्क को गिरफ्तार करना न्यायसंगत और जरूरी है क्योंकि मुख्य आरोप तर्कसंगत हैं और साक्ष्यों के नष्ट होने का खतरा है। ’पार्क के पहुंचने से पहले करीब 50 समर्थक हिरासत केन्द्र पहुंच गए थे और देश का झंडा लहराते हुए उनकी रिहाई की मांग कर रहे थे।

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ होने वाली बैठक को बहुत ही मुश्किल बताया है। ट्रंप ने ट्वीट कर कहा, “चीन के राष्ट्रपति के साथ बैठक मुश्किल होगी। हम बहुत अधिक समय तक व्यापार घाटे में नहीं रह सकते और न ही रोजगारों के अवसरों को खो सकते हैं। अमेरिकी कंपनियों को अन्य विकल्पों के लिए भी तैयार रहना पड़ेगा।” समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच मुख्य तौर पर आर्थिक एवं व्यावसायिक क्षेत्रों पर बता होगी। गौरतलब है कि ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के दौरान अमेरिकी व्यापार घाटे और रोजगार के अवसर खोने के लिए मेक्सिको और चीन को जिम्मेदार ठहराया था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने कहा कि अमेरिका के साथ चीन का 40 फीसदी व्यापार अधिशेष अमेरिकी कंपनियों के जरिए चीन में आता है। लु ने यह भी कहा कि द्विपक्षीय व्यापार से अमेरिका में 26 लाख रोजगारों का भी सृजन हुआ है। व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, ट्रंप अगले गुरुवार और शुक्रवार को चिनफिंग की फ्लोरिडा के मार-आ-लागो रिट्रीट में मेजबानी करेंगे। इस साल 20 जनवरी को ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद से दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच यह पहली मुलाकात होगी।

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