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'हाईकोर्ट के आदेश तक ट्रायल कोर्ट कोई कार्रवाई न करे': सुप्रीम कोर्ट

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पूर्व के बयान से पलटते हुए कहा है कि नाटो ‘अब अप्रासंगिक’ नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि वह सैन्य गठबंधन के लिए प्रतिबद्ध हैं। ‘नाटो’के महासचिव जेन्स स्टोल्टनबर्ग के साथ व्हाइट हाउस में एक साझा संवाददाता सम्मेलन में ट्रंप ने कहा, ‘मैंने बहुत पहले उसको लेकर शिकायत की थी और उनहोंने बदलाव किए और अब वे आतंकवाद से लड़ते हैं। मैंने कहा था कि वह अप्रासंगिक है लेकिन अब वह अप्रासंगिक नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘यह मेरी उम्मीद है कि ‘नाटो’ आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई में हमारे इराकी सहयोगियों की सहायता में अपनी भूमिका बढ़ाएगा।’ ‘नाटो’ का गठन वर्ष 1949 में किया गया था, तब से अभी तक इसके सदस्यों की संख्या 12 से बढ़कर 28 हो गई है। सोमवार को उन्होंने 29वें देश मोंटेनेग्रो को इसका हिस्सा बनाने के लिए प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये। ट्रंप ने कहा, ‘आने वाले महीनों और वर्षों में, मैं अपने सभी नाटो सहयोगियों के साथ साझेदारी को बढ़ाने और भविष्य में पेश होने वाली चुनौतियों (जो की बहुत ज्यादा होंगी) से सामंजस्य स्थापित करने के लिए निकटता से काम करूंगा। इसमें आव्रजन एवं आतंकवाद सहित सुरक्षा के मुद्दे पर अपना फोकस बढ़ाना शामिल है।’ उन्होंने कहा कि सीरिया में मौजूदा स्थिति का हल करने के लिए ‘नाटो’देशों को एक साथ आना चाहिए।

वाशिंगटन: अमेरिकी सेना ने गुरुवार को अफगानिस्तान में अपना सबसे बड़ा गैर परमाणु बम गिराया। उसके निशाने पर ननगहार प्रांत के अचिन जिले में स्थित आईएस की गुफाएं थीं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने यह जानकारी दी। यह पहली मौका है जब अमेरिका ने युद्धक्षेत्र में इस बम का इस्तेमाल किया है। इस मिशन की जानकारी रखने वाले चार अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने बताया कि सेना ने अफगानिस्तान में सबसे बड़ा बम गिराया है। सूत्रों ने बताया कि जीबीयू-43/बी मैसिव आर्डनेंस एयर ब्लास्ट बम गुरुवार को स्थानीय समयानुसार शाम सात बजे गिराया गया। इस बम का निकनेम मॉब (एमओएबी) भी है। इसे 'मदर ऑफ ऑल बम्ब' भी कहा जाता है। इसका वजन 21600 पाउंड है और यह जीपीएस से निर्देशित है। यह बम अमेरिका का शक्तिशाली गैर परमाणु बम है। अमेरिकी सेना ने गुरुवार को अफगानिस्तान में अपना सबसे बड़ा गैर परमाणु बम गिराया। उसके निशाने पर ननगहार प्रांत के अचिन जिले में स्थित आईएस की गुफाएं थीं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने यह जानकारी दी। यह पहली मौका है जब अमेरिका ने युद्धक्षेत्र में इस बम का इस्तेमाल किया है। इस मिशन की जानकारी रखने वाले चार अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने बताया कि सेना ने अफगानिस्तान में सबसे बड़ा बम गिराया है। सूत्रों ने बताया कि जीबीयू-43/बी मैसिव आर्डनेंस एयर ब्लास्ट बम गुरुवार को स्थानीय समयानुसार शाम सात बजे गिराया गया।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और देश की सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने बुधवार को इस बात पर सहमति जताई कि वे भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में किसी भी तरह के दबाव में नहीं आएंगे। जाधव को जासूसी के आरोपों को लेकर मौत की सजा दी गई है। समा टीवी की खबर के अनुसार सेना प्रमुख जनरल बाजवा शरीफ से मिले और जाधव के मामले को लेकर प्रधानमंत्री को भरोसे में लिया। चैनल ने ज्यादा ब्यौरा दिए बिना कहा कि जाधव के मुद्दे पर दोनों किसी भी तरह के दबाव में ना आने पर सहमत हुए। वहीं, रेडियो पाकिस्तान की खबर के अनुसार दोनों ने इस्लामाबाद में हुई अपनी बैठक में सेना की पेशेवर तैयारी, सुरक्षा एवं सीमा की मौजूदा स्थिति से जुड़े विषयों पर चर्चा की। सेना प्रमुख ने शरीफ को आतंकवाद के खिलाफ सेना द्वारा शुरू किए गए अभियान रदद उल फसाद में हुई प्रगति की भी जानकारी दी। सेना प्रमुख और प्रधानमंत्री के बीच हुई यह पहली सीधी बातचीत थी। वहीं, पाकिस्तान के सूचना राज्य मंत्री ने कहा कि उनका देश जाधव के मामले में झुकेगा नहीं। उसने कहा कि जाधव को सजा देने में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है। जादव के जासूसी शामिल होने के संबंध में सूचना कई देशों के साथ साझा की गई है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह भारतीय जासूस है।

बीजिंग: तिब्बत के बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा को लेकर चीन के साथ बढ़ी तल्खी थमने का नाम नहीं ले रही है। चीन ने इस मसले पर अब तक का सबसे कड़ा बयान दिया है। चीन ने कहा कि भारत ने तिब्बत को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को तोड़ा है और उसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि भारत दलाई लामा की राजनीतिक और भड़काऊ बयानबाजी में शामिल हो गया है। चीन ने कहा है कि भारत ने इससे तिब्बत को लेकर अपनी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन किया है। इससे सीमा मसले के हल और द्विपक्षीय संबंधों पर नकारात्मक असर होगा। इससे पहले चीन ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश की यात्रा का विरोध करते हुए कहा था कि 'भारत को इसकी इजाज़त नहीं देनी चाहिए थी और इससे भारत को कोई फ़ायदा नहीं होगा। चीन ने कहा था कि इससे दोनों देशों के बीच संबंधों पर गंभीर असर होगा। हालांकि भारत ने इस यात्रा को पूरी तरह धार्मिक यात्रा बताया था। सरकारी चाइना डेली ने दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश का दौरा करने की अनुमति देने पर भारत की आलोचना करते हुए बुधवार को दावा किया कि अरुणाचल के लोग भारत के गैरकानूनी शासन तले कठिन परिस्थितियों में जीवन जी रहे हैं और चीन लौटने के इंतजार में हैं। चीन दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश का दौरा करने देने के विरोध में है, खासकर उनके तवांग जाने देने के खिलाफ है।

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