लखनऊ: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में प्रदर्शनकारियों के पथराव में पुलिस के एक सिपाही की मृत्यु के मामले में अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस ने इस मामले में 11 लोगों को पहले गिरफ्तार किया था और इस मामले में नौ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है। यूपी पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने रविवार को यहां बताया कि गाजीपुर में शनिवार को हुए पथराव में हेड कांस्टेबल सुरेश प्रताप सिंह वत्स की मृत्यु अत्यन्त दुखद है। इस मामले में दर्ज हुए तीन मुकदमों में अब तक कुल 20 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत 32 नामजद और 70 से 80 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्य आरोपी पर एनएसए लगाया जाएगा। अपराधियों के विरुद्ध कठोर से कठोर धारा लगाकर कार्रवाई किया जाएगी।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना को स्थानीय प्रशासन की नाकामी करार देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री की रैली की वजह से प्रशासन और पूरे खुफिया विभाग को पता था कि कहां पर किसका धरना-प्रदर्शन होने वाला है, मगर इसके बावजूद यह दुखद घटना घट गयी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसकी आड़ में निर्दोष लोगों को परेशान किया जा रहा है।
मालूम हो कि गाजीपुर जिले में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली में जाने से रोके जाने से नाराज लोगों द्वारा किए गए पथराव में हेड कांस्टेबल वत्स की मृत्यु हो गयी थी। जिला पुलिस अधीक्षक यशवीर सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं को पुलिस तथा प्रशासन ने प्रधानमंत्री की रैली में जाने से रोका था। इससे नाराज होकर उन्होंने जगह-जगह रास्ता जाम कर दिया और रैली से लौटने वाले वाहनों पर पथराव किया। इस दौरान जाम खुलवाने गये हेड कांस्टेबल सुरेश वत्स (48) के सिर पर पत्थर लगने से उसकी मौत हो गयी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृत पुलिसकर्मी के परिजन को 40 लाख रूपये और उनके माता-पिता को 10 लाख रुपये की सहायता का ऐलान करते हुए इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिये हैं।
इस महीने ऐसी वारदात में किसी पुलिसकर्मी की मौत का यह दूसरा मामला है। इससे पहले, गत तीन दिसम्बर को बुलंदशहर में हिंसक भीड़ के हमले में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह मारे गये थे।