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लंदन: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सोमवार को यूक्रेन के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसमें तीन साल पहले हुए रूस के आक्रमण के बाद से सभी रूसी सैनिकों की तत्काल यूक्रेन से वापसी की मांग की गई थी। इस प्रस्ताव के पक्ष में 93 देशों ने मतदान किया, जबकि 18 देशों ने इसका विरोध किया।

बता दें कि इस बैठक में भारत सहित 65 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया। हालांकि, यह प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन इसे वैश्विक समुदाय का रुख और जनमत का एक महत्वपूर्ण संकेत माना जाता है।

यूएन महासचिव गुटेरेस ने सभी देशों से सहयोग की अपील की

यह प्रस्ताव रूस-यूक्रेन युद्ध की तीसरी वर्षगांठ पर पेश किया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस अवसर पर कहा कि यूक्रेन में जारी युद्ध न केवल यूरोप की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह संयुक्त राष्ट्र की नींव और सिद्धांतों के लिए भी एक गंभीर चुनौती है। उन्होंने युद्ध को जल्द समाप्त करने के लिए सभी देशों से सहयोग की अपील की।

इस बीच, अमेरिका ने एक अलग 'शांति का मार्ग' नामक प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया, जिसमें युद्ध को समाप्त करने के लिए तत्काल कदम उठाने की बात कही गई। इस प्रस्ताव में रूस-यूक्रेन संघर्ष में हुई जनहानि पर शोक व्यक्त किया गया था। अमेरिका द्वारा प्रस्तुत इस मसौदा प्रस्ताव में कुछ संशोधन भी किए गए, जिन्हें फ्रांस ने आगे बढ़ाया, जिसमें "रूसी संघ-यूक्रेन संघर्ष" को "रूसी संघ द्वारा यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण" के रूप में बदलने की मांग की गई थी। संशोधित प्रस्ताव को 93 देशों ने समर्थन दिया, 8 देशों ने इसका विरोध किया, और 73 देशों ने मतदान से परहेज किया।

अमेरिकी राजदूत ने पेश किया प्रस्ताव

अमेरिका की राजदूत डोरोथी शिया ने इस प्रस्ताव को पेश करते हुए कहा कि अब तक संयुक्त राष्ट्र के कई प्रस्तावों में यह मांग की गई है कि रूस अपनी सेना यूक्रेन से वापस ले, लेकिन वे प्रस्ताव युद्ध रोकने में सफल नहीं रहे। उन्होंने कहा कि अब यह संघर्ष बहुत लंबा खिंच चुका है और इसके कारण यूक्रेन, रूस और अन्य देशों को बहुत अधिक नुकसान हुआ है।

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