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लखनऊ: राज्य संमत्ति विभाग ने गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्रियों मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, अखिलेश यादव, मायावती, नारायण दत्त तिवारी और राजनाथ सिंह को सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस जारी कर दिया है। सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवस खाली करने के लिए 15 दिन का समय दिया है। इस अवधि में उन्हें बंगले खाली करने होंगे। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार के उस कानून को रद्द कर दिया था, जिसके तहत प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला देने का प्रावधान किया गया था।

पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सीएम योगी आदित्यनाथ से बुधवार को हुई मुलाकात को भी इसी प्रकरण से जोड़कर देखा जा रहा है। इस मुलाकात की वजह के बारे में सत्ता के गलियारे में चर्चा रही कि मुलायम सिंह ने मुख्यमंत्री से विक्रमादित्य मार्ग स्थित अपने और अखिलेश यादव के बंगलों को पार्टी नेताओं राम गोविन्द चौधरी और अहमद हसन के नाम पर आवंटित करने का अनुरोध किया है। राम गोविन्द चौधरी विधानसभा और अहमद हसन विधान परिषद में नेता विरोधी दल हैं। इस मुलाकात के बाद अचानक नोटिस जारी होने को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

मौजूदा समय में आधा दर्जन पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगले पर काबिज हैं। इन सभी को शहर के सबसे पॉश इलाके माल एवेन्यू, विक्रमादित्य मार्ग, कालीदास मार्ग में लंबे-चौड़े क्षेत्रफल के बंगले आवंटित हैं। इन सरकारी बंगलों में पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से 4- विक्रमादित्य मार्ग पर अखिलेश यादव, 5- विक्रमादित्य मार्ग पर मुलायम सिंह यादव, 13-माल एवेन्यू पर मायावती, 2-मालएवेन्यू पर कल्याण सिंह, 1-माल एवेन्यू पर नारायण दत्त तिवारी और 4-कालीदास मार्ग पर केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह रह रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में इन बंगलों पर बेहताशा खर्च भी किया था। अब भी इनके रखरखाव पर सरकार काफी धनराशि खर्च करती है। राज्य संपत्ति विभाग इसके लिए सालाना बजट आवंटित करता है जबकि ये सभी बंगले मामूली किराये पर आवंटित हैं।

पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले आवंटित करने के खिलाफ लोकप्रहरी संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका की थी। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने लोकप्रहरी संस्था की याचिका पर सुनवाई करते हुए 7 मई को राज्य सरकार द्वारा बनाए गए उप्र. मंत्री अधिनियम को अवैध बताते हुए खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में राज्य सम्पत्ति विभाग ने आज पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले खाली करने का नोटिस दिया है।

यूं हुई शुरुआत

पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला देने की शुरुआत 1986 में मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय वीपी सिंह ने की थी। उन्होंने उस समय पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत तिवारी को 1- माल एवेन्यू आवंटित कर दिया था। उसके बाद तो यह परंपरा बन गई कि पूर्व मुख्यमंत्री जीवन पर्यन्त सरकारी बंगलों में रहने लगे। पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से वीर बहादुर सिंह, राम नरेश यादव, श्रीपति मिश्रा और राम प्रकाश गुप्ता को भी सरकारी बंगला मिला। हालांकि इन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों की मृत्यु के बाद सरकार की सहमति से राज्य संपत्ति विभाग ने इनसे बंगला खाली करा लिया। हालांकि, वीर बहादुर सिंह के विधायक पुत्र फतेहबहादुर ने वीर बहादुर की स्मृति में बनी संस्था के नाम यह बंगला आवंटित करा लिया।

इसी तरह श्रीपति मिश्रा के बंगले पर भी उनके पुत्र का कुछ दिन कब्जा रहा। बाद में राज्य सम्पति विभाग के दबाव में बंगला खाली करना पड़ा। मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहने के बावजूद रामनरेश यादव ने अपने सरकारी बंगले को नहीं छोड़ा। देहांत के बाद ही यह बंगला खाली हो सका। इसी तरह कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल बनने के बाद भी अपने 2-माल एवेन्यू बंगले का मोह नहीं छोड़ पाए।

कमरे बीस हैं किराया 4600 रुपये

लखनऊ के पॉश इलाके विक्रमादित्य मार्ग, कालीदास मार्ग और माल एवेन्यू में 20 हजार स्कवायर फुट में बने इन बंगलों में 15 से 20 कमरे हैं लेकिन इनका किराया मात्र 4600 रुपये है। यह किराया भी 2014 में बढ़ा। उससे पहले केवल 3600 रुपये किराया था। इन बंगलों के मासिक किराए की शुरुआत केवल 600 रुपये से हुई थी। 600 के बाद 1800 रुपये हुआ फिर 3600 और अब 4600 रुपये है।

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