वाशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय अमेरिकी यात्रा पर गुरुवार सुबह (भारतीय समयानुसार) वॉशिंगटन पहुंचे। इस दौरान वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। यहां पहुंचकर प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, 'सर्दी के मौसम में गर्मजोशी से स्वागत। ठंड के मौसम के बावजूद, वाशिंगटन डीसी में भारतीय प्रवासियों ने मेरा बहुत ही विशेष स्वागत किया है। मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं।'
इससे पहले पीएम मोदी बुधवार को फ्रांस के मारसेई से अमेरिका के लिए रवाना हुए। यह उनकी दो देशों की यात्रा का दूसरा चरण है। वह 10 फरवरी को फ्रांस पहुंचे थे। प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ व्यक्तिगत और प्रतिनिधिमंडल स्तर पर द्विपक्षीय बैठक करेंगे। वह उन चंद विश्व नेताओं में शामिल हैं, जो ट्रंप के 20 जनवरी को शपथ ग्रहण करने के बाद अमेरिका की यात्रा कर रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की 3 दिवसीय यात्रा खत्म करने के बाद बुधवार (12 फरवरी) को अमेरिका पहुंच गए हैं। जहां पर वो डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार मुलाकात करने वाले हैं।
पीएम मोदी ने वॉशिंगटन पहुंचने के बाद एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा कि कुछ समय पहले ही वॉशिंगटन डीसी पहुंचा हूं। इस दौरान मैं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलूंगा। भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए काम करूंगा। इसके लिए काफी उत्सुक हूं।
विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस यात्रा की जानकारी दी और इसे दोनों देशों के बीच संबंधों में महत्वपूर्ण कदम बताया। मंत्रालय ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी कैबिनेट के सदस्यों और उद्योग जगत के प्रमुख नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।
बता दें कि पीएम मोदी जब राष्ट्रपति ट्रंप से मिलेंगे तो वह नए अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलने वाले दुनिया के तीसरे नेता होंगे। ट्रंप के शपथग्रहण के केवल एक महीने के भीतर भारत-अमेरिका के शीर्ष नेताओं की मुलाकात, दोनों देशों के बीच बढ़ते संबंधों की महत्ता को दर्शाती है।
पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के प्रमुख मुद्दें
यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का अवसर है, बल्कि अमेरिका के घरेलू एजेंडे और वैश्विक व्यापार पर प्रभाव डालने वाले मुद्दों पर भी चर्चा का करने का सुनहरा मौका देगी। इस दौरे में जिन प्रमुख मुद्दों पर दोनों नेताओं के बीच बातचीत होने वाली है वो इस प्रकार है।
व्यक्तिगत तालमेल: मोदी-ट्रंप संबंध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच का व्यक्तिगत तालमेल इस यात्रा की सफलता में अहम भूमिका निभा सकता है। दोनों नेताओं ने 2019 और 2020 में एक-दूसरे के देशों की यात्राओं के दौरान एक गहरा तालमेल स्थापित किया था। 2019 में ह्यूस्टन में आयोजित "हाउडी मोदी" कार्यक्रम और 2020 में ट्रंप की अहमदाबाद यात्रा इस संबंध का सबूत हैं। दोनों नेता मजबूत नेतृत्व और आर्थिक राष्ट्रवाद के लिए जाने जाते हैं। यह उनकी बैठक को एक नई दिशा दे सकता है। इसके अलावा दोनों देशों ने चीन और कट्टरपंथी इस्लाम को साझा खतरे के रूप में देखा है, जिससे यह साझेदारी और मजबूत हो सकती है।
आप्रवासन और निर्वासन: एक संवेदनशील मुद्दा
इस यात्रा के दौरान भारतीय अप्रवासियों से संबंधित मुद्दे भी प्रमुखता से उठाए जाने की उम्मीद है। अमेरिका ने हाल ही में 104 अवैध भारतीय अप्रवासियों को वापस भेजा है, और 800 से अधिक और लोगों को निर्वासित किए जाने की संभावना है। भारत सरकार ने अमेरिका में अपने नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार पर चिंता जताई है और अमेरिका से मानवीय व्यवहार की उम्मीद की है। वर्तमान में अमेरिका में लगभग 7.25 लाख अप्रवासी भारतीय रहते हैं, जिनमें से लगभग 20,000 को निर्वासन के लिए चिह्नित किया गया है। मोदी की इस यात्रा से उम्मीद की जा रही है कि अप्रवासियों के लिए कानूनी चैनल को और स्पष्ट किया जाएगा ताकि भारतीय नागरिक अध्ययन, काम, और पर्यटन के लिए अमेरिका की यात्रा कर सकें।
टैरिफ: विवादित मुद्दा
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंध भी इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहलू हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर "टैरिफ किंग" होने का आरोप लगाया है और दोनों देशों के बीच व्यापार शुल्क पर विवाद उत्पन्न हो चुका है। ट्रंप प्रशासन ने एल्यूमीनियम और स्टील पर 25 फीसदी टैरिफ लागू किया है, जिससे भारतीय कंपनियों पर भारी प्रभाव पड़ा है। भारतीय कंपनियां अमेरिकी स्टील बाजार में अपने अस्तित्व को लेकर चिंतित हैं। मोदी इस मुद्दे पर बातचीत करने की योजना बना रहे हैं।
भारत ने हाल ही में हाई-एंड मोटर साइकिलों और इलेक्ट्रिक बैटरियों पर टैरिफ में कटौती की है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। इसके अलावा, मोदी अमेरिकी रिपब्लिकन राज्यों में उत्पादित वस्तुओं, जैसे बोरबॉन और पेकान पर टैरिफ में कटौती की संभावना की ओर भी इशारा कर सकते हैं।
रक्षा सहयोग: एक उभरती साझेदारी
भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग पर भी इस यात्रा के दौरान चर्चा हो सकती है। दोनों देश पिछले कुछ वर्षों में रक्षा उपकरणों के व्यापार और सहयोग को मजबूत कर रहे हैं। उम्मीद है कि इस यात्रा के दौरान नई रक्षा डील्स की घोषणा की जा सकती है। इसके अलावा, भारतीय कंपनियां अमेरिकी ऊर्जा आपूर्ति, विशेषकर तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एनएनजी) की खरीद को बढ़ाने के लिए बातचीत कर रही हैं। यह ऊर्जा सहयोग दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और भी सशक्त बना सकता है।
चीन से संबंधित रणनीतिक दृष्टिकोण
भारत और अमेरिका के संबंधों की विशेषता यह है कि अमेरिका भारत को एक पारंपरिक सहयोगी के रूप में देखता है न की खतरे के रूप में। इसके विपरीत चीन को अमेरिका ने एक रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा है और भारत का चीन के खिलाफ अमेरिकी नीति में महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।
राष्ट्रपति ट्रंप का प्रशासन चीन पर सख्त रुख अपनाने के लिए जाना जाता है और भारत को अमेरिका के रणनीतिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और सीनेटर रुबियो जैसे प्रमुख नेताओं ने अमेरिका-भारत रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए समर्थन व्यक्त किया है।