इलाहाबाद: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश में सस्ता, सरल और सुलभ न्याय दिलाने पर बल देते हुए कहा कि न्याय की भाषा को स्थानीय भाषा में अनुवाद कराकर उपलब्ध कराया जाना चाहिए जिससे गरीब और आम समझ वाले व्यक्ति को भी वास्तविक स्थिति की जानकारी मिले।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के प्रांगण से झलवा में न्यायाधीशों और कर्मचारियों के लिए प्रस्तावित “न्याय ग्राम” परियोजना का शिलान्यास करने के बाद श्री कोविंद ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश को सरल, सस्ता और सुलभ न्याय की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की कार्यवाही और आदेशों का स्थानीय भाषा में अनुवाद की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे वादकारी (मुवक्किल) के साथ साथ आम समझ वाले व्यक्ति भी वास्तविक स्थिति से अवगत हो सकेे। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। वहां न्यायिक फैसलों की हिन्दी में अनुवादित प्रतियां संबंधित व्यक्तियों को उपलब्ध कराई जाने लगी हैं। अनेक उच्च न्यायालय में भी इसका अनुपालन शुरू हो गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लंबित मामलों को निवारण करने का लक्ष्य रखा है। “मुझे उम्मीद है कि वो तय समय पर पूरा हो जाएगा। ” उन्होंने सुझाव दिया कि बहस स्थानीय भाषा में होना चाहिए। अदालती आदेश और निर्णय अनुवादित कराकर स्थानीय भाषा में होंगे, तो अच्छा होगा।
कोविंद ने कहा कि देश भर के तीन करोड़ मामलों में से 40 लाख विभिन्न न्यायालयों में लंबित हैं। देश को सस्ता, सरल और सुलभ न्याय की जरूरत है। उन्होंने वैकल्पिक न्याय प्रणाली मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होेंने यह भी कहा कि न्यायालयों के सामने काफी चुनौती है इसे सूचना तकनीक के माध्यम से आसान कर सकते हैं। देश में न्यायालयों में लंबित मुकदमों की बड़ी संख्या पर चिंता जताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि बार और बेंच मिलकर इस स्थिति को बदलने की पहल करें। न्याय में देरी एक तरह से अन्याय है। इस अन्याय से बचने के लिए तारीख पर तारीख लगाने की प्रवृत्ति को रोकना होगा।
उन्होंने कहा कि गरीबों का न्यायालय ही सबसे बड़ा सहारा होता है, लेकिन गरीब न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से बचता है क्योंकि न्याय महंगा हो गया है और त्वरित नहीं होता। न्याय सरल, सस्ता और त्वरित हो ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। राष्ट्रपति ने वैकल्पिक न्याय प्रक्रिया पर भी जोर दिया।
कोविंद ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 150 वर्ष पूरे होने पर बधाई देते हुए इस बात पर संतोष जताया कि यहां की दो न्यायालय पेपरलेस व्यवस्था के तहत ई कोर्ट के रूप में काम कर रही हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट का इतिहास गौरवशाली रहा है। इसने आजादी से पहले और आजादी के बाद गौरवशाली ऐतिहासिक फैसले दिये हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट फैसलों को लेकर यह विश्व में इसकी अलग पहचान है।