नई दिल्ली: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान देते हुए इसकी तुलना डेंगू मलेरिया से की थी। जिसके बाद उनके खिलाफ कई राज्यों में मामले दर्ज हुए। इन सभी मुकदमों के एक साथ जोड़ने की मांग को लेकर उदयनिधि स्टालिन सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। जहां उन्हें फटकार लगी। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा, "आपने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया और अब आप सुप्रीम कोर्ट से राहत मांग रहे हैं। आप आम आदमी नहीं हैं, राजनेता हैं। आपको पता होना चाहिए था कि इस तरह की टिप्पणी का क्या नतीजा होगा।"
इस पर स्टालिन के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वह दर्ज हुए मुकदमों के तथ्यों पर टिप्पणी नहीं कर रहे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के पहले भी एक ही मामले से जुड़े मुकदमों को साथ जोड़ता रहा है। स्टालिन के लिए पेश हुए वकील ने सिंघवी ने कहा कि कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार और जम्मू में मुकदमे दर्ज हुए हैं। फिलहाल कोर्ट ने अगले हफ्ते के लिए सुनवाई टाल दी है।
उदयनिधि को सुप्रीम फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि से पूछते हुए कहा, “आपने 19 (1) ए और 25 के तहत अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। आप जानते हैं कि आपना क्या कहा है? आपके इसके नतीजों का एहसास होना चाहिए था, आप एक मंत्री हैं, कोई आम आदमी नहीं हैं।” साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव देते हुए कहा कि उदयनिधि हाई कोर्ट का रुख भी कर सकते हैं। इस पर उदयनिधि के वकील ने कहा कि अगर मुझे कई हाई कोर्ट जाना पड़ा तो मैं बंध जाऊंगा। ये अभियोजन पक्ष के सामने उत्पीड़न होगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगले हफ्ते के लिए सुनवाई टाल दी।
क्या कहा था उदयनिधि ने?
दरअसल, डीएमके मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा था, "कुछ चीजों का सिर्फ विरोध नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें जड़ से खत्म कर देना चाहिए। हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या फिर कोरोना वायरस का विरोध नहीं कर सकते, हमें इसे खत्म करना होगा। इसी तरह हमें सनातन को खत्म करना है।"