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हैदराबाद (संजय कुमार): तेलंगाना में आज 119 सीटों के लिए वोट डाले जा रहे हैं। जिसे लेकर प्रदेश के वोटरों में भारी उत्साह देखा जा रहा है। हैदराबाद के मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की भीड़ उमड़ रही है। जिनमें महिला वोटरों की संख्या ज्यादा नजर आ रही है। हैदराबाद में पुलिस ने सारी दुकानों को बंद रखने का आदेश दिया है। ऐसा होता हुआ पहली बार देखने को मिला है जब मतदान के दिन किसी शहर में चाय-पान तक की दुकानें बंद करा दी गईं हो।

पुलिस वालों का कहना है कि ऐसा चुनाव आयोग के निर्देश पर किया गया है। मतदान केंद्रों के आसपास 200 मीटर तक के दायरे में धारा 144 लगाई गई है। ताकि शांतिपूर्ण मतदान को अंजाम दिया जा सके। पुलिस की इस सख्ती की वजह से मतदान की प्रक्रिया के धीमे होने की आशंका जताई जा रही है।

हैदराबाद के गोशामहल विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला बेहद दिलचस्प है। यहां से बीजेपी के उम्मीदवार और विधायक टी राजा सिंह चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने पहले ही एलान कर दिया है कि उन्हें इस इलाके के 25 फीसदी से ज्यादा मुसलमानों के वोट नहीं चाहिए।

बीजेपी ने पहले उन्हें उनके सांप्रदायिक और भड़काऊ बयानबाजी के लिए पार्टी से सस्पेंड किया था, लेकिन चुनाव नजदीक आते ही उनकी पार्टी में वापसी कराकर टिकट दिया गया है। गोशामहल में मुकाबला बीआरएस के उम्मीदवार नंद किशोर व्यास और टी राजा सिंह के बीच ही है। यहां से कांग्रेस उम्मीदवार एम सुनीथा के जीतने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।

गोशामहल में एआईएमआईएम ने बीआरएस के उम्मीदवार नंद किशोर व्यास का समर्थन किया है। लिहाजा अल्पसंख्यकों के वोट उनके ही खाते में जाते दिखाई दे रहे हैं। लेकिन जिन इलाकों में बीजेपी समर्थक हैं वो राजा सिंह को जीताने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाते दिखाई दे रहे हैं। टी राजा सिंह को 2018 के चुनाव में करीब 45 फीसदी और बीआरएस को करीब 33 फीसदी वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 20 फीसदी वोटों से ही संतोष करना पड़ा था।

इस चुनाव क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यहां बीजेपी और बीआरएस की फ्रेंडली फाइट ही हो रही है। एआईएमआईएम के बीआरएस का साथ देने से यहां के लोगों के मन में ये भावना और मजबूत हुई है। लोगों का कहना है कि बीजेपी जहां भी कमजोर है, वहां अपने वोट बीआरएस के उम्मीदवार को शिफ्ट करा रही है। ताकि हर सूरत में कांग्रेस को रोका जा सके।

हैदराबाद के जुबली हिल्स विधानसभा क्षेत्र में भी बेहद दिलचस्प मुकाबला चल रहा है। यहां से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन के जीतने की उम्मीद है। उनके मुकाबले बीआरएएस ने मगंती गोपीनाथ को मैदान में उतारा है। जबकि बीजेपी से लंकाका दीपक रेड्डी चुनाव मैदान में हैं। 2018 के चुनाव में यहां कांग्रेस को करीब 34 फीसदी और बीाआरएस को 44 फीसदी वोट मिले थे। दिलचस्प बात है कि बीते चुनाव में यहां से अपने उम्मीदवार ना उतारने वाली एआईएमआईएम ने इस बार मोहम्मद राशीद फराजुद्दीन को मैदान में उतारा है। लिहाजा मुकाबला कांटे का हो गया है। लोगों का मानना है कि इस इलाके में अल्पसंख्यकों के वोटों के बंटवारे के लिए ही ओवैसी की पार्टी ने इसबार अपने उम्मीदवार उतारे हैं, ताकि अजहरुद्दीन को किसी तरह शिकस्त दी जा सके।

हैदराबाद के ही चंद्रायनगुट्टा से अकबरुद्दीन ओवैसी चुनाव मैदान में हैं। जिनके मुकाबले बीजेपी ने के. महेंद्र, कांग्रेस ने बी. नागेश और बीआरएस ने एम. सीतारमण रेड्डी को मैदान में उतारा है। लेकिन यहां मुकाबला एकतरफा ही दिखाई दे रहा है। 2018 के चुनाव में यहां एआईएमआईएम को 68 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बाकी तीनों पार्टियों को 10 फीसदी वोटों से ही संतोष करना पड़ा था। लोगों का कहना है कि ये इलाका ओवैसी का गढ़ है और बीआरएस और बीजेपी के भीतरी सहयोग के चलते उनको यहां से हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।

तेलंगाना में कुल मिलाकर ये देखा जा रहा है कि बीआरएस, बीजेपी और एआईएमआईएम एक तिकड़ी के रूप में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ती दिखाई दे रही है। ताकि हर सूरत में तेलंगाना में कांग्रेस को रोका जा सके। इसीलिए पूरे देश में 100 सीट तक पर चुनाव लड़नेवाली एआईएमआईएम ने पूरे तेलंगाना में महज 9 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। और वो सभी उम्मीदवार हैदराबाद में ही हैं। लिहाजा इस चुनाव का एक बड़ा संदेश ये होने जा रहा है कि देश के दूसरे हिस्से में एआईएमआईएम को लेकर पहले जहां मुसलमानों में दुविधा की स्थिति रहती थी, वो दुविधा अब समाप्त हो जाएगी। और असदुद्दीन औवैसी की वोट काटने की क्षमता और उनकी उपयोगिता भी बीजेपी के लिए खत्म हो जाएगी।

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