चंडीगढ़: पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने मंगलवार को कहा कि प्रदर्शनकारी किसान 14 दिसंबर को दिल्ली के लिए अपना पैदल मार्च फिर से शुरू करेंगे क्योंकि वार्ता के लिए सरकार की ओर से अभी तक कोई संदेश नहीं मिला है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की मंगलवार को हुई बैठक में मार्च के संबंध में निर्णय लिया गया।
पंधेर ने प्रदर्शन स्थल शंभू सीमा पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम नहीं चाहते थे कि किसानों पर यह आरोप लगाया जाए कि वे वार्ता करके कोई रास्ता नहीं निकालना चाहते। हमने समय दिया...लेकिन सरकार (केंद्र) की ओर से वार्ता के लिए कोई संदेश नहीं आया है।'
उन्होंने कहा, ‘‘अब दोनों संगठन ने निर्णय लिया है कि 101 किसानों का हमारा अगला जत्था 14 दिसंबर को दिल्ली (शंभू सीमा से) के लिए कूच करेगा।''
पंधेर ने सोमवार को आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार किसानों के राष्ट्रीय राजधानी तक मार्च निकालने के तरीके को लेकर असमंजस में है।
उन्होंने यह भी कहा था कि मंगलवार की बैठक में अगले कदम को लेकर निर्णय लिया जाएगा।
आंदोलनकारी किसानों ने रविवार को शंभू सीमा से दिल्ली के लिए अपना पैदल मार्च स्थगित कर दिया था क्योंकि हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों द्वारा आंसूगैस के गोले दागे जाने से कुछ किसान घायल हो गए थे। सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों द्वारा पंजाब-हरियाणा सीमा पार करने की एक और कोशिश को विफल कर दिया था।
आमरण अनशन मंगलवार को 15वें दिन भी जारी
इस बीच, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन मंगलवार को 15वें दिन भी जारी रहा। एक अन्य किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने खनौरी सीमा पर विरोध स्थल पर संवाददाताओं को बताया कि पिछले 15 दिनों में डल्लेवाल काफी कमजोर हो गए हैं और उन्हें चलने के लिए सहारे की जरूरत पड़ रही है।
कोहाड़ ने कहा, ‘‘चिकित्सक उनकी निगरानी कर रहे हैं। उनका वजन 11 किलोग्राम से अधिक कम हो गया है और उनके रक्त शर्करा के स्तर में उतार-चढ़ाव हो रहा है। चिकित्सकों को चिंता है कि किसी भी समय उनकी स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ सकती है।'' उन्होंने कहा कि डल्लेवाल के साथ एकजुटता प्रदर्शित के लिए खनौरी में किसानों ने मंगलवार को खाना नहीं पकाया।
इस बीच, पंधेर ने किसानों से अपील की कि वे 13 दिसंबर को शंभू और खनौरी विरोध स्थलों पर बड़ी संख्या में पहुंचे।
पंधेर ने सोमवार को दावा किया था कि किसानों द्वारा राष्ट्रीय राजधानी तक पैदल मार्च करने का फैसला करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीत केंद्र सरकार ‘‘असमंजस'' की स्थिति में है।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले 101 किसानों के जत्थे ने छह और आठ दिसंबर को दो बार पैदल दिल्ली जाने के प्रयास किए थे, लेकिन उन्हें हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी थी।
क्या हैं किसानों की मांगें
किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। उस समय सुरक्षा बलों ने उन्हें दिल्ली जाने से रोक दिया गया था। किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अलावा कर्ज माफी, किसानों एवं कृषि मजदूरों के लिए पेंशन और बिजली दरों में बढ़ोतरी न करने की मांग कर रहे हैं।
किसान 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘‘न्याय'', भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 में हुए किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने की भी मांग कर रहे हैं।