बेगूसराय: जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया ने कहा कि मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए देशद्रोह का मुद्दा उछाला जा रहा है। जब छात्र व युवा मोदी सरकार द्वारा किए गए वायदा पर चर्चा करते हैं तो उन्हें देशद्रोह करार दे दिया जाता है। कन्हैया ने गुरुवार को बीएसएस कॉलेजिएट में एक सभा में ये बातें कही। कन्हैया ने कहा कि बेगूसराय की धरती राष्ट्रकवि पैदा करती है, राष्ट्रद्रोही नहीं। कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई लोकलुभावन वायदे किए थे। उन्होंने महंगाई को नियंत्रित करने, कालाधन वापस लाकर सभी नागरिकों के खाते में पंद्रह लाख रुपए डालने, युवाओं को रोजगार देने आदि की घोषणा की थी। लेकिन, केंद्र में सरकार बनने के बाद मोदी सरकार सभी मोर्चे पर फिसड्डी साबित हुई है। इतना ही नहीं केंद्र की मोदी सरकार युवाओं व किसानों को कुचलने में लगी है। उन्होंने कहा कि देश का विकास विभिन्न देशों की परिक्रमा व टैंक खरीदने से नहीं हो सकता है। असली सवाल यह है किसानों को वाजिब कीमत व देश की सीमाओं पर शहीद होनेवाले जवानों की विधवाओं को उचित पेंशन मिलती है या नहीं। सच्चाई यह है कि किसान वाजिब कीमत नहीं मिलने के कारण फांसी लगाने को बाध्य हो रहे हैं। कन्हैया ने कहा कि आज जब छात्र अपने उचित हक का मुद्दा उठा रहे हैं तो इसे दबाने के लिए केंद्र सरकार विभिन्न विश्वविद्यालयों में अपने चाटूकारों को वीसी के पद पर तैनात कर रही है।
इसका विरोध करने के कारण हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमूला को फांसी पर लटकने को विवश कर दिया गया। बिहार टॉपर घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि जिस देश के प्रधानमंत्री व शिक्षामंत्री की डिग्री ही फर्जी है तो टॉपर घोटाला होना लाजिमी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार व इस्ट इंडिया कंपनी में कोई अंतर नहीं रह गया है। रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को छूट दी जा रही है। अन्य सेक्टर में भी एफडीआई को लागू करने की तैयारी है। इससे छोटे-छोटे कारोबारी बेरोजगार हो जाएंगे। जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने आरएसएस पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि वे सावरकर को वीर मानते हैं। ये वही सावरकर हैं जिन्होंने अंग्रेजों से माफी मांगी थी। कहा कि आरएसएस समाज में समानता का विरोधी है। वे बराबरी नहीं झूठ बोलने में विश्वास करते हैं। कन्हैया ने कहा कि वे सरदार भगत सिंह, बाबा साहेब अंबेकर, बिरसा मुंडा की राह पर चलना पसंद करेंगे। अपनी इस लड़ाई में वे मरना पसंद करेंगे, झुकना नहीं।