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(आशु सक्सेना): लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचारक पीएम मोदी ने पूरी ताकत झौंक दी है। दरअसल, 2014 में पीएम बनने के बाद मोदी ने विधानसभा चुनाव में जिस अंदाज में चुनाव प्रचार करना शुरू किया है, ऐसा चुनाव प्रचार पूर्व के किसी भी प्रधानमंत्री ने नही किया है। लिहाजा हार जीत का श्रेय भी पीएम मोदी को ही जाता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को जबरदस्त बहुमत हासिल हुआ है। उसके बाद यह चुनाव मोदी की पहली अग्नि परीक्षा हैं। महाराष्ट्र में विधानसभा के साथ सतारा लोकसभा का उपचुनाव भी होना है।

इस सीट पर उपचुनाव एनसीपी के सांसद के भाजपा में शामिल होने के चलते हो रहा है। इस लिहाज से यह पीएम मोदी का इम्तिहान भी है। आपको याद दिला दें कि पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में हुए अधिकांश उपचुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना गठबंधन के सामने एक बार फिर कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की चुनौती है। 2014 का चुनाव जहां कांग्रेस-एनसीपी ने आमने सामने लड़ा था। वहीं दूसरी और भाजपा और शिवसेना के बीच छोटे भाई और बड़े भाई के विवाद चलते सीटों का बंटवारा नही हुआ था। लिहाजा दोनों दल एक दूसरे के खिलाफ ताल ठौक रहे थे।

(आशु सक्सेना): बिहार के समस्तीपुर (सुरक्षित) संसदीय क्षेत्र की जनता ने अपने रहनुमाओं को सिर-आंखों पर बिठाया है, तो कई बार गिरा भी दिया है। जिन जनप्रतिनिधियों ने इलाके को नजरअंदाज किया, जनता ने उनकी मिट्टी पलीद कर दी। समस्तीपुर (सुरक्षित) लोकसभा पुराने रोसड़ा (सुरक्षित) संसदीय क्षेत्र का ही बदला नाम है। 2009 में इस सीट पर केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान चुनाव हार गये ​थे। यहां का प्रतिनिधित्व जदयू के महेश्वर हजारी ने किया था।

2014 का लोकसभा चुनाव रामविलास पासवान के छोटे भाई रामचंद्र पासवान ने एनडीए प्रत्याशी के तौर में जीता था। 2019 में लोजपा के रामचंद्र पासवान ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की। 17 वीं लोकसभा के पहले सत्र के दौरान उन्हें अचानक हार्ट अटैक हुआ और बाद में दिल्ली के राम मनोहर अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। लिहाजा इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। इस उपचुनाव में परिस्थिति पिछली बार की ही तरह है। महागठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी और एनडीए घटक लोजपा के बीच सीधा मुकाबला है। समस्तीपुर से लोजपा के दिवंगत सांसद रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस राज पार्टी ने चुनाव मैदान उतारा हैं। जबकि उनके सामने महागठबंधन के पुराने प्रत्याशी कांग्रेस के डॉ. अशोक कुमार ही हैं।

(आशु सक्सेना) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के 100 वें वर्ष की ओर अग्रसर है। आरएसएस की स्थापना विजयदशमी के दिन 1925 में हुई थी। सही मायनों में इस संगठन का अंकुर 1920 में रोपा गया था, जो 1925 में एक पौधें की शक्ल में सामने आया था। अगर पिछले 100 साल के इतिहास पर नज़र डालें, तों ब्रिटिश भारत में हिंदु मुसलिम दंगों की शुरूआत 1920 में 'खिलाफत आंदोलन' के बाद व्यापक स्तर पर फैलना इतिहास के पन्नों में दर्ज है। दरअसल, यूं कहा जा सकता है कि धार्मिक आधार पर एक लंबी लकीर खिंच चुकी थी। जिसका परिणाम 'भारत का धार्मिक आधार' पर विभाजित होकर अस्तित्व में आना था। विभाजन के वक्त भारत और पाकिस्तान अस्तित्व में आये। इन सौ सालों में अब यह तीन देश बन चुके हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 95 वें साल पूरे होने पर नागपुर के रेशमीबाग में संघ के विजयदशमी उत्सव में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ अपने इस नजरिये पर अडिग है “भारत एक हिंदू राष्ट्र” है। विजयदशमी के मौके पर अपने संबोधन में सरसंघचालक ने कहा कि राष्ट्र के वैभव और शांति के लिये काम कर रहे सभी भारतीय “हिंदू” हैं।

(आशु सक्सेना) 17 वीं लोकसभा के पहले सत्र के आखिरी दिन आज़ाद भारत में भारतीय जनसंघ द्वारा 1952 में देशवासियों से किये गये वादे को मोदी सरकार 2.0 ने कार्यभार संभालने के 90 दिनों के भीतर पूरा कर दिया। मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड 1 को छोड़कर 1947 में जम्मू-कश्मीर राज्य के साथ करार के तहत अनुच्छेद के बाकी अस्थाई सभी खंड़ों को खत्म कर दिया गया है।

मोदी सरकार ने लोकसभा में पेश प्रस्ताव में कहा है कि ‘‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड 1 के साथ पठित अनुच्छेद 370 के खंड 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए राष्ट्रपति संसद की सिफारिश पर यह घोषणा करते हैं कि छह अगस्त 2019 से उक्त अनुच्छेद के सभी खंड लागू नहीं होंगे... सिवाय खंड 1 के।’’ संसद के दोनों सदनों ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के प्रस्ताव संबंधी संकल्प को भारी बहुमत से स्वीकृति दी। इसके साथ ही 17 वीं लोकसभा के पहले अधिवेशन का सत्रावसान हुआ। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जम्मू-कश्मीर राज्य के विभाजन संबधी विधेयक को मंजूरी मिलने के तत्काल बाद सदन की कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया।

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