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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 'जनता की अदालत' है। यह 1.4 अरब लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक है। सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य पर बैठी रस्मी पीठ में जस्टिस खन्ना ने कहा, हमारे सुप्रीम कोर्ट को वैश्विक मंच पर अलग पहचान मिलती है। इसका कारण यह है कि यह जनता की अदालत है।

संविधान लागू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट अस्तित्व में आया। 28 जनवरी, 1950 को इसका उद्घाटन किया गया। शुरुआत में यह पुराने संसद भवन से कार्य करता था। 1958 में यह तिलक मार्ग स्थित वर्तमान भवन में स्थानांतरित हो गया।

सीजेआई बोले- मुकदमेबाजी की बढ़ती लागत न्याय में बाधा

जस्टिस खन्ना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जीवंत संस्था है। यह हमारे लोकतंत्र के अंतरात्मा के प्रति उत्तरदायी है। 75 वर्षों में देश की जनता की न्याय तक पहुंच सुलभ हुई है, लेकिन उन्होंने तीन चुनौतियों पर ध्यान देने की जरूरत जताई। पहली चुनौती लंबित मामलों का बोझ जो न्याय में देरी का कारण बनता है।

कपिल सिब्बल ने अपने विचार साझा किए

दूसरी चुनौती मुकदमेबाजी की बढ़ती लागत है जो न्याय तक पहुंच को खतरे में डालती है। तीसरी, और शायद सबसे बुनियादी चुनौती यह है कि जहां और जब भी झूठ का सहारा लिया जाता है, वहां न्याय नहीं पनप सकता।उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के दो दशक हमारे संवैधानिक ढांचे में शीर्ष अदालत की विकसित होती भूमिका के प्रमाण हैं। अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने अपने विचार साझा किए।

 

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