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(आशु सक्सेना): उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए आज अंतिम चरण का मतदान होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के अंतिम दो दिन अपने संसदीय क्षेत्र वाराणासी में डेरा डाला। आखिरी जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास सिर्फ नारा नहीं, हमारा कमिटमेंट है। आज मतदान के बाद शाम 6 बजे एग्जिट पोल के अनुमान आने लगेंगे और 10 मार्च को चुनाव नतीज़ों के बाद यह तय हो जाएगा कि पीएम मोदी के डबल इंजन की सरकार के नारे को सफलता मिली या फिर मतदाता पच्छिम बंगाल की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी भाजपा विरोधी पार्टी को सत्ता की बागड़ोर सौंपकर पीएम मोदी को एक और शर्मनाक हार का सदमा देंगे।

पिछले छह चरण के मतदान में भाजपा के पक्ष में लहर नहीं मानी जा सकती है। पच्छिमी उत्तर प्रदेश में दो चरण के बाद भाजपा को उम्मीद थी कि वह अपने अति पिछड़ा वाले कार्ड पर गैर यादव पिछड़ों का बहुमत इस बार भी अपने साथ जोड़ लेगी। लेकिन सपा मुखिया और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सूबे ​में गैर यादव पिछड़ों से जुड़े क्षेत्रीय दलों को अपने साथ जोड़कर मुकाबला भाजपा के लिए काफी कड़ा कर दिया है।

सूबे के जातिगत समीकरणों पर अगर निगाह डालें तो इन चुनावों में सपा काफी मजबूत ​दीख रही है। पिछड़ों की गोलबंदी के चलते मु​सलिम मतों के विभाजन की संभावना भी काफी कम ही नज़र आ रही है।

यूॅं तो पीएम मोदी ने 2017 के विधानसभा चुनाव के वक्त प्रचार के अंतिम तीन दिन अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही गुजारे थे। लेकिन इस बार उन्हें अपने वाराणसी प्रवास में एक दिन कम करना पड़ा। इसका अहम कारण पच्छिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी का वाराणसी दौरा माना जा रहा है। भाजपा के तय कार्यक्रम के मुताबिक पीएम मोदी को तीन मार्च को वाराणसी में रोड़ शो करना था। लेकिन दो मार्च को ममता बेनर्जी के वाराणसी पहुंचने के बाद और तीन मार्च को सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ रैली के आयोजन के चलते पीएम मोदी के रोड़ शो को एक दिन आगे बढ़ा दिया गया।

सीएम ममता बेनर्जी की वाराणसी यात्रा उस वक्त ज़्यादा चर्चा में आ गयी, जब उन्हें हिंदू संगठन के युवाओं ने काला झंडा दिखाया। काला झंडा देखते ही सीएम ममता कार से उतर कर उन युवाओं को देखती रहीं और बोलीं की अब तो हराकर ही जाउंगी। उसके बाद ममता ने सीढ़ियों पर बैठकर गंगा आरती देखी।

पीएम मोदी भी वाराणसी प्रवास के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर में चौकी पर बैठकर 'पूजा अर्चना' करते है। 4 मार्च को भी सुबह काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा अर्चना के बाद पीएम मोदी ने रोड़ शो शुरू किया। पीएम मोदी ने रोड़ शो के दौरान डमरू बजाया और फिर एक रोड़ साइड दुकान पर बैठकर कुल्लड़ में चाय का आनंद लिया।

उत्तर प्रदेश पीएम मोदी का कर्मक्षेत्र है। लिहाजा इस सूबे में सत्ता में वापसी के लिए उन्होंने पिछले एक साल अनगिनत परियोजना का शुभारंभ किया है। विपक्ष का आरोप है कि पीएम मोदी ने सरकारी खर्च पर पार्टी का प्रचार किया। रैलियों पर प्रतिबंध के चलते शुरू के तीन चरण तक तो पीएम मोदी की जनसभाऐं नहीं हो सकी। ​लेकिन अगले चारों चरण में पीएम मोदी ने अपनी पूरी ताकत झौंक दी। इस दौरान उनका निशाना अखिलेश यादव बने रहे। पीएम मोदी का पूरा चुनाव प्रचार परिवारवादी पार्टी से दूर रहने पर केंद्रीत रहा।

यूपी चुनाव का सातवां चरण आते आते अब यह चुनाव पीएम मोदी बनाम अखिलेश यादव बन गया। अगर भाजपा यूपी में चुनाव जीती, तो उसे पीएम मोदी की जीत माना जाएगा। सीएम योगी के खिलाफ नाराज़गी को भांपते हुए पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने लिए वोट मांगना शुरू कर दिया था। उनका कहना था कि देश में मजबूत सरकार के लिए यूपी में भी भाजपा की सरकार ज़रूरी है। पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की सभी आठ विधानसभा सीट जीतीं थी। लेकिन इस बार मुकाबला कड़ा है।

पीएम मोदी अगर अपने कर्मक्षेत्र यूपी में चुनाव हार गये, तो अगला पड़ाव पीएम मोदी के पैतृक सूबे गुजरात में है। पिछला विधानसभा चुनाव भी पीएम मोदी काफी संघर्ष के बाद जीते थे और बहुमत का आंकड़ा सिमट कर 99 पर आ गया था। यूपी के चुनाव प्रचार के दौरान 24 फरवरी को पीएम मोदी ने जनसभा में अपनी पहली चुनावी जीत को याद किया था। उन्होंने कहा था कि आज वह दिन है, जब मैं बीस साल पहले अपना पहला चुनाव जीता था। लेकिन पीएम मोदी ने यह नहीं बताया कि यही वह तारीख है, जब बाबरी मसजिद विध्वंस के बाद यूपी में हुए चुनावों में पहली बार भाजपा की शर्मनाक हार हुई थी। अयोध्या, काशी और मथुरा वाले सूबे में भाजपा बहुमत से सिमट कर 88 पर आ गयी थी।

पीएम मोदी ने यह भी याद नहीं किया कि समाचार पत्रों में उनकी पहली जीत की हैडिंग क्या थी? गुजरात में तीन सीट पर उप चुनाव हुए थे। इनमें राजकोट दो से मोदी मुख्यमंत्री रहते हुए जीतने में सफल रहे थे, जबकि अन्य दो सीटों पर सत्तारूढ़ भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। अगले दिन 25 फरवरी को अख़बारों की हैड़िग थी... मुख्यमंत्री चुनाव जीते, लेकिन भाजपा हारी...। पीएम मोदी ने अपनी पहली जीत के दो दिन बाद निर्वाचित मुख्यमंत्री के सामने आयी सबसे बड़ी चुनौती का भी ज़िक्र नहीं किया। बीस साल पहले 27 फरवरी को 'गौधरा ​कांड़' भी हुआ था।

बहरहाल, पीएम मोदी की यूपी में हार 2024 के लोकसभा चुनाव की तस्वीर पूरी तरह साफ कर देगी। पीएम मोदी के सामने 42 संसदीय क्षेत्र वाले सूबे पच्छिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी का चेहरा होगा। जिसके पीछे तमाम क्षेत्रीय ताकतें खड़ी होगी। वाराणसी में भी ममता बनर्जी ने बंगाल चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव प्रचार के अपने अंदाज को दोहराते हुए चुनावी सभा में जनसमूह के बीच फुटबॉल फेंक कर अब ‘खेला होबे‘ का जयघोष किया। वाराणसी रैली में सीएम ममता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार बनने के बाद बंगाल और यूपी मिलकर काम करेंगे और सांप्रदायिक ताकतों को केंद्र की सत्ता से बेदखल करेंगें।

 

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