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नई दिल्ली: टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। एजीआर के मुद्दे पर टेलीकॉम कंपनियों की पुनर्विचार याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है। कंपनियों को अब केंद्र सरकार को 92 हजार करोड़ रुपये चुकाने होंगे। कोर्ट के फैसले के मुताबिक 23 जनवरी तक टेलीकॉम कंपनियों को बकाया चुकाना है। एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के मुद्दे पर टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। भारती एयरटेल, वोडा-आइडिया और टाटा टेली सर्विसेज ने यह याचिका दाखिल की थी।
याचिका में जुर्माना, ब्याज और जुर्माने पर लगाए गए ब्याज पर छूट देने का अनुरोध किया गया था। टेलीकॉम कंपनियों ने लगाए गए जुर्माने की राशि को लेकर कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में अदालत से एजीआर में गैर दूरसंचार आय को शामिल करने के फैसले पर भी फिर से विचार करने का अनुरोध किया था। दरअसल 24 अक्तूबर 2019 को टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से बहुत बड़ा झटका लगा था। कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को 92 हजार करोड़ से ज्यादा रुपये का बकाया और लाइसेंस फीस केंद्र सरकार को देने को कहा था।
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एचडीआईएल के प्रवर्तकों राकेश वधावन और सारंग वधावन को आर्थर रोड जेल से उनके घर में शिफ्ट करने के बंबई हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। बंबई हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को राकेश वधावन और सारंग वधावन को आर्थर रोड जेल से घर में शिफ्ट करने का आदेश दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आर्थिक अपराध शाखा ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। राकेश वधावन और सारंग वधावन को सात हजार करोड़ रुपये के पंजाब एंड महाराष्ट्र कॉपरेटिव (पीएमसी) घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायधीश एस.ए.बोबड़े की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष इस मामले को रखा। पीठ में न्यायमूर्ति बी.आर.गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत भी शामिल थे। मेहता ने पीठ को बताया कि राकेश वधावन और सारंग वधावन को आर्थर रोड जेल से आवास में स्थानांतरित करना दोनों को जमानत देने जैसा होगा। उन्होंने इस फैसले पर रोक लगाने की उच्चतम न्यायालय से मांग की।
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नई दिल्ली: खुदरा मुद्रास्फीति दर दिसंबर 2019 महीने में बढ़कर 7.35 फीसदी रही जबकि यह नवंबर 2019 महीने में यह 5.54 फीसदी थी। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने ये आंकड़े जारी किए हैं। यह रिटेल महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संतोषजनक स्तर से कहीं अधिक है। महंगाई दर में यह बढ़ोतरी सब्जियों और खाने पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ने के कारण दिख रहा है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी की वजह से खुदरा मुद्रास्फीति में उछाल आया है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर, 2019 में 5.54 प्रतिशत और दिसंबर, 2018 में 2.11 प्रतिशत के स्तर पर थी। आंकड़ों के मुताबिक खाद्य पदार्थ मुद्रास्फीति दर दिसंबर महीने में 14.12 फीसदी रही जो कि बीते महीने 10.1 फीसदी थी। आम लोगों को दिसंबर महीने में महंगाई ने सबसे ज्यादा परेशान किया है। खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर माह में बढ़कर 5.54 प्रतिशत थी और यह अक्टूबर 2019 में 4.62 प्रतिशत पर थी। खाने पीने की वस्तुओं के दाम चढ़ने से नवंबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 5.54 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह इसका तीन साल का उच्चस्तर था।
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नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर व उनके परिवार की संपत्ति को जब्त कर लिया है। कुल 78 करोड़ की चल अचल संपत्ति जब्त हुई है। इसमें मुंबई में एक फ्लैट और चंदा के पति के कंपनी की प्रापर्टी शामिल हैं। बता दें कि ईडी ने पिछले साल चंदा कोचर, उनके परिवार और वीडियोकॉन समूह के वेणुगोपाल धूत के मुंबई और औरंगाबाद ठिकानों पर छापेमारी की थी।
प्रवर्तन निदेशालय ने इस साल की शुरुआत में चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर, धूत और अन्य के खिलाफ आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को 1,875 करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी देने के मामले में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच के लिए पीएमएलए के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था। सीबीआई की प्राथमिकी (एफआईआर) के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने कार्रवाई की थी। सीबीआई ने इस मामले में इन तीनों तथा धूत की कंपनियों-वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (वीआईईएल) और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (वीआईएल) के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
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