नई दिल्ली: पीएम केयर्स फंड के ऑडिट के लिए दिल्ली की एक फर्म को जिम्मा सौंपा गया है। लाइव मिंट की खबर के मुताबिक दिल्ली स्थित चार्टर्ड अकाउंटेंसी फर्म 'एसएआरसी एण्ड एसोसिएटस' प्रधानमंत्री की नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति (पीएम केयर) फंड का ऑडिट करेगा। स्वतंत्र ऑडिटर को तीन साल के लिए नियुक्त किया गया है। फंड पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के सेट में दिए गए विवरण के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष के अंत में पीएम केयर्स फंड का ऑडिट किया जाएगा।
यह नियुक्ति इसलिए और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आलोचकों ने राहत कार्यों के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) के अलावा बने इस पीएम केयर्स फंड के औचित्य पर सवाल उठाया है। विपक्षी दल इस निधि से धन के उपयोग के बारे में अधिक पारदर्शिता की लगातार मांग कर रहे हैं। फंड की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एफएक्यू में यह भी कहा गया है कि यह दो अधिकारियों द्वारा मानद आधार पर प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रशासित किया जा रहा है।
बता दें धर्मार्थ ट्रस्टों को आयकर में छूट मिलती है और इसलिए उन्हें चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा ऑडिट करवाने और आयकर विभाग को रिपोर्ट करने की जरूरत होती है। पिछले कुछ वर्षों से धर्मार्थ ट्रस्टों को नियंत्रित करने वाले नियमों को कड़ा कर दिया गया है ताकि प्राप्त धन का उपयोग इच्छित उद्देश्य के लिए हो। विभाग ने लेखापरीक्षा रिपोर्टों में ट्रस्टों के डिस्क्लोजर की आवश्यकता को भी बढ़ाया है।
बता दें पीएम केयर कोष में किए गए योगदान को आयकर से मुक्त रखा गया है। पीएम-केयर्स फंड में दान दी गई रकम पर इनकम टैक्स से 100 फीसदी छूट मिलेगी। यह राहत इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80जी के तहत मिलेगी। पीएम-केयर्स फंड में दान भी कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) व्यय के रूप में गिना जाएगा।
वहीं पीएम केयर्स फंड को भी एफसीआरए के तहत छूट मिली है और विदेशों से दान प्राप्त करने के लिए एक अलग खाता खोला गया है। इससे विदेशों में स्थित व्यक्ति और संगठन पीएम केयर्स फंड में दान दे सकते हैं। यह प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) की ही तरह है। पीएमएनआरएफ को 2011 से एक सार्वजनिक ट्रस्ट के रूप में विदेशी योगदान भी मिला है।
बता दें प्रधानमंत्री, पीएम केयर कोष के पदेन अध्यक्ष और भारत सरकार के रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री, निधि के पदेन ट्रस्टी होते हैं। बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के अध्यक्ष (प्रधानमंत्री) के पास 3 ट्रस्टीज को बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में नामित करने की शक्ति होगी, जो अनुसंधान, स्वास्थ्य, विज्ञान, सामाजिक कार्य, कानून, लोक प्रशासन और परोपकार के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्ति होंगे। ट्रस्टी नियुक्त किया गया कोई भी व्यक्ति निशुल्क रूप से कार्य करेगा।