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नई दिल्ली: कोरोना वायरस की महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को एक तरह से तबाह कर दिया है। हर छोटी-बड़ी कंपनी पर कोरोना महामारी की मार देखने को मिल रही है और लोगों का रोजगार जा रहा है। इस बीच एंटरटेनमेंट जगत की दिग्गज कंपनी डिज्नी से 28 हजार कर्मचारियों की छंटनी होने वाली है। डिज्नी ने अपने थीम पार्कों में कार्यरत 28 हजार कर्मचारियों की छंटनी का फैसला लिया है।

मीडिया रिर्पोटस के मुताबिक, कंपनी ने मंगलवार को यह घोषणा करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के लंबे समय तक प्रभावी होने के मद्देनजर अमेरिका के अधिकांश थीम पार्कों में कार्यरत कर्मचारियों की छंटनी की जाएगी।

डिज्नी पार्क के चेयरमैन जोश डि आमरो ने कहा कि यह कार्रवाई करना काफी दुखदायी है। मगर कोरोना महामारी की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुए बिजनेस के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियम की बाध्यता, कम से कर्म कर्मचारी संख्या में बिजनेस चलाना और महामारी के लंबे समय तक बने रहने जैसे अनिश्चितता वाले माहौल में यही एकमात्र संभव विकल्प है। 

नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्होंने यह भी कहा कि समस्याओं से निपटने को लेकर सरकार का आर्थिक प्रोत्साहन पर्याप्त नहीं था। हालांकि, बनर्जी ने कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि दर में जुलाई-सितंबर तिमाही में सुधार देखने को मिलेगा।

अर्थशास्त्री ने ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि दर कोविड-19 महामारी संकट से पहले से धीमी पड़ रही थी। उन्होंने कहा, ''भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। देश की अर्थव्यवस्था में चालू तिमाही (जुलाई-सितंबर) में पुनरूद्धार देखने को मिलेगा।''

बनर्जी ने कहा कि 2021 में आर्थिक वृद्धि दर इस साल के मुकाबले बेहतर होगी। फिलहाल मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एफआईटी) के प्रोफेसर बनर्जी ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि भारत का आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज पर्याप्त था।

नई दिल्ली: टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ने 20,000 करोड़ के टैक्स विवाद मामले में भारत सरकार को हराकर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केस जीत लिया है। कंपनी की ओर से शुक्रवार को बताया गया कि उसे सिंगापुर के एक इंटरनेशनल कोर्ट में 12,000 करोड़ बकाए और 7,900 करोड़ जुर्माने वाले एक अहम केस में भारत सरकार के खिलाफ जीत मिली है। 

वोडाफोन ने 2016 में भारत सरकार के खिलाफ सिंगापुर के इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर यानी अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता अधिकरण के पास याचिका दाखिल की थी। यह विवाद लाइसेंस फीस और एयरवेव्स के इस्तेमाल पर रेट्रोएक्टिव टैक्स क्लेम को लेकर शुरू हुआ था। कंपनी के सूत्रों ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि अधिकरण ने अपने फैसले में कहा है कि भारत सरकार की ओर से वोडाफोन पर टैक्स लायबिलिटी यानी कर-देयता थोपना भारत और नेदरलैंड्स के बीच हुए निवेश संधि समझौते का उल्लंघन है।

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सोमवार को बैंकों के कामकाज में सुधार और क्षेत्र में तीव्र वृद्धि के लिए चुनिंदा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने, फंसे कर्ज से निपटने के लिये 'बैड बैंक' बनाने और वित्तीय सेवा विभाग की भूमिका को कम करने का सुझाव दिया। राजन और रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने 'इंडियन बैंक्स: ए टाइम टू रिफॉर्म शीर्षक से लिखे एक दस्तावेज में कहा कि बैंकों में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सुधार जरूरी है। इसमें कहा गया है, ''चुनिंदा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण सावधानीपूर्वक विचार कर तैयार रणनीति के तहत किया जा सकता है। इसमें ऐसे निजी निवेशकों को लाना चाहिए जिनके पास वित्तीय विशेषज्ञता के साथ-साथ प्रौद्योगिकी क्षमता हो। हितों के टकराव को देखते हुए कॉरपोरेट घरानों को बड़ी हिस्सेदारी खरीदने से अलग रखा जाना चाहिए।''

दस्तावेज में कहा गया है कि सरकार के पास बैंकों के कर्ज मामले में दखल की काफी शक्तियां होती है। कभी-कभी इस शक्ति का उपयोग वित्तीय समावेश या बुनियादी ढांचा के लिए कर्ज में किया जाता है।

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