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नई दिल्ली: पेट्रोल की कीमत में आज एक रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम में दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई। यह दरों गत जुलाई से की गई चौथी कटौती है। आईओसी ने कहा कि मध्यरात्रि से पेट्रोल की कीमत दिल्ली में 60.09 रुपये प्रति लीटर होगी जो वर्तमान में 61.09 रुपये प्रति लीटर है। डीजल की कीमत 50.27 रुपये प्रति लीटर होगी जो वर्तमान में 52.27 रुपये प्रति लीटर है। कीमतों में पिछली बार कटौती एक अगस्त को पेट्रोल में 1.42 रुपये प्रति लीटर और डीजल में 2.01 रुपये प्रति लीटर की गई थी। आईओसी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की वर्तमान अंतरराष्ट्रीय उत्पाद कीमत तथा रुपये-डालर की वर्तमान विनिमय दर के मद्देनजर इसकी विक्रय कीमत कम करने की जरूरत थी। अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कीमतों में बदलाव और रुपये-डॉलर विनिमय दर पर नजदीकी नजर रखी जाएगी तथा बाजार के बदलते रूक्षान भविष्य की कीमतों में प्रतिबिंबित होंगे।

नई दिल्ली: अगले वित्तवर्ष से संसद में अलग से रेल बजट पेश नहीं होगा। अधिकारियों के मुताबिक वित्तमंत्रालय ने रेल बजट को आम बजट में शामिल करने के रेल मंत्री सुरेश प्रभु के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही अलग से रेल बजट पेश करने की करीब 92 वर्ष पुरानी परंपरा समाप्त हो जाएगी। रेलवे के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने विलय के तौर तरीकों पर विचार करने के लिए पांच सदस्यीय एक समिति गठित की है। इसमें वित्तमंत्रालय और रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। समिति से 31 अगस्त तक रिपोर्ट देने को कहा गया है। इससे पहले रेल मंत्री ने कहा था कि उन्होंने वित्तमंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर रेल बजट को आम बजट में मिलाने का प्रस्ताव किया है। प्रभु ने कहा कि यह रेलवे और राष्ट्र हित में होगा। हम तौर तरीकों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने 9 अगस्त को राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में भी रेलबजट को आम बजट में मिलाने की बात कही थी। यदि विलय होता है तो भारतीय रेलवे को वार्षिक रूप से लाभांश अदा करने से मुक्ति मिल जाएगी जो उसे हर साल सरकार की ओर से व्यापक बजट सहायता के बदले में देना पड़ता है। इसके साथ ही रेलवे किराया बढ़ाने का फैसला भी वित्तमंत्री को करना होगा। रेलवे को सब्सिडी पर 32 हजार करोड़ रुपये सालाना भुगतान करना पड़ता है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने पर 40 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

नई दिल्ली: खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में बढ़कर 6.07 प्रतिशत पर पहुंच गई है जो इसका दो साल का उच्चस्तर है। यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से कहीं उंची है। खाद्य वस्तुओं के दाम चढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है। त्योहारी सीजन से पहले चीन, तेल-घी तथा मसालों की मांग बढ़ी है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में 5.77 प्रतिशत पर थी। जुलाई, 2015 में यह 3.69 प्रतिशत थी। मुद्रास्फीति का यह आंकड़ा सितंबर, 2014 के बाद सबसे ऊंचा है। उस समय खुदरा मुद्रास्फीति 6.46 प्रतिशत थी। जुलाई में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.35 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो जून में 7.79 प्रतिशत थी। सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ नई मौद्रिक नीति रूपरेखा करार के तहत अगले पांच साल के लिए मुद्रास्फीति का लक्ष्य चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) रखा है। जुलाई में चीनी और कन्फेक्शनरी उत्पादों की महंगाई दर बढ़कर 21.91 प्रतिशत हो गई, जो जून में 16.79 प्रतिशत थी। इसी तरह तेल-घी वर्ग की मुद्रास्फीति 4.96 प्रतिशत तथा मसालों की 9.04 प्रतिशत पर पहुंच गई। मोटे अनाजों की मुद्रास्फीति माह के दौरान बढ़कर 3.88 प्रतिशत रही, वहीं अंडे 9.34 प्रतिशत महंगे हो गए। जून में अंडों की मुद्रास्फीति 5.51 प्रतिशत थी। समीक्षाधीन महीने में दूध और उसके उत्पाद 4.13 प्रतिशत महंगे हुई। इनकी मुद्रास्फीति जून में 3.43 प्रतिशत थी। अगस्त से देश के विभिन्न स्थानों पर त्योहारों की शुरूआत होती है। इस दौरान मिठाई से लेकर फलों और खाद्य वस्तुओं की मांग बढ़ती है।

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने अपने खिलाफ राजनीति आक्षेपों को ओछापन करार दिया है। उन्होंने यह भी कहा है कि वह पहले अपने कार्यों को पूरा करने के लिये कुछ और समय रूकने को लेकर तैयार हो सकते थे लेकिन वह दूसरा कार्यकाल नहीं लेने के अपने निर्णय से पूरी तरह खुश हैं। राजन का तीन साल का कार्यकाल अगले महीने खत्म रहा है। उन्होंने जून में ही कह दिया कि वह इस पद पर दूसरा कार्यकाल नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के साथ बातचीत की प्रक्रिया उस मुकाम तक नहीं पहुंची थी जहां वह रूकने को लेकर सहमत हो सकते थे। हालांकि उन्होंने कहा कि वह सरकार में पुनर्नियुक्ति या भविष्य में सरकार में करियर को लेकर कभी चिंतित नहीं रहे। राजन के मुताबिक उन्होंने देश के हित में जो काम सबसे अच्छा समझा वह किया। उन्होंने यह भी कहा कि वह वह ‘टीम के हिसाब से खेलने वाले सबसे अच्छे खिलाड़ी’ रहे। राजन का कार्यकाल चार सितंबर को समाप्त हो रहा है और उसके बाद उनकी फिर से अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र में जाने की योजना है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में काम करते हुए ‘उनकी चमड़ी काफी मोटी हो गयी’ लेकिन उस समय हमले इतने ओछे नहीं होते थे। राजन ने एक न्यूज चैनल से कहा, ‘हाल में हुए कुछ आक्षेप बहुत ओछे थे और एक तरह से उनमें इलजाम जैसे थे। बिना किसी आधार के बातें कही गयीं। गवर्नर ने कहा कि उन्होंने उन आक्षेपों को दूर ही रखा और उस पर ध्यान नहीं दिया।

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