मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर रघुराम राजन ने अपने कार्यकाल की आखिरी मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया. आरबीआई ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है. नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) को भी चार प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है. रेपो दर वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अल्पावधि के लिए रिजर्व बैंक से उधार लेते हैं. आरबीआई ने पिछली बार सात जून को भी नीतिगत समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया था. राजन ने कहा, हाल ही में खाद्य कीमतों में अनुमान से अधिक बढ़ोतरी से महंगाई पर अनुमान बाकी वर्ष के लिए बढ़ गया है. मौजूदा जोखिमों को देखते हुए यह ठीक है कि नीतिगत दरों में किसी तरह का बदलाव न किया जाए. यह मौद्रिक नीति समीक्षा ऐसे समय में पेश हुई है, जब सरकार ने अगले पांच वर्षों के लिए मुद्रास्फीति का लक्ष्य शुक्रवार को लगभग चार प्रतिशत निर्धारित किया. इस काम के लिए जल्द ही एक मौद्रिक नीति समिति (एमसीपी) गठित की जाएगी, जिसे नीतिगत दरें तय करने की जिम्मेदारी दी जाएगी. वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि अक्टूबर में होने वाली अगली द्विमाही नीतिगत समीक्षा से पहले समिति को अंतिम रूप दे दिया जाएगा. यह समिति मौद्रिक नीति की रूपरेखा तैयार करने का काम करेगी.
मुद्रास्फीति दर का लक्ष्य अधिसूचित होने के बाद वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, 'एमपीसी को यह जिम्मेदारी दी जाएगी कि वह मुद्रास्फीति की दर निर्धारित लक्ष्य पर बनाए रखने के लिए आवश्यक बेंचमार्क दर (रेपो दर) तय करे.' समिति के अध्यक्ष आरबीआई के गवर्नर होंगे. समिति में आरबीआई के दो और प्रतिनिधि होंगे. जबकि समिति के तीन अन्य सदस्यों का चयन सरकार एक समिति की सिफारिश के आधार पर करेगी. जनवरी, 2015 से भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 150 आधार अंकों की कटौती की थी. इसमें अंतिम कटौती 25 आधार अंकों की इस साल पांच अप्रैल को की गई थी. जहां तक राजन का सवाल है तो जब से उन्होंने पद संभाला है, तब से नीतिगत दर में तीन बार वृद्धि की गई है और पांच बार कटौती की गई है.