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नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ने आज कहा है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को एक अप्रैल 2017 से अमल में लाना चुनौतीपूर्ण होगा पर इसके लागू होने से कारोबारियों का विश्वास और अंतत: निवेश को बढ़ावा मिलेगा। रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने जीएसटी लागू होने से महंगाई बढ़ने की आशंकाओं को खारिज करते हुये कहा कि इसके वास्तविक प्रभाव के बारे में तभी आकलन लग सकेगा जब जीएसटी की दर तय होगी। हालांकि, कई देशों में यह देखा गया है कि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद मुद्रास्फीति का असर ज्यादा समय नहीं रह पाया। चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में राजन ने कहा, ‘तय समय पर जीएसटी को अमल में लाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि इससे भारतीय अर्थव्यवसथा में निवेश पर प्रतिफल बढ़ेगा और साथ ही सरकार की वित्तीय स्थिति को भी मध्यम काल में मजबूती मिलेगी।’ राजन ने रिजर्व बैंक का गवर्नर का पद छोड़ने से पहले आज जारी अपनी आखिरी समीक्षा में कहा, ‘जीएसटी से आखिर में कारोबारी धारणा और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।’ राजन का रिजर्व बैंक गवर्नर के तौर पर मौजूदा कार्यकाल चार सितंबर को समाप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी विधेयक का पारित होना आर्थिक सुधारों के मामले में राजनीतिक आमसहमति बढ़ने का बेहतर संकेत देता है। जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक कल लोकसभा में पारित होने के साथ ही इस पर संसद की मुहर लग गई है।

इसके पारित होने के साथ ही सरकार अब इसे एक अप्रैल 2017 की तय समयसीमा के भीतर लागू करने पर जोर दे रही है। मौद्रिक समीक्षा पेश करने के बाद संवाददाताओं के साथ बातचीत में राजन ने कहा की जीएसटी का मुद्रास्फीति पर असर इसकी दर से तय होगा। इसके अलावा जीएसटी व्यवस्था के तहत दी जाने वाली छूट भी इसकी दिशा तय करेगी। राजन ने कहा, ‘मुद्रास्फीति के मामले में इस बात पर काफी कुछ निर्भर करेगा कि किस वस्तु का दाम कम होता है और किसके दाम बढ़ते हैं। कुछ वस्तुओं के दाम कम होंगे। रिजर्व बैंक का ध्यान इस समय मार्च 2017 तक 5 प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल करने पर है। हमें नहीं लगता कि जीएसटी 2017 से पहले ही लागू हो जायेगा।’ रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में शामिल वस्तुओं में से करीब 55 प्रतिशत वस्तुओं पर जीएसटी का असर नहीं होगा। इसके अलावा सभी वस्तुओं पर कर के उपर कर का असर जाता रहेगा, इस प्रकार कुल मिलाकर कई वस्तुओं और सेवाओं पर कर की प्रभावी दर कम होगी। उन्होंने कहा कि जीएसटी का पूरा प्रभाव अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ही महसूस किया जा सकेगा। जीएसटी में केन्द्रीय स्तर पर लगने वाला उत्पाद शुल्क और सेवाकर तथा राज्यों के सतर पर लगने वाले मूल्य वर्धित कर यानी वैट तथा अन्य स्थानीय कर समाहित हो जायेंगे।

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