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नई दिल्ली: रिलायंस जियो का मुकाबला करने की एक चाल के तहत देश की नंबर एक मोबाइल सेवाप्रदाता भारती एयरटेल ने अपनी 4जी और 3जी इंटरनेट मोबाइल सेवाओं की दरें 80% तक घटा दी हैं। एयरटेल की एक विशेष योजना में यह सेवा 51 रुपये प्रति गीगाबाइट (जीबी) की दर से दी जा रही है। कंपनी ने आज एक बयान में कहा कि 1498 रुपए की रीचार्ज योजना में उसके ग्राहकों को 28 दिन के अंदर 1जीबी 3जी-4जी मोबाइल डाटा डाउन लोड करने का मौका रहेगा। 1जीबी डाटा की यह सीमा खत्म हो जाने पर ग्राहक केवल 51 रुपये के अतिरिक्त रीचार्ज पर 1जीबी 3जी-4जी डाटा डाउनलोड की सुविधा और हासिल कर सकते हैं। यह छूट उसे 12 महीने तक मिलेगी और इस दौरान वह जितनी बार चाहे, इस तरह का रीचार्ज करा सकता है। इस समय कंपनी 3जी-4जी नेटवर्क सेवाओं पर 259 रुपये में 1जीबी इंटरनेट डाटा देती है। यह स्कीम 28 दिन की वैधता वाली है। कंपनी 748 रपये की एक और योजना भी पेश करने जा रही है जिसमें 99 रुपये के रीचार्ज पर 1जीबी 4जी डाटा मिलेगा। इसकी वैधता छह माह की है। कंपनी ने कहा है, ‘ये प्रीपेड योजनाएं दिल्ली में चालू हो गयी हैं और 31 अगस्त तक ये पूरे देश में लागू हो जाएंगी।’ भारती एयरटेल के निदेशक-परिचालन अजय पुरी ने कहा कि ‘इन नवोन्मेषी योजनाओं के माध्यम से हम डाटा योजनाओं के मूल्य को नए ढंग से परिभाषित कर रहे है। इससे हमारे ग्राहकों को अपने पुराने खर्च पर ही ज्यादा सुविधा इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा।’

नई दिल्ली: अच्छे मानसून की उम्मीद में मौजूदा खरीफ सत्र में दालों का बुवाई क्षेत्र 34 प्रतिशत बढ़कर 139.42 लाख हेक्टेयर हो गया है।पिछले साल इसी मौसम में दालों का बुवाई क्षेत्र 103.85 लाख हेक्टेयर था। सरकार को उम्मीद है कि इस साल 2016-17 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में दालों का उत्पादन बढ़कर दो करोड़ टन रहेगा जो पिछले साल 1.65 करोड़ टन रहा था। एक आधिकारिक विज्ञप्ति ने बताया कि 26 अगस्त 2016 राज्यों से प्राप्त रपट के अनुसार कुल 1019.10 हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल इस दौरान 973.40 हेक्टेयर क्षेत्र में ही बुवाई हुई थी। खरीफ के मौसम में धान की बुवाई 363.07 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है जबकि पिछले साल खरीफ के मौसम में यह 352.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही हुई थी। इसी प्रकार तिलहन का बुवाई क्षेत्र भी पिछले साल के 174.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले बढ़कर 177.74 लाख हेक्टेयर हो गया है। हालांकि, गन्ने की बुवाई पिछले साल की तुलना में इस साल 49.60 लाख हेक्टेयर से घटकर 45.55 लाख हेक्टेयर, कपास की बुवाई 122.68 लाख हेक्टेयर से घटकर 102.78 लाख हेक्टेयर, जूट एवं मेस्ता की बुवाई 7.73 लाख हेक्टेयर से घटकर 7.56 लाख हेक्टेयर रही है।

नई दिल्ली: पेट्रोल व डीजल में केरोसिन की मिलावट के मामले में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के तेवर सख्त रहे। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि ये कोई सुखद हालात नहीं। राजनेताओं और कॉर्पोरेट लोगों के ही पंप हैं जो नहीं चाहते कि नियम कानून में बदलाव हो. दूरदराज के हालात और भी खराब हैं। उत्तर प्रदेश की फतेहपुर सीकरी से बसपा की सांसद सीमा उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी की। याचिका में आरोप लगाया है कि हाथरस के पास सादाबाद से विधायक देवेंद्र अग्रवाल पेट्रोल और डीजल में केरोसिन में मिलाते हैं और फिर अपने पंपों से बेचते हैं। इसी तरह करोड़ों रुपये की संपत्ति कमा ली है। कोर्ट ने हाथरस के पास सादाबाद से सपा के विधायक देवेंद्र अग्रवाल के खिलाफ जांच के आदेश दिए। इतना ही नहीं पेट्रोलियम मंत्रालय को चार हफ्ते में जांच रिपोर्ट देने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि पेट्रोलियम मंत्रालय 6 हफ्ते में ये बताए कि पेट्रोल पंप पर मिलावट को रोकने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं। इसके अलावा क्या ये संभव है कि पंपों पर कोई ऐसा उपकरण लगाया जा सकता है जिससे अगर मिलावट की गई हो तो पेट्रोल या डीजल बाहर ही न आए।

मुंबई: ठप पड़ी किंगफिशर एयरलाइंस से 9,000 करोड़ रुपये के बकाया का एक हिस्सा वसूलने के लिए बैंकों का एयरलाइंस के ट्रेडमार्क, किंगफिशर के लोगो तथा कभी काफी लोकप्रिय रही टैग लाइन 'फ्लाई द गुड टाइम्स' की नीलामी का प्रयास आज फिर विफल रहा। हालांकि अबकी बार इसके लिए आरक्षित मूल्य कम यानी 330.03 करोड़ रुपये रखा गया था। इसके अलावा बैंकों ने किंगफिशर हाउस में रखी करीब 13.70 लाख रुपये की चल संपत्तियों को भी नीलामी के लिए पेश किया, लेकिन इसके लिए भी किसी ने बोली नहीं लगाई। भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले 17 बैंकों के गठजोड़ द्वारा फ्लाइंग मॉडल्स, फनलाइनर, फ्लाई किंगफिशर और फ्लाई बर्ड उपकरण की नीलामी का भी प्रयास किया। एक सूत्र ने कहा, "मुझे लगता है कि ट्रेडमार्क के लिए आरक्षित मूल्य को अभी भी बोली लगाने वाला उंचा मान रहे हैं।" विधि विशेषज्ञों का मानना है कि किंगफिशर के ब्रांड मूल्य को काफी झटका लग चुका है, इसी वजह से इनके लिए कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। बैंकरों ने इससे पहले अप्रैल में इन ट्रेडमार्क्‍स की नीलामी का प्रयास किया था। उस समय इसका आरक्षित मूल्य 366.70 करोड़ रुपये रखा गया था। यह नीलामी विफल हो गई थी, क्योंकि किसी ने भी इसके लिए बोली नहीं लगाई थी। इस बार बैंकों ने आरक्षित मूल्य 10 प्रतिशत घटाकर 330.03 करोड़ रुपये कर दिया है।

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