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नई दिल्ली: तेल कंपनियों ने बुधवार को पेट्रोल के दाम में 3.38 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम में 2.67 रूपये प्रति लीटर की वृद्धि कर दी है। कीमतों में मूल्यवृद्धि की नई दरें मध्यरात्रि से लागू होंगी। नई दरों के मुताबिक दिल्ली में पेट्रोल की कीमत अब 63.47 रूपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 52.94 रूपये प्रति लीटर हो जाएगी। इससे पहले 15 अगस्‍त को तेल कंपनियों ने पेट्रोल की कीमत में एक रुपए और डीजल की कीमत में दो रुपए प्रति लीटर की कटौती की थी। देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में मूल्यवृद्धि से यह बढ़ोतरी की गई है। वहीं रुपए-डॉलर की वर्तमान एक्सचेंज रेट के मद्देनजर पेट्रोल-डीजल की कीमत में बढ़ोतरी जरूरी हो गया था। गौरतलब है कि तेल कंपनियां हर 15 दिनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल और पेट्रोल-डीजल की कीमतों के आधार पर घरेलू कीमतों में बदलाव का फैसला लेती हैं। पेट्रोल और डीजल की इस मूल्यवृद्धि से पेट्रोलियम उत्पादों के दाम में दो महीने की गिरावट का सिलसिला अब थम गया है। इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल के दाम मौजूदा 60.09 रूपये से बढ़कर 63.47 रूपये प्रति लीटर हो जाएंगे। इसी तरह दिल्ली में डीजल के दाम 50.27 रूपये से बढ़कर 52.94 रूपये होंगे। कंपनियों का कहना है कि बीते पखवाड़े में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में 13 प्रतिशत की बढोतरी के कारण कीमत में यह वृद्धि जरूरी हो गई थी।

वाशिंगटन: भारत और अमेरिका ने सोमवार को एक ऐसे महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए जो दोनों देशों को रक्षा क्षेत्र में साजो-सामान संबंधी निकट साझेदार बनाएगा तथा इसके साथ ही दोनों सेनाएं मरम्मत एवं आपूर्ति के संदर्भ में एक दूसरे की संपदाओं और अड्डों का इस्तेमाल कर सकेंगी। साजो-सामान संबंधी आदान-प्रदान समझौते (लेमोआ) पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने कहा कि यह समझौता "व्यवहारिक संपर्क और आदान-प्रदान" के लिए अवसर प्रदान करेगा। यह समझौता दोनों देशों की सेना के बीच साजो-सामान संबंधी सहयोग, आपूर्ति एवं सेवा की व्यवस्था प्रदान करेगा। समझौते पर हस्ताक्षर के बाद जारी साझा बयान में कहा गया, "उन्होंने इस महत्व पर जोर दिया कि यह व्यवस्था रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार सहयोग में नवोन्मेष और अत्याधुनिक अवसर प्रदान करेगा। अमेरिका ने भारत के साथ रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी को साझा करने को निकटतम साझेदारों के स्तर तक विस्तार देने पर सहमति जताई है।'' बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध उनके 'साझा मूल्यों एवं हितों' पर आधारित है।

मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज (सोमवार) कहा कि मुद्रास्फीति के आंकड़े लक्ष्य के ऊपरी दायरे में बनी हुई है और नीतिगत ब्याज दरों में आगे कटौती केवल तभी की जा सकती है जब कि महंगाई दर और कम हो। खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में बढ़कर 6.07 प्रतिशत हो गयी थी। यह पिछले करीब दो साल में इसका उच्चस्तर है। इसी तरह थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति पिछले 23 माह के उच्चस्तर 3.55 प्रतिशत पर पहुंच गई। राजन ने यहां जारी रिजर्व बैंक की 2015-16 की वार्षिक रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा, ‘मुद्रास्फीति अभी भी रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति के लक्ष्य के ऊपरी दायरे में बनी हुई है। जमाकर्ताओं की धनात्मक वास्तविक ब्याज दर (जमाओं पर मुद्रास्फीति से ऊपर की दर) प्राप्त करने की इच्छा और कॉरपोरेट निवेशकों तथा खुदरा कर्ज लेने वालों की ऋण पर निम्न घोषित ब्याज दर की जरूरत के बीच संतुलन बनाने की रिजर्व बैंक की आवश्यकता को देखते हुए नीतिगत दरों में कटौती की गुंजाइश केवल तभी बन हो सकती है जब मुद्रास्फीति में आगे और गिरावट आये।’ उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को सरकार द्वारा निर्धारित चार प्रतिशत के स्तर पर लाना रिजर्व बैंक की अल्पकालिक वृहदआर्थिक प्राथमिकताओं में है। राजन ने कहा कि अब रिजर्व बैंक इस मामले में मुद्रास्फीति को धीरे धीरे नीचे लाने के रास्ते पर चलता आ रहा है। इसके तहत इसे जनवरी 2016 में छह प्रतिशत से नीचे लाने के बाद अब मार्च 2017 तक इसे पांच प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है।

नई दिल्ली: भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने आज (सोमवार) कहा कि यदि कच्चे तेल के दाम 60 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर गया तो देश आर्थिक संकट में फंस जाएगा। स्वामी ने ट्वीट किया, ‘हमारी अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए यदि कच्चे तेल के दाम 60 डॉलर प्रति बैरल को पार कर जाते हैं तो आर्थिक संकट की स्थिति पैदा होगी।’ अमेरिकी बेंचमार्क वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट 47 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहा है जबकि ब्रेंट 49 डॉलर प्रति बैरल पर है। पिछले साल के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को मदद मिली है। भारत को अपने आयात बिल में कमी लाने तथा मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने में मदद मिली है। भारत कच्चे तेल की 80 प्रतिशत जरूरत आयात से पूरा करता है। कच्चे तेल के दाम में एक डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि का मतलब है भारत को हर साल 1.36 अरब डॉलर यानी 9,126 करोड़ खर्च करने पड़ेंगे। स्वामी ने अपने फालोअर्स से पूछा कि क्या कोई कच्चे तेल के बारे में भविष्यवाणी कर सकता है कि दिसंबर तक इसका मूल्य क्या होगा। भारत ने 2015-16 में कच्चे तेल के आयात पर 63.96 अरब डॉलर खर्च किए। यह इससे पिछले वित्त वर्ष में खर्च की गई 112.7 अरब डालर की राशि का आधा है। 2013-14 में देश का कच्चे तेल के आयात पर खर्च 143 अरब डालर था।

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