नई दिल्ली: वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी एचएसबीसी की एक रपट में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद अगले 12 महीने में भारत की आर्थिक वृद्धि दर में एक प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती और दीर्घकालिक फायदे भी बाद के सुधारात्मक कदमों पर निर्भर करते हैं। रपट के अनुसार फिलहाल नोटबंदी का मिला जुला असर देखने को मिलेगा जिसमें ‘कुछ फायदे तो कुछ नुकसान’ शामिल हैं। भारत सरकार ने 500 व 1000 रुपये के मौजूदा नोटों का परिचालन 8 नवंबर से बंद कर दिया है, जिससे बाजार में नोटों की कमी देखने को मिल रही है। एचएसबीसी ने अनुसंधान पत्र में कहा है कि मुद्रा आपूर्ति में संकुचन के कारण आर्थिक वृद्धि दर 0.7-1.0 प्रतिशत घट सकती है और सबसे अधिक असर तात्कालिक दो तिमाहियों में नजर आएगा।