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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को महत्वाकांक्षी स्टार्ट अप अभियान को औपचारिक रूप से लॉन्च किया और इसके एक्शन प्लान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। स्‍टार्ट अप इंडिया मूवमेंट की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, पिछले साल मैंने कहा था कि स्‍टार्टअप इंडिया की शुरुआत होगी और आज करीब सौ-सवा सौ दिन के बाद ये योजना सामने है। प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के मुख्य अंश - आज देश के युवा आपको देख रहे हैं। ज्‍यादातर लोगों को लगता है कि सरकार ये करेगी तो ये होगा। मेरी सोच अलग है, मेरी सोच ये है कि सरकार ये नहीं करेगी, तो इतना कुछ हो जाएगा। इसलिए हम अब ना करने का निणर्य करें तो ये लोग 10 साल में देश को कहां से कहां पहुंचा दें। विरोध के बावजूद जो लोग टिके होंगे उनको आज लोग कह रहे होंगे कि वाह इसने तो कमाल कर दिया। हर स्‍टार्टअप की लगभग यही कहानी होगी। 23 साल का कोलंबस जब निकला होगा तो सबने कहा होगा कि क्‍या मिलेगा। लेनिक उसने सोच रखा होगा कि उसे दुनिया को एक नया रास्‍ता देना है।

हर चीज की कहीं शुरुआत होती है और जो करता है उसको ही दिखता है कि क्‍या होने वाला है, क्‍योंकि बाकियों के लिए तो वो पागल है। स्‍टार्टअप के साथ रिस्‍क लेने की प्रवृत्ति और एडवेंचर भी शामिल होते हैं। जो पैसे कमाने के इरादे से आता है उसे कामयाबी नहीं मिलती, लेकिन जो कुछ करने के इरादे से आता है, पैसा उसके लिए बाईप्रोडक्‍ट है। उबर कुबेर बन गया, उसने पहले सोचा होगा कि लोगों की समस्‍या का समाधान कैसे करूं, सस्‍ते में कैसे करूं। आज उसने कर दिखाया। नई चीजों की खोज के मूल में कुछ नया करने का इरादा होता है, बात की गहराई में जाने की ललक होती है लेकिन सबसे बड़ी चीज उसके अंदर एक संवेदना होती है। संवेदना दूसरों की समस्‍या के लिए होती है और वो उसे सोने नहीं देती है। उसे लगता है कि वो क्‍या कर सकता है। आपका ये स्‍टार्टअप अभियान बैंक बैलेंस और पैसे से जुड़ा नहीं है, बल्कि जनसामान्‍य को सुविधा दिलाने से जुड़ा है। आम आदमी समस्‍या देखकर जूझेगा और सरकार को कोसेगा, कोई मीडिया वाला होगा तो वो रिपोर्ट कर देगा। लेकिन इससे समस्‍या बनी रहेगी। लेकिन जिसके मन में संवेदना होगी और वह जानकार होगा तो वह सोचेगा कि इस समस्‍या से कैसे निपटें और वह उसके लिए कुछ करेगा। हम जब मेक इन इंडिया कहते हैं तो उसमें मेक फॉर इंडिया भी है। लेकिन हम चाहते हैं कि वो फूलप्रूफ कैसे हो, सामान्‍य लोगों के लिए आसानी से कैसे उपलब्‍ध हो, हमें ये भी देखना है। एक मनोवैज्ञानिक बदलाव लाना है, युवाओं को नौकरी ढूंढने वाला नहीं, नौकरी देनेवाला बनना चाहिए। समय की मांग क्‍वालिटी एजुकेशन है, मैं ऐसी कौन सी टेक्‍नोलॉजी निकालूं कि अमीर लोगों को जो शिक्षा मिलती है वो दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले बच्‍चों को भी मिल सके। मेडिकल के क्षेत्र में टेक्‍नोलॉजी इनोवेशन की संभावना बढ़ती जा रही है लेकिन यह सस्‍ता और आम लोगों की पहुंच में कैसे हो ये हमारे लिए चुनौती है। युवाओं को नौकरी ढूंढने वाला नहीं, नौकरी देने वाला बनना चाहिए देश में मिलियन प्रॉब्लम है तो बिलियन माइंड भी है सबसे पहला मेरा विचार है कि सरकार बीच में ना आए, बस सब कुछ हो जाएगा स्टार्ट अप के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन की शुरुआत, सिंगल प्वाइंट व्यवस्था लाएंगे, तीन साल तक कोई इंस्पेक्शन नहीं पेटेंट फीस में 80 फीसदी की छूट स्‍टार्टअप के लिए फ़ायदे पर 3 साल तक इनकम टैक्स से मुक्ति, महिलाओं के लिए विशेष योजना का सुझाव 'स्टार्ट अप' के लिए 10,000 करोड़ का फंड इस कार्ययोजना का उद्देश्य जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है। शुरुआती कार्यक्रम का उद्देश्य देश के युवाओं की उद्यमी भावना का उत्सव मनाना है और इस कार्यक्रम में देश-विदेश के प्रमुख स्टार्टअप के संस्थापक व सीईओ भाग ले रहे हैं। इस कार्यक्रम का मकसद बैंकों को स्टार्टअप उपक्रमों के वित्तपोषण को प्रोत्साहित करना तथा उद्यमशीलता और रोजगार सृजन प्रोत्साहन की पेशकश करना भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस संबोधन में इस अभियान की घोषणा की थी। कारोबार के नियमों में ढील का वादा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पिछले कुछ सालों के दौरान सरकार की भूमिका को एक सुविधा प्रदाता तक सीमित रखने का प्रयास रहा है और अब बाधाएं दूर करने और टैक्स व्यवस्था को अनुकूल बनाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा, हम उद्यमियों के अनुकूल कराधान व्यवस्था पर पहले ही काम कर रहे हैं। कुछ कदम हैं, जिन्हें अधिसूचना के जरिये उठाया जा सकता है। अन्य के लिए विधायी प्रावधान की जरूरत होगी जो कि बजट के समय वित्त विधेयक के हिस्से के तौर पर आ सकते हैं, ताकि स्टार्ट-अप्स के लिए एक अनुकूल कराधान व्यवस्था का निर्माण हो सके। स्टार्टअप कारोबारी सम्मेलन में जेटली ने आश्वासन दिया कि बैंकिंग व्यवस्था और सरकार दोनों ही उनके लिए संसाधन उपलब्ध कराएंगी। सम्मेलन में सॉफ्टबैंक के प्रमुख मसायोशी सोन और उबेर के मुख्य कार्यकारी ट्रैविस कलानिक भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा, रिजर्व बैंक और सरकार बैंकों की ऋण देने की क्षमता बढ़ाने पर मिलकर काम कर रहे हैं।

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