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लंदन: ऑक्सफोर्ड के एक नये अध्ययन में दावा किया गया है कि अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप में नाजी तानाशाह एडोल्फ हिटलर की तुलना में मनोरोग के अधिक लक्षण हैं। ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के मनोचिकित्सक केविन डटन ने साइकोपैथिक पर्सनाल्टी इनवेंट्री- रिवाइज्ड (पीपीआई-आर) के माध्यम से अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों और एतिहासिक हस्तियों के मनोवृति लक्षणों की रैकिंग तैयार की है। ट्रंप सामाजिक प्रभाव और निडरता समेत विभिन्न कारकों पर हिटलर से आगे निकल गए हैं जबकि नाजी तानाशाह में निष्ठुरता और मैक्यावेलियन इगोसेंट्रिएटी (आत्मकेंद्रता) अधिक थी। मैक्यावेलियन इगोसेंट्रिएटी किसी व्यक्ति द्वारा अपने लक्ष्यों को हासिल के खातिर हमदर्दी के अभाव की भावना है। मैक्यावेलियन इगोसेंट्रिएटी जैसे लक्षणों के संदर्भ में ट्रंप की डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी हिलेरी क्लिंटन उनसे नीचे हैं लेकिन वे इस संबंध में रोमन शासक नीरो से आगे हैं जिनकी रैंकिग दसवीं है। राजनीतिक हस्तियों पर विशेषज्ञों से साइकोपैथिक पर्सनाल्टी इनवेंट्री-रिवाइज्ड से 56 प्रश्नों के उत्तर पूछे गए ताकि यह रैकिंग तैयार की जा सके। इस परीक्षण निडरता, निष्ठुरता, अहम केंद्रता, क्रूरता, आत्मविश्वास, करिश्मा, बेईमानी तथा हमदर्दी और विवेक में कमी समेत व्यक्तित्व के लक्षणों को माप की गयी।
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इस्लामाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बलूचिस्तान संबंधी टिप्पणी का समर्थन करने के लिए पाकिस्तान की क्वेटा पुलिस ने देश के शीर्ष तीन बलूच राष्ट्रवादी नेताओं के खिलाफ राष्ट्रद्रोह सहित पांच मामले दर्ज किए हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि कुछ लोगों की शिकायत पर ब्रहमदाग बुग्ती, हरबियार मर्री और बानुक करीमा बलूच के खिलाफ बलूचिस्तान के खुजदार इलाके के पांच थानों में पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 120, 121, 123 और 353 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। ये धाराएं अपराध की साजिश छिपाने, पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ने, भड़काने या युद्ध का प्रयास करने, युद्ध छेड़ने की साजिश में मदद के लिए उसे छिपाने और नौकरशाह को कर्तव्य-पालन करने से रोकने के लिए हमला करने से संबंधित हैं। पुलिस के अनुसार, शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि इन बलूच नेताओं ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का समर्थन किया था। बीते 15 अगस्त को मोदी ने कहा था कि बलूचिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों पर पाकिस्तान द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों का मामला उठाने के लिए बलूचों ने उनका धन्यवाद किया है।
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बीजिंग: चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपनी सीमाओं की सुरक्षा में शानदार काम करने को लेकर अरूणाचल प्रदेश के पास तिब्बत में तैनात पीएलए के एक बटालियन को विशेष रूप से सम्मानित किया। सरकारी शिन्हुआ समाचार एजेंसी की खबर के मुताबिक शी ने मानद उपाधियां दिए जाने पर हस्ताक्षर किया। रिपोर्ट में एक बयान के हवाले से बताया गया है, ‘ट्रूप 77656 को अपनी सीमाओं की सुरक्षा, स्थिरता कायम करने और आपदा राहत में मदद करने में शानदार काम करने को लेकर अब ‘मॉडल प्लेट्यू बटालियन’ उपाधि दी जाती है।’ हालांकि, खबरों में बटालियन की पहचान नहीं बताई गई है। वहीं भारतीय रक्षा अधिकारियांे और रणनीतिक थिंक टैंकों ने कहा है कि यह गांगबा द्वितीय बटालियन है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह अरूणाचल प्रदेश के पास तिब्बत के गांगबा काउंटी के शिगात्से शहर आधारित है। तिब्बत मिल्रिटी एरिया कमान के तहत काम करने वाले छह बटालियनों में यह एक है। वास्तविक नियंत्रण रेखा 3488 किमी लंबा है। चीन कहता है कि सीमा विवाद 2,000 किलोमीटर क्षेत्र का है जो मुख्य रूप से अरूणाचल प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है। वहीं, भारत कहता है कि यह विवाद समूचे एलएसी का है जिसमें अक्साई चिन भी शामिल है जिसे चीन ने 1962 के युद्ध के दौरान हथिया लिया था। शी ने पनडुब्बी 372 को भी सम्मानित किया जिसके चालक दल ने उसे एक बड़ी आपदा का शिकार होने से बचाया था।
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सोल: दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने बड़े पैमाने पर संयुक्त सैन्याभ्यास शुरू किया है जिसकी उत्तर कोरिया ने कड़ी निंदा की एवं परमाणु हमले की धमकी दी।दो हफ्ते तक चलने वाला उलची फ्रीडम अभ्यास काफी हद तक कंप्यूटर संचालित है लेकिन फिर भी उसमें 50 हजार कोरियाई और 25 हजार अमेरिकी सैनिक हिस्सा ले रहे हैं। इसमें परमाणु हथियार से लैस उत्तर कोरिया द्वारा पूर्ण आक्रामण करने का एक परिदृश्य तैयार किया गया है। अभ्यास से हमेशा दोनों कोरिया के बीच तनाव बढ़ जाता है। इस साल यह अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब उत्तर कोरिया के कई शीषर्स्थ लोगों के देश छोड़कर चले जाने से सीमा संबंध में अशांति आयी हुई है। हालांकि दक्षिण कोरिया और अमेरिका का कहना है कि संयुक्त अभ्यास विशुद्धत: रक्षात्मक है लेकिन उत्तर कोरिया इसे भड़काऊ कदम के रूप में देखता है। उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय ने उलची फ्रीडम को ‘अक्षम्य आपराधिक कृत्य’ करार दिया जो कोरियाई प्रायद्वीप को युद्ध के कगार पर धकेल सकता है।
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