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लाहौर: पाकिस्तान ही कश्मीर में हिंसा फैला रहा है, इसकी तसदीक एक फिर हो गई है। मुंबई हमले का मास्टरमांइड हाफिज सईद पाक सरकार के नाक के नीचे कश्मीर में हिंसा भड़काने के लिए देशभर में शिविर लगाकर खुलेआम चंदा जुटा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हाफिज सईद की अगुवाई वाले आतंकी संगठन जमात-उद-दावा खुलेआम पाक की सड़कों पर कश्मीरियों की मदद का ढोंग रचकर लोगों से चंदा मांग रहा हैं। इस चंदे से जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल वह भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ाने के लिए करेगा। तहरीक-ए-आजादी-ए-कश्मीर के बैनरों पर सईद का नाम और तस्वीर हैं और संगठन ने कश्मीर की जनता की मदद के नाम पर चंदा मांगने के लिए पूरे पकिस्तान में शिविर लगाए हैं। यहीं नहीं बैनरों और पोस्टरों पर सईद की तस्वीरों के साथ कश्मीर में हिंसा के दौरान घायल लोगों की तस्वीरें भी लगाई हैं। इनमें जनता से अपील की गई है कि भारतीय बलों के खिलाफ कश्मीरियों के संघर्ष के लिए चंदा दिया जाए। आतंकी संगठन जमात-उद-दावा और उसके सहयोगी कुर्बानी के नाम पर आतंकवाद फैलाने के लिए भी चंदा जुटा रहे हैं। संगठन ने एक बैनर पर एक बैल की कुर्बानी के लिए 63,000 रुपये मांगे गए हैं, वहीं एक बैल की कुर्बानी में हिस्सेदारी के लिए 9,000 रुपये की मांग की गई है। इसी तरह बकरे की कुर्बानी के लिए 16,000 रुपये और ऊंट की कुर्बानी में हिस्सेदारी के लिए 13,000 रुपये का चंदा मांगा गया है।
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इस्लामाबाद: कश्मीर मुद्दे को उजागर करने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा 22 सांसदों को विशेष दूत के रूप में नियुक्त करने के कदम की विपक्षी नेताओं ने आलोचना की है। 'डेली टाइम्स' के मुताबिक, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता असद उमर और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के ताज हैदर ने कहा कि केवल विपक्ष के समर्थन से ही कश्मीर मुद्दे को दुनियाभर में सही तरीके से उठाया जा सकता है। पाकिस्तान ने शनिवार को कश्मीर मुद्दे पर अपने कूटनीतिक कदम को आगे बढ़ाते हुए 22 सांसदों को विभिन्न देशों में विशेष दूत के रूप में भेजने का फैसला किया है। शरीफ ने इन विशेष दूतों को दुनियाभर में जम्मू एवं कश्मीर के हालात उजागर करने के लिए नियुक्त किया है। उमर ने कहा कि ज्यादातर नामित सांसद संसद बहसों में भी हिस्सा नहीं लेते। उन्होंने सवाल उठाया कि वे कश्मीर मुद्दे को कैसे उजागर कर सकते हैं। उमर ने कहा, 'नवाज शरीफ (अपने भारतीय समकक्ष) नरेंद्र मोदी के साथ कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार नहीं हैं।' डेली टाइम्स की रपट के अनुसार, हैदर ने कहा कि विशेष दूतों में से अधिकांश सत्ता पक्ष के हैं।
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वाशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार की रात ट्वीट किया, 'मेरे ख्याल से राष्ट्रपति पद के दोनों प्रत्याशियों हिलेरी और मुझे अपने-अपने मेडिकल रिकॉर्ड का ब्यौरा सार्वजनिक करना चाहिए। मुझे तो ऐसा करने में कोई आपत्ति नहीं है। और हिलेरी आपको?' सीएनएन के अनुसार, ट्रंप लंबे समय से यह दिखाना चाह रहे हैं कि हिलेरी में राष्ट्रपति पद के लिए पर्याप्त बल (स्टैमिना) नहीं है। हालांकि, हिलेरी दुनिया की सर्वाधिक यात्राएं करने वाले विदेश मंत्रियों में शामिल रहीं हैं। ट्रंप ने हाल ही में अपने एक ट्वीट में लिखा था, 'कहां हैं हिलेरी? क्या वह सो रही हैं!!!!' ट्रंप का एकमात्र मेडिकल रिकॉर्ड जो सार्वजनिक हुआ है, वह दिसंबर, 2015 में जारी उनके फिजीशियन का लिखा पत्र है। ट्रंप का यह मेडिकल रिपोर्ट तब विवादों में घिर गया था जब एनबीसी न्यूज ने दावा किया था कि चिकित्सक ने पांच मिनट के अंदर यह रिपोर्ट तैयार कर दी थी। सीएनएन के अनुसार, ट्रंप के समर्थक और प्रतिनिधि समय-समय पर हिलेरी के स्वास्थ्य का मुद्दा उठाते रहे हैं। हिलेरी ने जिम्मी किमेल के टीवी शो के दौरान इस तरह के दावों का जवाब देते हुए इसे 'हास्यास्पद रणनीति' का हिस्सा करार दिया था।
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बीजिंग: एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ने कहा कि चीनी विद्वान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हाल में बलूचिस्तान पर दिए गए बयान से ‘काफी परेशान’ हैं । विशेषज्ञ ने चेतावनी दी कि यदि 46 अरब अमेरिकी डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर, जिसका केंद्र बलूचिस्तान क्षेत्र ही है, को कोई ‘भारतीय कारक’ बाधित करता है तो चीन और पाकिस्तान संयुक्त कदम उठाएंगे। एजेंसी के अनुसार, चीन के एक प्रभावी थिंक टैंक ने कहा है कि अगर भारत के किसी 'षड्यंत्र' ने बलूचिस्तान में 46 अरब डालर लागत की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना को बाधित किया तो फिर चीन को 'मामले में दखल देना पड़ेगा।' चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटम्पररी इंटरनेशनल रिलेशन्स के इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एंड साउथ-ईस्ट एशियन एंड ओसिनियन स्टडीज के निदेशक हू शीशेंग ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से दिए गए भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बलूचिस्तान का जिक्र, चीन और इसके विद्वानों की ‘ताजा चिंता’ है। चीन की स्टेट सिक्योरिटी के मंत्रालय से संबद्ध इस प्रभावी थिंकटैंक के अध्ययनकर्ता ने यह भी कहा कि भारत का अमेरिका से बढ़ता सैन्य संबंध और दक्षिण चीन सागर पर इसके रुख में बदलाव चीन के लिए खतरे की घंटी के समान है।
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