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वाशिंगटन: दुनिया भर की नजरें अमेरिका के जिस राष्ट्रपति चुनाव पर टिकी हैं, उससे पहले के अंतिम सप्ताहांत पर हुए बड़े सर्वेक्षणों में हिलेरी क्लिंटन और डोनाल्ड ट्रंप में कांटे की टक्कर दिखाई दी है। दोनों उम्मीदवार और उनके सहयोगी उन प्रमुख राज्यों में संघषर्रत दिखाई दे रहे हैं, जो मंगलवार को होने वाले चुनाव में निर्णायक साबित हो सकते हैं। मैकक्लेची-मारिस्ट सर्वेक्षण में कहा गया कि राष्ट्रीय तौर पर संभावित मतदाताओं के बीच हिलेरी :44 प्रतिशत: और ट्रंप :43 प्रतिशत: एक कड़े मुकाबले में हैं। इन मतदाताओं में वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने अब तक किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में फैसला नहीं किया है या जो पहले ही मतदान कर चुके हैं। इसी सर्वेक्षण में, सितंबर में हिलेरी ट्रंप से छह प्रतिशत से आगे थीं। सर्वेक्षण में कहा गया कि लिबर्टेरियन उम्मीदवार गैरी जॉनसन को छह प्रतिशत और ग्रीन पार्टी के जिल स्टीन को दो प्रतिशत का समर्थन है। अन्य उम्मीदवार को तीन प्रतिशत का समर्थन है जबकि दो प्रतिशत अनिर्णीत है। रियलक्लीयर पॉलिटिक्स के अनुसार, डेमोक्रेट उम्मीदवार रिपब्लिकन उम्मीदवार की तुलना में 1.7 प्रतिशत आगे है। हिलेरी और ट्रंप अपने सहयोगियों के साथ मिलकर प्रमुख राज्यों में मतदाताओं को एकजुट करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। उन्होंने कुछ नए स्थानों की भी घोषणा की है। हिलेरी उत्तर कैरोलीना में आधी रात को एक रैली को अपना अंतिम संबोधन देंगी।
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न्यूयार्क: बुकर पुरस्कार विजेता भारतीय मूल के लेखक सलमान रश्दी ने राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को ‘यौन शिकारी’ करार दिया है और अमेरिकियों से अपना राष्ट्रपति चुनने के समय ध्यान देने का आह्वान किया। साहित्यिक वेबसाइट ‘लिथुब’ पर डाले गए ऑनलाइन पोस्ट के अनुसार रश्दी ने कहा, ‘‘ट्रंप यौन शिकारी है, उन्होंने अपना टैक्स रिटर्न जारी नहीं किया है और उन्होंने अपने फाउंडेशन की रकम का इस्तेमाल अपने कानूनी शुल्क का भुगतान करने के लिए किया है।’’ इस वेबसाइट पर ट्रंप के बारे में 22 मशहूर लेखकों के विचार हैं । लंबे चुनाव अभियान के बाद चुनाव का दिन नजदीक आ रहा है। रश्दी ने यह कहते हुए अमेरिका से अपना अगला राष्ट्रपति चुनने के समय ध्यान देने का आह्वान किया है कि ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि ट्रंप कैसे बर्ताव करेंगे न कि उन कुछ ई-मेलों पर जो क्लिंटन ने नहीं भेजे।
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पेशावर: मीडिया में आई एक रिपोर्ट में रविवार को एक अधिकारी के हवाले से कहा गया कि पाकिस्तान नेशनल ज्योग्राफिक की हरी आंखों वाली आइकनिक ‘अफगान गर्ल’ शरबत गुला को वापस नहीं भेजेगा जो यहां फर्जी पहचान पत्र बनवाकर रह रही थी। गुला तब दुनिया में छा गई थी जब 1985 में पाकिस्तान में एक शरणार्थी शिविर में ली गई उसकी अद्भुत तस्वीर को पत्रिका ने अपने कवर पेज पर छापा था और इस तरह वह अपने देश अफगानिस्तान के युद्धों का प्रतीक बन गई थी। उसे फर्जी पहचान पत्र रखने के आरोप में गत 26 अक्तूबर को यहां उसके घर से गिरफ्तार किया गया था। पेशावर स्थित विशेष भ्रष्टाचार निरोधक एवं आव्रजन अदालत ने शुक्रवार को आदेश दिया था कि गुल को 15 दिन की जेल के बाद अफगानिस्तान वापस भेज दिया जाए। अदालत ने उस पर एक लाख 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। गुला की 15 दिन की सजा बुधवार को पूरी हो जाएगी। खबर पख्तूनख्वा सरकार के अधिकारी शौकत यूसुफजई ने कहा कि उसे पाकिस्तान से वापस नहीं भेजा जाएगा। प्रांतीय गृह विभाग ने उसे वापस भेजे जाने के आदेश को भी रोक दिया है। पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान ने भी खबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री परवेज खट्टक से आग्रह किया कि शरबत गुला को वापस नहीं भेजा जाए।
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लंदन: ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी ने देश की प्रधानमंत्री टेरीजा मे से कल शुरू हो रही भारत की उनकी तीन दिवसीय यात्रा से पहले ऑपरेशन ब्लू स्टार में ब्रिटेन की भूमिका के बारे में ‘सच्चाई’ बताने को कहा है। लेबर पार्टी के उप नेता टॉम वाटसन ने कल कहा कि ब्रिटेन का सिख समुदाय ‘सिख फेडरेशन यूके’ द्वारा लगाए गए इन आरोपों के मद्देनजर सच जानने का हकदार है कि ब्रिटेन फोरेन ऑफिस ने जून 1984 में स्वर्ण मंदिर पर सैन्य अभियान में ब्रिटेन की संलिप्तता के ‘‘नए सबूत’’ वाली फाइल हटा दी हैं। वाटसन ने कहा, ‘टेरीजा मे को भारत की यात्रा से पहले 1984 में स्वर्ण मंदिर पर हुए हमले और इसके बाद की घटनाओं में ब्रिटेन की भूमिका के बारे में सच्चाई बतानी चाहिए। इस बात के सबूत बढ़ रहे हैं कि जितना उस समय जानकारी थी, मार्ग्रेट थचर के प्रशासन ने भारत के साथ उससे भी अधिक निकटता से काम किया था।’ वाटसन का बयान उन दावों के बाद आया है जिनमें कहा गया था कि फोरेन ऑफिस ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान ‘आंतरिक सुरक्षा दायित्वों के लिए एक राष्ट्रीय गार्ड के गठन में सैन्य सहायता के भारत के एक अनुरोध’ के बाद ब्रिटेन की सेना की स्पेशल एयर सर्विसेज (एसएएस) इकाई के शामिल होने की संभावनाओं का जिक्र करने वाली फाइलों को जानबूझकर हटा दिया है। फोरेन ऑफिस ने कहा कि उसने फाइलों को केवल ‘उधार’ लिया था। लेबर पार्टी ने कहा कि फाइलें अस्तित्व में हैं, यह तथ्य अहम सवाल खड़े करता है। वाटसन ने कहा, ‘डेविड कैमरन की पूर्ववर्ती जांच सभी तथ्यों का खुलासा नहीं करती और हमें अब पता चला है कि जनसंहार संबंधी अहम नए दस्तावेज मंत्रियों ने ‘नेशनल आर्काइव’ से हटा दिए है।
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