पेशावर: मीडिया में आई एक रिपोर्ट में रविवार को एक अधिकारी के हवाले से कहा गया कि पाकिस्तान नेशनल ज्योग्राफिक की हरी आंखों वाली आइकनिक ‘अफगान गर्ल’ शरबत गुला को वापस नहीं भेजेगा जो यहां फर्जी पहचान पत्र बनवाकर रह रही थी। गुला तब दुनिया में छा गई थी जब 1985 में पाकिस्तान में एक शरणार्थी शिविर में ली गई उसकी अद्भुत तस्वीर को पत्रिका ने अपने कवर पेज पर छापा था और इस तरह वह अपने देश अफगानिस्तान के युद्धों का प्रतीक बन गई थी। उसे फर्जी पहचान पत्र रखने के आरोप में गत 26 अक्तूबर को यहां उसके घर से गिरफ्तार किया गया था। पेशावर स्थित विशेष भ्रष्टाचार निरोधक एवं आव्रजन अदालत ने शुक्रवार को आदेश दिया था कि गुल को 15 दिन की जेल के बाद अफगानिस्तान वापस भेज दिया जाए। अदालत ने उस पर एक लाख 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। गुला की 15 दिन की सजा बुधवार को पूरी हो जाएगी। खबर पख्तूनख्वा सरकार के अधिकारी शौकत यूसुफजई ने कहा कि उसे पाकिस्तान से वापस नहीं भेजा जाएगा। प्रांतीय गृह विभाग ने उसे वापस भेजे जाने के आदेश को भी रोक दिया है। पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान ने भी खबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री परवेज खट्टक से आग्रह किया कि शरबत गुला को वापस नहीं भेजा जाए।
फैसला मानवीय आधार पर और अफगानिस्तान के प्रति सद्भावना के रूप में किया गया। गुला को ‘अफगान युद्ध की मोना लिसा’ कहा गया था। उसे पाकिस्तानी कंप्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान कार्ड के कथित फर्जीवाड़ा मामले में संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने गिरफ्तार किया था। वह तब विश्व प्रसिद्ध हो गई थी जब करीब 12 साल की उम्र में उसकी तस्वीर नेशनल ज्योग्राफिक मैगजीन के जून 1985 के संस्करण में कवर पेज पर छपी थी।