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लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद की जमीन देने से साफ इंकार कर दिया। शनिवार को बोर्ड ने बैठक कर कहा कि मस्जिद की जमीन न तो उपहार में दी जा सकती है और न ही ट्रांसफर की जा सकती है। लिहाजा मध्यस्थता की कोई उम्मीद नहीं बची है। मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था की बैठक दारुल उलूम नदवतुल उलमा लखनऊ में हुई। बैठक की अध्यक्षता मौलाना राबे हसन नदवी ने की। इसमें बाबरी मस्जिद, तीन तलाक और समान नागरिक संहिता को लेकर चर्चा हुई। साथ ही बोर्ड तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट जाने का भी फैसला लिया है।

अदालत का फैसला हक में आने की उम्मीद

पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि जो जगह मस्जिद के लिए वक्फ कर दी जाती है। फिर उसकी जगह पर तब्दीली नहीं की जा सकती। मुसलमान इस जगह को न तो छोड़ सकते हैं और न ट्रांसफर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई है।

पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ राजीव धवन ने जो दलीलें और गवाह सर्वोच्च अदालत में पेश किए हैं। उससे पूरी उम्मीद है कि अदालत का फैसला हमारे हक में ही आएगा।

बैठक में जमीअत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, मौलाना महमूद मदनी, महासचिव मौलाना वली रहमानी, सचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी और जफरयाब जिलानी शामिल रहे।

अब मध्यस्थता की कोई उम्मीद नहीं

मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि बाबरी मस्जिद को लेकर कई जगहों से समझौतों की पेशकश सामने आई। बोर्ड भी चाहता था कि कोर्ट के बाहर इस मामले का ऐसा हल निकाला जाए जो दोनों पक्षों को कुबूल हो लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। अब यह मुकदमा अपने अंतिम चरण में हैं, इसलिए समझौते या मध्यस्था का कोई अवसर नहीं है।

तीन तलाक कानून को कोर्ट में देंगे चुनौती

मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि संसद से पास तीन तलाक कानून सीधे तौर पर शरीयत में दखल है। जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले और संविधान के खिलाफ है। इस कानून से महिलाओं और बच्चों को नुकसान होगा। इसलिए बोर्ड ने फैसला लिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक कानून के खिलाफ वाद दाखिल करेगा।

समान नागरिक संहिता से अल्पसंख्यकों को नुकसान

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में समान नागरिक संहिता (यूनिफार्म सिविल कोड) पर भी चर्चा की गई। मौलाना ने बताया कि हिन्दुस्तान एक बहुधार्मिक देश हैं। यहां पर हर नागरिक को अपना धर्म के साथ जीवन व्यतीत करने की पूरी आजादी हैं। यूनिफार्म सिविल कोड इस देश के लिए सही नहीं हैं। बोर्ड यूनिफार्म सिविल कोड का भी विरोध करेगा।

बैठक पर मंत्री मोहसिन रजा ने उठाए सवाल

प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश के सबसे बड़े मामले का फैसला आने वाला है। ऐसे समय इस बैठक का क्या मतलब है। पर्सनल लॉ बोर्ड की संवैधानिकता पर प्रश्न खड़ा करते हुए कहा कि पता नहीं यह संस्था कहीं से रजिस्टर्ड भी है या नहीं। आखिर संस्था को फंडिंग कहां से की जा रही है। संस्था लगातार देश के खिलाफ बोलती आ रही है। उसने हमेशा मुसलमानों को गुमराह करने का काम किया है।

बोर्ड रजिस्टर्ड संस्था है: खालिद

राज्यमंत्री मोहसिन रजा के बयान पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ के सदस्य फरंगी महली ने कहा के इन लोगों को मालूम होना चाहिए की बोर्ड एक रजिस्टर्ड संस्था हैं। इसमें वे लोग शामिल हैं जिनके बुजुर्गों ने इस मुल्क की आजादी के लिए कुर्बानियां दीं। मौलाना ने कहा कि पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुल्क के खिलाफ आज तक कोई अपील नहीं की हैं। बोर्ड ने हमेशा कानून के दायरे में रह कर सारे काम किए हैं।

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