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लखनऊ: रेत के अवैध खनन से जुड़े मामले में सीबीआई ने शनिवार को उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 12 जगहों पर छापे मारे। अधिकारियों ने बताया कि आईएएस अधिकारी बी. चन्द्रकला सहित वरिष्ठ अधिकारियों के आवासों पर इस संबंध में छापे मारे गए। चन्द्रकला भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अभियानों के लिए सोशल मीडिया पर बेहद लोकप्रिय हैं। उन्होंने बताया कि छापे उत्तर प्रदेश के जालौन, हमीरपुर, लखनऊ समेत कई जिलों के साथ ही दिल्ली में भी मारे गए। बी चंद्रकला पर हमीरपुर में जिलाधिकारी रहते हुए अवैध खनन व अपने चहेतों को पट्टे देने का अरोप है।

इस संबंध में दो साल पहले हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया। इसी क्रम में आज सुबह करीब आठ सीबीआई अधिकारियों ने बी चंद्रकला के लखनऊ में योजना भवन के समीप स्थित सफायर अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 101 में छापा मारा। इसके साथ ही हमीरपुर, जलौन, बुलंदशहर आदि कई जगहों पर भी अलग-अलग टीमें छापेमारी कर रही हैं। इस मामले में हमीरपुर में समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष व एमएलसी रमेश मिश्रा व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजीव दीक्षित के आवास व कार्यालयों समेत 15 स्थानों पर छापेमारी हुई।

 

सीबीआई की कई टीमेें दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, जालौन और हमीरपुर में छापेमारी कर रही हैं। बताया जा रहा है कि सीबीआई की टीम ने आईएएस के घर से महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद किए हैं। उनके फ्लैट में अभी भी सीबीआई मौजूद है और कार्रवाई जारी है।

2012 के बाद बी. चंद्रकला ने दिए थे खनन के पट्टे

बता दें कि अखिलेश यादव की सरकार में बी.चन्द्रकला आईएएस बी.चन्द्रकला की पोस्टिंग पहली बार हमीरपुर जिले में जिलाधिकारी के पद पर की गई थी। आरोप है कि इस आईएएस ने जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 50 मौरंग के खनन के पट्टे किए थे। जबकि ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों पर स्वीकृति देने का प्रावधान था लेकिन बी.चन्द्रकला ने सारे प्रावधानों की अनदेखी की थी।

हमीरपुर में सीबीआई की छापेमारी

जानकारी के अनुसार वर्ष 2015 में अवैध रूप से जारी मौरंग खनन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने 16 अक्तूबर 2015 को हमीरपुर में जारी किए गए सभी 60 मौरंग खनन के पट्टे अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिए थे। याची ने ये कहा याचिका कर्ता विजय द्विवेदी के मुताबिक मौरंग खदानों पर पूरी तरह से रोक लगाने के बाद भी जिले में अवैध खनन खुलेआम किया गया. 28 जुलाई 2016 को तमाम शिकायतें व याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अवैध खनन की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।

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