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बागपत: उत्तर प्रदेश के बागपत में 27 मई को पीएम नरेन्द्र मोदी की रैली होनी है। उससे एक दिन पहले तहसील परिसर में एसडीएम ऑफिस के सामने गन्ना भुगतान की मांग कर रहे एक किसान की मौत ने पुलिस-प्रशासन की नींद उड़ा दी है। बताया जा रहा है कि किसान पिछले कई दिनों से बड़ौत तहसील में धरने पर बैठे है। सभी किसान अपनी मांगे पूरी होने तक अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे हैं। पिछले पांच-छह दिनों से चिलचिलाती धूप में प्रदर्शन कर रहे किसान उदयवीर की तबियत लगातार बिगड़ रही थी, जिससे उसकी मौत हो गई।

किसानों के गुस्से को शांत करने के लिए पहुंचे एसडीएम अरविंद कुमार द्विवेदी ने आंदोलनकारियों के बीच मृतक 60 वर्षीय किसान के परिवार वालों को सरकार से 12 लाख रूपये मुआवजा दिलाने की घोषणा की, जिसके बाद किसानों ने शव को पोस्टमार्टम के लिए पुलिस को सौंपते हुए धरना खत्म कर दिया। लगातार प्रदर्शन कर रहे दो और किसानों की तबियत खराब होने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

किसानों के एक प्रतिनिधि अरुण तोमर ने कहा, 'पिछले पांच-छह दिनों से ये सभी किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी कई मांगों में एक गन्नों के भुगतान का बकाया है। एक किसान की मौत हो चुकी है, लेकिन पुलिस अधिकारी रैली के कारण व्यस्त हैं। यह एक शर्मनाक रैली है।' बता दें कि किसान की मौत वाले घटनास्थल से करीब 30 किलोमीटर दूर ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रविवार को रैली थी। हालांकि पीएम मोदी ने मृतक किसान के ऊपर कुछ नहीं कहा। लेकिन रैली में पीएम मोदी ने कहा, 'सरकार ने तय किया है कि प्रति क्विंटल गन्ने पर 5 रुपए 50 पैसे की आर्थिक मदद चीनी मिलों को दी जाएगी। ये राशि चीनी मिलों को न देकर सीधे गन्ना किसानों के खाते में ट्रांसफर की जाएगी।

घटनास्थल पर पहुंचे राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि वास्तव में जो आदमी अपने स्वार्थ की लड़ाई न लड़कर दूसरों के लिए कुर्बानी दे दे, उसे शहीद ही कहा जाता है। बड़ौत तहसील में किसान संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में 21 मई से किसान पांच सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे।

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