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लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंस्टैंट ट्रिपल तलाक को अवैध घोषित किए जाने के बाद केंद्र सरकार इस मामले पर कानून लाने जा रही है। मोदी सरकार ट्रिपल तलाक पर संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में बिल पेश करेगी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल पर चर्चा करते हुए इसे महिला विरोधी बताया है।

रविवार को लखनऊ में इस संबंध में पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक हुई। इस बैठक में तीन तलाक पर प्रस्तावित बिल को लेकर चर्चा की गई। कई घंटों चली बैठक के बाद बोर्ड ने इस बिल को खारिज करने का निर्णय लिया। क्रिसमस की छुट्टी के बाद मंगलवार को केंद्र सरकार संसद में तीन तलाक बिल पेश करेगी।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड साथ ही तीन साल की सजा देने वाले प्रस्तावित मसौदे को क्रिमिनल एक्ट करार दिया है। एआईएमपीएलबी की बैठक में तीन तलाक पर कानून को महिलाओं की आजादी में दखल कहा गया है।

इस बैठक में एआईएमपीएलबी की वर्किंग कमेटी के सभी 51 सदस्यों के बुलाया गया था। बैठक में शिरकत करने बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसन नदवी, बोर्ड के महासचिव मौलना सईद वली रहमानी के अलावा सेक्रेटरी मौलना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, ख़लीलुल रहमान सज्जाद नौमानी, मौलाना फजलुर रहीम, मौलाना सलमान हुसैनी नदवी भी पहुंचे थे।

क्या है प्रस्तावित बिल?

एक साथ तीन बार तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) कहना गैरकानूनी होगा। ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है। यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा। यह कानून सिर्फ 'तलाक ए बिद्दत' यानी एक साथ तीन बार तलाक बोलने पर लागू होगा। तलाक की पीड़िता अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से अपील कर सकेगी। पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है। मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे। यह प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होना है।

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