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हुब्बली(कर्नाटक): सियाचिन में छह दिन 25 फुट बर्फ के नीचे फंसे रहने का बाद जिंदा निकले लांस नायक हनुमंतप्पा नहीं रहे। दिल्ली में सेना के आर एंड आर अस्पताल में उन्‍होंने शुक्रवार सुबह 11.45 पर आखिरी सांस ली। लांसनायक हनुमंतप्पा को दिल्ली में बरार स्क्वायर पर श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद शहीद लांस नायक हनमंतप्पा का पार्थिव शरीर शुक्रवार रात यहां हुब्बली लाया गया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी एच के पाटिल और विनय कुलकर्णी के साथ शव को लेने हवाईअड्डे गए। उनके साथ विधानसभा में विपक्ष के नेता जगदीश शेट्टार और कई अन्य लोग भी पहुंचे थे। कर्नाटक सरकार ने शोकाकुल परिवार के लिए 25 लाख रुपये की अनुग्रह राशि घोषित की है। कल पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

उनके निधन की ख़बर से कर्नाटक के धारवाड़ ज़िले में उनके गांव और परिवार में शोक की लहर है। इससे पहले शुक्रवार को लांसनायक हनुमंतप्पा को दिल्ली में बरार स्क्वायर पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, रक्षा राज्‍यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह, सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग, नौसेना प्रमुख रॉबिन के धोवन, वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल अरूप राहा, दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्‍यमंत्री मनीष सिसोदिया, कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी समेत कई ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उनकी मां और पत्‍नी भी यहां मौजूद थीं। इससे पहले गुरुवार सुबह मेडिकल बुलेटिन में बताया गया था कि उनकी हालत और बिगड़ गई है और वह गहरे कोमा में चले गए हैं। हनुमंतप्पा के शरीर के कई अंग काम नहीं कर रहे थे, उनके दोनों फेफड़ों में निमोनिया के लक्षण पाए गए थे, तथा उनके दिमाग तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच रही थी। उनकी हालत बेहद गंभीर बताई गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लांस नायक हनुमंतप्पा की मौत पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने हनुमंतप्पा के निधन पर शोक जताया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और 'आप' नेता कुमार विश्वास ने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। इनके अलावा उमर अब्दुल्ला, अमित शाह और रविशंकर प्रसाद ने भी शोक जताया। सियाचिन में जो आफत सेना की पेट्रोल पार्टी पर टूटी उसे कुछ यूं समझिए कि बर्फ का एक बड़ा पहाड़ टूटकर आ गिरा। इस पहाड़ की लंबाई करीब 1000 मीटर और चौड़ाई 800 मीटर थी। इसके टूटते ही बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें जवानों पर गिर गईं। 35 फुट मोटी बर्फ की परत के नीचे दबा सेना का यह जवान चमात्कारिक रूप से छह दिनों बाद जिंदा मिला था। जहां पर यह बर्फानी तूफान आया वह जगह करीब 20 हजार फुट की ऊंचाई पर है। वहां का तापमान माइनस 45 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है।

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