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नई दिल्ली: केंद्रीय नेतृत्व से बिना सलाह किए प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा से विवादों में घिरे झारखंड भाजपा अध्यक्ष ताला मरांडी ने इस्तीफा दे दिया है। मंगलवार देर रात दिल्ली तलब किए गए मरांडी ने बुधवार को भाजपा महासचिव (संगठन) रामलाल से मुलाकात की और अपना पक्ष रखा। मुलाकात के बाद बाहर आए मरांडी ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। हालांकि भाजपा नेतृत्व ने अधिकृत तौर पर उनके इस्तीफे को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है। इसके पहले मुख्यमंत्री रघुवर दास व प्रभारी त्रिविंद्र रावत ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर उन्हंे सारी स्थिति से अवगत कराया। मंगलवार देर रात दिल्ली पहुंचे ताला मरांडी ने रात में ही संयुक्त संगठन मंत्री सौदान सिंह से मुलाकात कर प्रदेश कार्यकारिणी के मुद्दे पर अपनी सफाई पेश की। इस दौरान मरांडी ने सफाई भी दी, लेकिन सौदान सिंह की नाराजगी बरकरार रही। रात ज्यादा होने के कारण मरांडी को अगले दिन रामलाल से मिलने को कहा गया। इसके पहले मरांडी ने दिन भर भाजपा नेतृत्व को इंतजार कराया। मरांडी से सीधे संपर्क करने में काफी दिक्कत आ रही थी। काफी मशक्कत के बाद ही वे दिल्ली आने को तैयार हुए। रात लगभग साढ़े 11 बजे प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवरदास व प्रभारी त्रिविंद्र रावत ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात कर सारे घटनाक्रम की जानकारी दी।

मुख्यमंत्री सुबह वापस रांची लौट गए। बुधवार को मरांडी ने दोपहर दो बजे महासचिव रामलाल से सभी मुद्दों पर चर्चा की और सभी मुद्दों पर सफाई दी। लगभग एक घंटा तक हुई मुलाकात में रामलाल ने मरांडी के तौर तरीकों पर नाराजगी जाहिर की। इस दौरान मरांडी ने अपने इस्तीफे की पेशकश भी की। बाहर आकर मरांडी ने कहा भी उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों ने इसे मरांडी के इस्तीफे की पेशकश बताया, जिस पर फैसला होना बाकी है। दरअसल भाजपा की परेशानी कार्यकारिणी की घोषणा से ज्यादा छोटा नागपुर टेनेंसी (सीएनटी) व संथाल परगना टेनेंसी (एसपीटी) पर उनके बयानों से है। सीएनटी व एसपीटी के मामले पर उनका बयान सरकार के खिलाफ गया है और मुख्यमंत्री रघुवरदास विपक्ष के निशाने पर हैं। मरांडी के इस्तीफे पर तत्काल कोई फैसला नहीं लिया गया है। प्रदेश कार्यकारिणी के मुद्दे पर केंद्रीय नेतृत्व ने संकेत दिए हैं कि हाल में घोषित कार्यकारिणी को भंग कर नए टीम की घोषणा करेगी। नई समिति को लेकर रांची में धरना जारी है और कई पदाधिकारी व सदस्य पद लेने से इंकार कर चुके हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा नेतृत्व राज्य में आदिवासी मुद्दे पर गरमा रही राजनीति के बीच ताला मरांडी पर जल्दबाजी में कार्रवाई करती नहीं दिखना चाहती है। इसके आदिवासी व गैर आदिवासी विवाद खड़ा हो सकता है। ताला मरांडी प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही विवादों में घिरे रहे हैं। हाल में ताला के बेटे का नाम यौन उत्पीड़न के एक मामले में सामने आया था। इसके अलावा उनके नाबालिक बेटे की शादी का मामला भी खूब गरमाया था, जिस पर बाल संक्षरण आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था।

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