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रांची: झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय ने जांच समिति की रिपोर्ट के मद्देनजर प्रोफेसर श्रेया भट्टाचार्य की बिना इजाजत के जेएनयू के एक विवादास्पद प्रोफेसर को विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में आमंत्रित करने की गलती को भूल मानते हुए उनके निलंबन को वापस ले लिया है और उनकी सेवा को तत्काल प्रभाव से बहाल कर दिया है। सीयूजे के कुलपति नंद कुमार यादव इंदु ने बताया कि गुरुवार सुबह तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट प्राप्त हुई, जिसमें अंग्रेजी की एसोसिएट प्रोफेसर श्रेया की गलती को भूल माना गया और इसी को ध्यान में रखते हुए उनके निलंबन को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया। अपने आदेश में कुलपति ने उनके निलंबन के काल को भी नियमित सेवा माने जाने का निर्देश दिया है। श्रेया भट्टाचार्य को तत्काल अपनी सेवाएं ग्रहण करने के निर्देश दिए गए हैं।

इससे पहले बुधवार को राजभवन से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया था कि कुछ अखबारों में इस प्रकार की भ्रामक खबर प्रकाशित हुई है कि सरदार पटेल के 140वें जयंती वर्ष से जुड़े सीयूजे के एक कार्यक्रम में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू इसलिए नहीं शामिल हुईं, क्योंकि उक्त कार्यक्रम में जेएनयू के एक विवादास्पद प्रोफेसर एन एम पाणिनी को कार्यक्रम की संयोजक और अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष श्रेया भट्टाचार्य ने आमंत्रित कर लिया था। गौरतलब है कि इस प्रकरण में 28 मार्च को प्रोफेसर श्रेया भट्टाचार्य को विश्वविद्यालय के कुलपति नंद कुमार यादव इंदु ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर पूरे मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था। राजभवन से जारी विज्ञप्ति में बताया गया था कि राज्यपाल के प्रधान सचिव एसके सत्पथी ने सीयूजे के कुलपति को लिखे पत्र में अपनी ओर से इस पूरे मामले में स्पष्टीकरण देने को कहा था, जिससे मीडिया के माध्यम से जनता में गलत संदेश न जाए। राज्यपाल के प्रधान सचिव सत्पथी ने कुलपति को भेजे पत्र में कहा था कि श्रेया भट्टाचार्य के निलंबन पत्र में राज्यपाल के कार्यक्रम के रद्द होने की बात का जिक्र खेदजनक है और इस तथ्य को निलंबन पत्र में तत्काल सुधारा जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया है कि राजभवन से राज्यपाल के कार्यक्रम की संपुष्टि किसी भी स्तर पर नहीं की गई थी। लिहाजा उसके रद्द होने की बात करना भ्रामक है।

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