रांची: राज्य राजधानी से 40 किलोमीटर दूर खूंटी जिले के मुरहू थानांतर्गत साइको गांव में शनिवार आदिवासी भूमि से संबन्धित कानूनों में बदलाव की राज्य सरकार की कोशिशों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने रांची आ रहे पारंपरिक हथियारों से लैस आदिवासी जत्थे की पुलिस से मुठभेड़ हो गयी जिसमें गोली लगने से एक व्यक्ति की मौत हो गयी जबकि पांच अन्य घायल हो गये। मुठभेड़ में पुलिस के दो वरिष्ठ अधिकारियों समेत आधा दर्जन कर्मी भी घायल हुए हैं। खूंटी के उपायुक्त चंद्रशेखर ने बताया कि शनिवार दोपहर मुरहू थानांतर्गत साइको गांव में बड़ी संख्या में लोगों के एकत्रित होने की खबर आयी जिसके बाद वहां अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनुराग पहुंचे और उन्होंने लोगों को शांत करने की कोशिश की लेकिन लगभग एक हजार लोगों की भीड़ ने उन्हें घेर कर बंधक बना लिया और एक पेड़ से बांध दिया। सूचना पाकर वहां दलबल के साथ पहुंचे जिला पुलिस मुख्यालय के उपाधीक्षक विकास आनंद लागुरी पर भीड़ ने पथराव प्रारंभ कर दिया। इस बीच भीड़ से किसी ने टांगी से वार कर पुलिस उपाधीक्षक के अंगरक्षक नरेन्द्र शर्मा को गंभीर रूप से घायल कर दिया। टांगी शर्मा की गर्दन के पास लगी। भीड़ के हमले में पुलिस उपाधीक्षक का भी हाथ टूट गया। समीप के अड़की पुलिस थाना प्रभारी को भी लोगों ने बंधक बना लिया और अनेक अधिकारियों को रस्सियों से पेड़ में बांध दिया। सूचना पाकर वहां पहुंचे पुलिस बल ने जब पुलिस अधिकारियों एवं कर्मियों को बचाने का प्रयास किया तो भीड़ हिंसक हो गयी और बंधक बनाये गये पुलिसकर्मियों की जान लेने पर आमादा हो गयी। स्थिति न संभलती देखकर पुलिस ने पहले लाठीचार्ज किया लेकिन बात न बनने पर गोलीबारी की जिसके बाद बंधक पुलिसकर्मियों को बचाया जा सका।
उपायुक्त ने बताया कि पुलिस ने 12 से 15 राउंड गोलीबारी की जिसमें अब्राहम मुंडा नामक एक स्थानीय व्यक्ति की मौत हो गयी जबकि पांच अन्य घायल हो गये जिन्हें रांची के रिम्स अस्पताल लाया गया है। मुठभेड़ में दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों समेत आधा दर्जन पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। उपायुक्त ने बताया कि रांची में आयोजित आदिवासी आक्रोश रैली में भाग लेने जा रहे लोगों को जब रांची जाने के लिए गाड़ियां नहीं मिलीं तो वह उत्तेजित हो गये और उन्होंने पुलिस को निशाना बनाना प्रारंभ कर दिया जबकि इसके पीछे पुलिस की कोई भूमिका नहीं थी। आज लगभग तीन दर्जन आदिवासी संगठनों ने रांची के मोराबादी में राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन का आयोजन किया था जिसमें सरकार द्वारा आदिवासी भूमि की रक्षा के लिए अंग्रेजों के समय बनाये गये कानूनों सीएनटी एवं एसपीटी अधिनियम की कुछ धाराओं में संशोधन का प्रस्ताव है जिससे जनहित के कार्यों के लिए सरकार आदिवासियों से उनकी भूमि क्रय कर सकती है। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने खूंटी में हुई घटना की निंदा की है और कहा है कि लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। मुख्यमंत्री ने इस घटना में मारे गये व्यक्ति के परिजनों के लिए दो लाख रुपये और घायलों के परिजनों के लिए एक-एक लाख रूपये की सहायता की घोषणा की है। इस बीच आदिवासी संगठनों ने खूंटी की आज की घटना को आदिवासियों की राज्य में आवाज दबाने की कोशिश करा दी है। रांची में विरोध प्रदर्शन के आयोजक संगठन झारखंड आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने रघुवर दास सरकार को दमनकारी बताया। रैली को संबोधित करते हुए झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आज के विरोध को देखते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास को नींद से जग जाना चाहिए अन्यथा स्थितियां हाथ से बाहर हो जायेंगी। कांग्रेस के राज्य सभा सांसद प्रदीप बालमुचु ने भी राज्य सरकार को आदिवासी विरोधी बताया और कहा कि लोगों को आज की रैली में आने से अनेक जगहों पर रोका गया लेकिन सरकार अपने इस कुप्रयास में सफल नहीं हो सकी।